Sheetla Ashtami 2022: शीतला अष्टमी, बसोड़ा 25 मार्च को, जानिए कथा
नई दिल्ली, 24 मार्च। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन शीतला अष्टमी का त्योहारा मनाया जाता है। इस दिन माता शीतला की पूजा करके उनसे परिवार की सुख-समृद्धि और आरोग्यता की कामना की जाती है। इस दिन बसोड़ा भी होता है अर्थात् शीतला माता को एक दिन पूर्व बने हुए भोजन का नैवेद्य लगाया जाता है और पूरा परिवार इसी भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करता है। शीतला अष्टमी का पूजन 25 मार्च 2022, शुक्रवार को किया जाएगा। इस दिन मूल नक्षत्र, वरियान योग और बालव करण रहेगा। चंद्र धनु और सूर्य मीन राशि में रहेगा। क्षेत्रीय विविधता के कारण कहीं शीतला सप्तमी तो कहीं शीतला अष्टमी का पूजन किया जाता है।
कैसे करें अष्टमी पूजन
शीतला अष्टमी के दिन सुबह एक थाली में रबड़ी, रोटी, चावल, रोली, मौली, मूंग की छिलके वाली दाल, हल्दी, धूप बत्ती, एक गूलरी की माला जो होली के दिन मालाएं बनाई जाती है वह रख लेनी चाहिए। इस सामान को घर के सभी सदस्यों के हाथ लगवाकर शीतला माता के मंदिर में पूजन करके अर्पित करना चाहिए।
कथा
किसी गांव में एक बुढ़िया रहती थी। वह बसोड़ा के दिन शीतला माता का पूजन करती थी और बासी भोजन खाती थी। शेष गांव वाले शीतला माता की पूजा नहीं करते थे। अचानक एक दिन गांव में आग लग गई। बुढ़िया के घर को छोड़कर सभी घर आग में जलकर राख हो गए। गांव वालों को बड़ा आश्चर्य हुआ किबुढ़िया का मकार कैसे बच गया। सब गांव वाले बुढ़िया से पूछने लगे कितुम्हारा घर क्यों नहीं जला। बुढ़िया बोली मैं शीतला माता की पूजा करती हूं। उसी के प्रताप से मेरा घर जलने से बच गया। तभी से पूरा गांव शीतला माता की पूजा करने लगा और बसोड़ा के दिन बासी भोजन खाने लगा।
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ग्रीष्म का सूचक
शीतला सप्तमी त्योहार का वैज्ञानिक महत्व भी है। यह त्योहार शीत और ग्रीष्म ऋ तु की सीमा रेखा कहा जाता है। इस दिन शीतल जल से स्नान करके, शीतला माता का पूजन करके, शीतल भोजन करके ग्रीष्म की सूचना दी जाती है। अर्थात् गर्मी के दिनों में तन-मन, आचरण और व्यवहार में शीतलता बनी रहे इसलिए ठंडा भोजन करके ग्रीष्म की अगवानी की जाती है।