पोंगल 2018: भगवान शिव के वाहन वृषभ के बारे में ये बातें नहीं जानते होंगे आप
नई दिल्ली। पोंगल पर्व, दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। तमिल हिन्दुओं के लिए यह पर्व खासा महत्व रखता है। इस पर्व को मकर संक्रांति के मौके पर मनाया जाता है। पोंगल का तमिल में अर्थ उफान या विप्लव होता है। पोंगल पर्व को मनाए जाने का इतिहास 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है और इस पर्व के पीछे एक पौराणिक कथा भी है जिसका संबंध भगवान शिव के वाहन वृषभ से है।
पोंगल पर्व की पौराणिक कथा
इस पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव ने अपने वाहन वृषभ को पृश्वी लोक पर जाकर मनुष्यों को संदेश देने को कहा। भगवान शिव ने वृषभ से कहा कि वे पृथ्वी पर जाकर मनुष्यों को संदेश दें कि सभी मनुष्य हर रोज तेल से नहाना चाहिए और महीने में एक बार खाना चाहिए। लेकिन जब वृषभ पृथ्वी पर आए तो उन्होंने मनुष्यों को उल्टा सलाह दे दिया। उन्होंने मनुष्यों से कहा कि वे महीने में एक दिन तेल से स्नान और हर रोज खाना खाएं।
भगवान शिव ने वृषभ को दिया श्राप
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव को जब यह बात पता चली तो उन्होंने वृषभ को श्राप देते हुए हमेशा के लिए पृथ्वी पर ही रहने को रहा जिससे की वे मनुष्यों को हर रोज खाना खाने के लिए जरूरी उत्पादन में मदद करें। इसके लिए उन्हें मनुष्यों के खेत में हल जोतने का काम सौंपा गया। इसीलिए पोंगल पर्व में गाय, बैल की खास तौर पूजा होती है क्योंकि इन्हें भगवान शिव के वाहन वृषभ का रुप माना जाता है।
तमिल नववर्ष का आरंभ है पोंगल
बता दें कि पोंगल पर्व तमिल नववर्ष का आरंभ होता है। तमिल कैलेंडर के मुताबिक साल के पहले दिन की शुरूआत पोंगल पर्व से होती है। यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान सूर्य भगवान की विधिवत पूजा की जाती है। इस पर्व के आखिरी दिन लोग एक दूसरे से मिलकर उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।
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