धनी और समृद्धशाली बनाते हैं सुनफा और अनफा योग
वैदिक ज्योतिष में अक्सर कुछ विशेष योगों की चर्चा की जाती है। ये योग शुभ और अशुभ दोनों तरह के हो सकते हैं। या यूं कहें कि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में उपस्थित ग्रहों की स्थिति के अनुसार ये अच्छे या बुरे परिणाम देते हैं। ऐसे ही दो योग हैं अनफा और सुनफा योग। ये दोनों ही योग जातक की कुंडली में चंद्र की मजबूत स्थिति के कारण बनते हैं। यदि कुंडली में चंद्र कमजोर है तो राजयोग जैसे शुभ योग होते हुए भी उनका फल नहीं मिल पाता।
क्या है सुनफा और अनफा योग
सुनफा: यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में चंद्र से ठीक अगले भाव में सूर्य को छोड़कर कोई भी ग्रह मौजूद हो और चंद्र मजबूत स्थिति में तथा किसी पाप ग्रहों से युक्त न हों तो सुनफा योग बनता है। लेकिन यह योग तभी बनता है जब चंद्र से अगले घर में मौजूद ग्रह शुभ हो। यदि एक शुभ तथा दूसरा अशुभ ग्रह हो तो योग मध्यम स्तर का होता है तथा यदि दोनों अशुभ ग्रह हों तो सुनफा योग बेहद खराब स्तर का होता है और उसका अनुकूल परिणाम प्राप्त नहीं हो पाता है। सुनफा योग वाला व्यक्ति देश के प्रतिष्ठित और बड़े सरकारी पदों पर पहुंचता है।
अनफा: यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में चंद्र से ठीक एक घर पीछे सूर्य को छोड़कर कोई शुभ ग्रह मौजूद हो तो अनफा योग बनता है। इसमें भी शर्त यही है कि चंद्र की स्थिति मजबूत होना चाहिए। जिन जातक की कुंडली में अनफा योग होता है वे बेहद शांत और उदार प्रकृति के होते हैं। ललित कलाओं में विशेष सफलता और सम्मान अर्जित करते हैं। इनके मन में प्रारंभ से ही वैराग्य की भावना होती है और जीवन के उत्तरार्ध में संन्यास जैसी अवस्था तक पहुंच जाते हैं।
इन दोनों ही योग में सूर्य के साथ राहु-केतु का विचार नहीं किया जाता है। यानी ये तीनों ग्रह हों तो अनफा-सुनफा योग नहीं बनता है। जिन लोगों की कुंडली में ये योग होता है वह अपने जीवन में उच्च पदों तक पहुंचता है। उसका यश-कीर्ति चारों दिशाओं में फैलती हैं। धनी-समृद्ध होता है और समाज का नेतृत्वकर्ता होता है।
चंद्र
कब
होता
है
मजबूत
जैसा
कि
ऊपर
बताया,
अनफा
और
सुनफा
योग
बनने
के
लिए
चंद्र
की
स्थिति
मजबूत
होना
आवश्यक
है।
कुंडली
में
चंद्र
तब
मजबूत
होता
है
जब
जातक
का
जन्म
माह
के
शुक्ल
पक्ष
में
हुआ
हो
और
चंद्र
का
अंश
10
डिग्री
से
ज्यादा
हो।
साथ
ही
चंद्र
के
साथ
कोई
पाप
ग्रह
मौजूद
न
हो।