
बृहस्पति ने एक वर्ष के लिए मीन राशि में किया प्रवेश, जानिए आगे क्या होगा आपका हाल
नई दिल्ली, 16 अप्रैल। ज्ञान, विवेक, शुभ कर्म, वैवाहिक कार्य, उच्च शिक्षा, धन, सुख प्रदाता बृहस्पति ने 13 अप्रैल 2022 को मीन राशि में प्रवेश कर लिया है। बृहस्पति एक वर्ष अर्थात् 21 अप्रैल 2023 तक मीन राशि में ही गोचर करेंगे। हालांकिबीच में 29 जुलाई से 24 नवंबर 2022 तक कुल 119 दिन बृहस्पति मीन राशि में ही वक्री हो जाएंगे। इस पूरे वर्ष बृहस्पति उदय अवस्था में रहेंगे। इसके बाद अगले वर्ष 2 अप्रैल 2023 से 30 अप्रैल 2023 तक कुल 28 दिन अस्त रहेंगे। इस अवधि में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं हो सकेंगे।

गोचरस्थ मीन के बृहस्पति का राशियों पर प्रभाव
मेष : अपव्यय, मानसिक एवं शारीरिक कष्ट, स्वजन से विरोध, यात्रा में कष्ट।
वृषभ : पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि, धन लाभ, संतान सुख, व्यवसाय में प्रगति।
मिथुन : स्थान परिवर्तन, कुटुंबिक क्लेश, अपव्यय, यशोमान में कमी, मंगल कार्य में व्यय।
कर्क : श्रेष्ठप्रद, भाग्योदय, धन लाभ, सौख्यता, धार्मिक कार्य में वृद्धि, पद-प्रतिष्ठा प्राप्त होगी।
सिंह : धन हानि, भाग्य की प्रतिकूलता, शारीरिक रोग, पीड़ा, स्वजन से मतभेद, विरोध।
कन्या : व्यवसाय में सफलता, दांपत्य सुख, धन लाभ, यात्राएं, साझेदारी के कार्य में सफलता।
तुला : शारीरिक पीड़ा, शत्रु नाश, ऋण मुक्ति, व्यय, संतति की चिंता, स्वजन से विरोध।
वृश्चिक : संतान सुख, धन प्राप्ति, विद्या में सफलता, मांगलिक कार्यो पर व्यय, सम्मान।
धनु : कार्यो में बाधा, माता को कष्ट, अप्रिय प्रसंग, मित्रों से लाभ, धन की प्राप्ति।
मकर : मांगलिक कार्य, संतान को कष्ट, यात्रा में बाधा, मित्रों से मतभेद, धन लाभ।
कुंभ : धनलाभ, सम्मान में वृद्धि, सुख प्राप्ति, शांतिप्रद, शिक्षा में सफलता, श्रेष्ठ पद प्राप्ति।
मीन : कार्य में उन्नति, यात्रा से लाभ, आर्थिक उन्नति, पद-प्रतिष्ठा, सम्मान की प्राप्ति।
ये बातें विशेष
- जन्मकुंडली में गुरु बलवान होने पर गोचर में अशुभ होने पर भी मध्यम शुभकारक होता है। मीन राशि बृहस्पति की स्वराशि होने से अशुभ फलों में कमी आती है।
- जिन राशि के जातकों को गुरु नेष्टप्रद हो वे गुरु की शांति के लिए बृहस्पति स्तोत्र, कवच का पाठ करें।
- गुरु के मंत्र ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवै नम: अथवा ऊं गुं गुरवै नम: के 19 हजार जाप स्वयं करें या पंडित से करवाएं।
- गुरुवार का व्रत, पीले धान्य का भोजन एवं पीले रंग के वस्त्र गुरुवार को पहनें।
- श्री हरि, पीपल, केले के वृक्ष तथा गुरु यंत्र की पूजा लाभदायक होती है।
- बृहस्पति के वैदिक, पौराणिक मंत्रों अथवा बीज मंत्रों से हवन करें।
- तर्जनी अंगुली में पुखराज, उपरत्न सुनहला या जालवर्त मणि धारण करें।
- पीत वस्त्र, पीत धान्य, कांस्य पात्र, हल्दी, सुवर्ण, खाण्ड, पीतफल, पुष्प तथा धार्मिक ग्रंथों का दान करें।
- जिस कन्या के विवाह में गुरु बाधक हो, अशुभ हो तो उपरोक्त पद्धति के अनुसार गुरु की शांति करने पर विवाह लग्न में गुरु की प्रतिकूलता का निवारण होता है।
गुरु का पौराणिक मंत्र-
ऊं देवानां च ऋषीणां च गुरुं कांचनसंनिभम् ।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् ।।
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