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Ganesh visarjan 2020: शीतलता की प्राप्ति और मोह से मुक्ति का प्रतीक है गणेश विसर्जन

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। गणेशोत्सव यानी 10 दिन चलने वाला वह त्योहार, जिसमें लगभग हर भारतीय श्रद्धालु तन, मन, धन से बप्पा की आराधना में डूब जाता है। इन 10 दिनों में गणपति हमारे परिवार, हमारे मन और हमारी आत्मा में रच बस जाते हैं। इसके बाद आता है वह पल, जब हमें बप्पा को विदाई देनी होती है। यह पल बड़ा भावुक होता है और वास्तव में ऐसा अनुभव होता है, जैसे परिवार का कोई सदस्य ही हमसे विदा ले रहा हो। आखिर क्यों 10 दिन के बाद गणपति जी को विसर्जित किया जाता है?

आज इसी संबंध में कथा सुनते हैं-

विद्या और बुद्धि के देवता श्री गणपति

विद्या और बुद्धि के देवता श्री गणपति

यह उस समय की बात है, जब महर्षि वेदव्यास महाभारत की रचना करने वाले थे। वे अपने महाकाव्य के लिए एक ऐसा लेखक चाहते थे, जो बिना त्रुटि और विलंब के उनकी इच्छानुसार रचना में सहयोग कर सके। इस संबंध में वेदव्यास जी ने विद्या और बुद्धि के देवता श्री गणपति को सर्वथा योग्य पाया और उनसे सहयोग की प्रार्थना की। गणेश जी लंबे समय तक इस काम में जुटे रहना नहीं चाहते थे, इसीलिए उन्होंने शर्त रखी कि वेदव्यास जी को बिना रुके अनवरत कथा कहना होगी। यदि वेदव्यास जी कहीं भी रुके, तो गणपति जी लेखन कार्य बंद कर देंगे।

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विसर्जन की परंपरा

विसर्जन की परंपरा

नियत समय पर महर्षि और गणपति एकांत स्थान पर पहुंचे और महाभारत की रचना प्रारंभ हुई। अपने वचन के अनुसार वेदव्यास जी ने पूरे 10 दिन तक लगातार बोलकर रचना संपन्न् करवाई। रचना पूरी होने पर महर्षि ने जब गणपति को स्पर्श किया, तो पाया कि लगातार लेखन के कारण वे ताप से दग्ध हो रहे थे। यह देखकर वेदव्यास जी ने तुरंत गणेश जी को ले जाकर सरोवर में डुबकी लगवाई। इस तरह 10 दिन बाद गणपति जी को शीतलता देने के उद्देश्य से विसर्जन की परंपरा निर्मित हो गई।

'जल को ही नारायण कहा गया है'

'जल को ही नारायण कहा गया है'

आध्यात्मिक दृष्टि से विसर्जन का अर्थ देखें तो हमारे वेदों में जल को ही नारायण कहा गया है। जल में ही श्री विष्णु भगवान का वास है। श्री विष्णु ही समस्त ब्रह्मांड के रचयिता माने जाते हैं और सभी देवी-देवता उनका ही रूप माने जाते हैं। गणपति और अन्य सभी देव मूर्तियों को जल में विसर्जित करने का एक आशय यह भी है कि वे सभी अंतत: परमशक्ति में ही समाहित हो गए। गणपति को विसर्जित करने के पीछे एक मंतव्य मनुष्य को यह याद दिलाना भी है कि अंतत: हर व्यक्ति को संसार का मोह छोड़कर विदा लेना है और इस आत्मा को परमात्मा में समाहित होने देना है।

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Comments
English summary
There is an interesting story behind the legend of Ganesh visarjan. It is believed that Lord Ganesha returns to Mount Kailash to join his parents Lord Shiva and Goddess Parvati on the last day of the festival.
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