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Vat Savitri Vrat 2018: जानें कैसे करना है वट सावित्री का व्रत, पूजा विधि और तिथि

शादीशुदा महिलाओं द्वारा किया जाने वाला वट सावित्री का व्रत इस साल 15 मई को किया जाएगा। जेष्ठ के बिक्रम संबत मंहीने में अमावस्या के दिन मनाया जाने वाला वट सावित्री का व्रत का सुहागन औरतों में काफी महत्व है। इस दिन सुहागन औरतें अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ के फेर लगाती हैं

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नई दिल्ली। शादीशुदा महिलाओं द्वारा किया जाने वाला वट सावित्री का व्रत इस साल 15 मई को किया जाएगा। जेष्ठ के बिक्रम संबत मंहीने में अमावस्या के दिन मनाया जाने वाला वट सावित्री का व्रत का सुहागन औरतों में काफी महत्व है। इस दिन सुहागन औरतें अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ के फेर लगाती हैं। उत्तर भारत के अधिकतर हिस्सो में सुहागिनें इस व्रत को रखती हैं। इस पूजा जरूरी है कि इन बातों का खास खयाल रखा जाएगा।

Savitri Vrat

वट सावित्री का व्रत 15 मई को रखा जाएगा, लेकिन अमावस्या 14 मई की शाम से ही शुरू हो जाएगी। 14 मई शाम 19:46 बजे शुरू होकर अमावस्या 14 मई को शाम 17:17 बजे तक रहेगी। वट सावित्री का व्रत सावित्री के नाम पर रखा गया है। सावित्री यमराज से अपने पति के प्राण वापस ले आई थी। इसमें वट वृक्ष ने काफी अहम भूमिका निभाई थी। सावित्री अपने पति के प्राण वापस लेने के लिए यमराज के पीछे जा रही थी। उस वक्त उसके पति सत्यवान के शव की निगरानी और देख-रेख वट वृक्ष ने की थी। यमराज से पति के प्राण वापस लेने के बाद सावित्री जब लौटी तो उसने पति कि देखरेख करने के लिए वट वृक्ष का आभार व्यक्त किया। इसके लिए सावित्री ने वट वृक्ष की परीक्रमा की थी। इसी के बाद से सावित्री व्रत में वट वृक्ष की परिक्रमा की जाती है।

यमराज ने चने के रूप में सावित्री के पति सत्यवान के प्राण उसे सौंपे थे। इसके बाद ये चने लेकर सावित्री सत्यवान के पास आई और चने अपने मुंह में रख दिए। इसके बाद उसने वो चने सत्यवान के मुंह में फूंक दिए। इसके बाद सत्यवान के प्राण वापस आ गए। उस दिन के बाद से ही वट सावित्री के व्रत में चने का प्रसाद काफी अहम माना जाता है। इसलिए व्रत के दिन चने का प्रसाद जरूर चढ़ाएं।

व्रत वाले दिन सुहागवन औरतें पूरा सोलह श्रृंगार करती हैं। पूजा करने के लिए अक्षत, रोली, चने, मिठाई, फूल और फल का इस्तेमाल करें और सच्चे मन से वट सावित्री की पूजा करें। वृक्ष की जड़ में दूध और जल अर्पित करें। फिर कच्चे सूत को हल्दी में रंग लें और वृक्ष की परिक्रमा तीन बार करें।

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English summary
Vat Savitri Vrat 2018: Know Puja Vidhi, Muhurat, Time Of Savitri Brata.
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