Ganesh Visarjan 2022 : अनंत चतुर्दशी पर ही क्यों होता है गणेश विसर्जन? क्या है शुभ मुहूर्त और विधि?
Ganesh Visarjan 2022: आज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है, जिसे कि लोग अनंत चतुर्दशी कहते हैं। आज का दिन बड़ा पावन है। आज घरों में पालनकर्ता भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। तो वहीं आज के दिन बप्पा की विदाई यानी कि गणेश विसर्जन किया जाता है, जिसके साथ ही गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ दस दिन का गणेश उत्सव समाप्त हो जाता है। क्या कभी आपने सोचा कि आखिर अनंत चतुर्दशी के ही दिन गणेश विसर्जन क्यों होता है? नहीं तो चलिए हम आपको इसके बारे में बताते हैं।
दरअसल इसके पीछे एक खास कथा है। आप में से बहुत कम लोग जानते होंगे कि 'महाभारत' को कलमबद्ध गणेश जी ने किया था। पौराणिक कथा के मुताबिक महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना को लिपिबद्द करने के लिए भगवान गणेश से प्रार्थना की थी क्योंकि उन्हें लिखना नहीं आता था। गणेश जी ने उन्हें मना नहीं किया लेकिन उन्होंने व्यास जी के सामने एक शर्त रखी कि 'वो जब लिखना शुरू करेंगे तो रूकेंगे नहीं अगर वो रूक गए तो वहां वो लिखना बंद कर देंगे।'
Anant Chaturdashi 2022: अनंत चतुर्दशी आज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और महत्व
महर्षि वेदव्यास ने उनकी बात मान ली और फिर दिन-रात लेखन का काम बिना रूके प्रारंभ हो गया, लिखने के दौरान गणेश जी को पानी पीने और खाने की अनुमति नहीं थी, ऐसे में जब उन्हें थकान होने लगी तो उनके शरीर का ताप बढ़ गया, अब व्यास जी के सामने तो समस्या खड़ी हो गई, उन्होंने तुरंत गणेश जी के ताप को कम करने के लिए उनके पूरे शरीर में मिट्टी का लेप कर दिया।
लेकिन जब मिट्टी सूखी तो गणेश जी का शरीर अकड़ गया लेकिन वो रूके नहीं। पूरे दस दिन तक लेखन चलता रहा और अनंत चतुर्दशी के दिन महाभारत लिपिबद्ध हो गया। उस वक्त भी गणेश जी का ताप बढ़ हुआ था इसलिए व्यास जी ने उन्हें नदी के ठंडे पानी में डाल दिया, जहां जाकर गणेश जी काफी आराम मिला। तब से ही अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी का विसर्जन होने लगा।
गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त
- चर - शाम 05 बजे से शाम 06 बजकर 34 मिनट तक
- शुभ - दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से 01 बजकर 52 मिनट तक
- रात्रि मुहूर्त -रात- 09 बजकर 26 मिनट से 10 बजकर 52 मिनट तक
- रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - देर रात 12 बजकर 18 मिनट से 10 सितंबर सुबह 04 बजकर 37 मिनट तक
गणेश विसर्जन विधि
- इस दिन सुबह स्नान करने के बाद गणेश जी की पूजा करें और उनके प्रिय चीजों का भोग लगाएं।
- पूजा के दौरान गणेश मंत्र और गणेश आरती का पाठ करें।
- इस दौरान स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं ।
- फिर घर के किसी पुरुष की ओर से बप्पा की मूर्ति को उठानी होती है और उसे ही बप्पा की मूर्ति को पानी तक लेकर आना होता है।