Panchak Calendar 2021: जानिए वर्ष 2021 में कब-कब आएगा 'पंचक'
Panchak Calendar 2021: हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष में पंचक का बड़ा महत्व स्वीकार किया गया है। पंचक का नाम सुनकर कई लोग डर जाते हैं। अशुभ की आशंका करने लगते हैं। दरअसल भारतीय ज्योतिष में मुहूर्त का बड़ा महत्व है। पंचक जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है पांच। पंचक में यदि कोई कार्य होता है तो उसकी आवृत्ति पांच बार होती है। शुभ कार्यो के लिए तो यह ठीक है, लेकिन अशुभ कार्यो में इसका विचार अवश्य किया जाना चाहिए। मुख्यत: मृत्यु आदि में पंचक का विचार प्रमुखता से किया जाता है। माना जाता है किपंचक में यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो तो परिवार में पांच लोगों की मृत्यु की आशंका रहती है। इसलिए पंचक में मरने वाले व्यक्ति के अंतिम संस्कार में आटे के पांच पुतले बनाकर भी जलाए जाते हैं ताकि परिवार से पंचक का भार हट जाए।
'चंद्र के कुंभ-मीन राशि में भ्रमण को पंचक कहते हैं'
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा के धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से लेकर रेवती नक्षत्र के चतुर्थ चरण तक का गोचर पंचक कहलाता है। इनमें धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र होते हैं। राशि के अनुसार देखें तो प्रत्येक माह चंद्र के कुंभ और मीन राशि में भ्रमण को पंचक कहते हैं।
पंचक में क्या नहीं करना चाहिए
- घर के लिए ईधन इकठ्ठा करना
- लकड़ी, कोयले, कंडे एकत्रित करना या खरीदना
- घर की छत डलवाना
- दाह संस्कार करना
- नए बिस्तर, पलंग, चारपाई बनवाना
- दक्षिण दिशा की ओर प्रस्थान करना
पंचक दोष लग गया है तो कैसे दूर करें
प्राचीन ऋषि मुनियों और खगोल ऋषियों से बहुत सोच-समझकर पंचक काल बताया है। इनमें कुछ कार्यो को नहीं करने की सलाह भी दी गई है, लेकिन कई बार परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं जब पंचक में कुछ कार्य करना आवश्यक हो जाते हैं, ऐसे में पंचक दोष लगता है। इस दोष को दूर करने के लिए कुछ उपाय किए जाने चाहिए-
- यदि लकड़ी का सामान खरीदना आवश्यक हो तो खरीद लें लेकिन पंचक काल समाप्त होने पर गायत्री मंत्र के जाप और गायत्री हवन करवाना चाहिए।
- पंचक में किसी की मृत्यु हो तो पंचक दोष दूर करने के लिए शव के साथ आटे के पांच पुतले बनाकर उनका भी अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए।
- यदि मकान में पंचक के दौरान छत डलवाना जरूरी है तो गायत्री मंत्र के जाप करने के साथ मजदूरों को मिठाई भी खिलाएं और सब शुभ होने का आशीर्वाद लें।
- यदि पंचक काल में बिस्तर बनवा लिए हैं या पलंग खरीद लिया है तो उसका उपयोग पंचक बीत जाने के बाद से शुरू करें।
- पंचक काल में दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना वर्जित बताया गया है, लेकिन यदि करना ही पड़े तो हनुमान मंदिर में जाकर दर्शन करें और श्रीफल, फल आदि अर्पित करें। उसके बाद यात्रा प्रारंभ करें।
ये हैं साल 2021 के पंचक के समय
- 15 जनवरी सायं 5.04 बजे से 20 जनवरी दोपहर 12.37 बजे तक
- 12 फरवरी रात्रि 2.11 बजे से 16 फरवरी रात्रि 8.55 बजे तक
- 11 मार्च प्रात: 9.19 बजे से 16 मार्च प्रात: 4.45 बजे तक
- 7 अप्रैल दोपहर 3 बजे से 12 अप्रैल प्रात: 11.30 बजे तक
- 4 मई रात्रि 8.41 बजे से 9 मई सायं 5.30 बजे तक
- 1 जून रात्रि 3.57 बजे से 5 जून रात्रि 11.27 बजे तक
- 28 जून प्रात: 12.57 बजे से 3 जुलाई प्रात: 6.15 बजे तक
- 25 जुलाई रात्रि 10.46 बजे से 30 जुलाई दोपहर 2.03 बजे तक
- 22 अगस्त प्रात: 7.57 बजे से 26 अगस्त रात्रि 10.28 बजे तक
- 18 सितंबर दोपहर 3.26 बजे से 23 सितंबर प्रात: 6.45 बजे तक
- 15 अक्टूबर रात्रि 9.14 बजे से 20 अक्टूबर दोपहर 2.03 बजे तक
- 12 नवंबर रात्रि 2.51 बजे से 16 नवंबर रात्रि 8.14 बजे तक
- 9 दिसंबर प्रात: 10.10 बजे से 14 दिसंबर रात्रि 2.04 बजे तक
नोट : पंचक का यह समय काल गणना के केंद्र उज्जैन के सूर्योदय के मान से है। देश के विभिन्न स्थानों के स्थानीय सूर्योदय और नक्षत्र प्रवेश के समय में अंतर के कारण यह समय कुछ सेकंड आगे-पीछे हो सकता है। इसलिए पंचक का विचार करते समय एक बार स्थानीय पंचांग अवश्य देख लें।