Jagannath Rath Yatra 2022 :रथ में नहीं होता धातु का इस्तेमाल, पुरी के राजा करते हैं सोने की झाड़ू से मार्ग साफ
पुरी, 23 जून। जगन्नाथ रथ यात्रा 2022 की शुरुआत इस साल 1 जुलाई से होने जा रही है। हर साल इस यात्रा में सैकड़ों लोग भाग लेते हैं। आपको बता दें कि पुरी की रथ यात्रा पूरे विश्व में मशहूर है और इसका हिस्सा बनने के लिए विश्व के कोने-कोने से लोग आते हैं।
रथयात्रा में सबसे आगे बलरामजी का रथ होता है
गौरतलब है कि हर साल आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को रथ यात्रा प्रारंभ होती है। इस यात्रा में रथयात्रा में सबसे आगे बलरामजी का रथ, उसके बाद बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का रथ होता है।
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रथों में किसी भी प्रकार के धातु का इस्तेमाल नहीं होता
मालूम हो कि भगवान जिस रथ पर सवार होते हैं वो बेहद ही खास होता है। भगवान जी के तीनों रथों में किसी भी प्रकार के धातु का इस्तेमाल नहीं होता है बल्कि ये सभी रथ नीम और नारियल की पवित्र लकड़ियों से बनाये जाते है, जिसे 'दारु' कहते हैं।
'बहुड़ा यात्रा'
जिसके चुनने के लिए पुरी मंदिर में एक विशेष और अलग समिति बनाई गई है, जिसका काम ही है शुद्ध लकड़ी की तलाश करना। आपको बता दें कि यात्रा पर जब रथ की वापसी होती है तो उसे 'बहुड़ा यात्रा' कहते हैं। रथ यात्रा का निर्माण अक्षय तृतीया से प्रारंभ होता है।
रथ शरीर और आत्मा के पवित्र रिश्ते को बताता है
रथ यात्रा प्रेम, एकता और सौहार्द का उदाहरण है। कहते हैं रथ शरीर और आत्मा के पवित्र रिश्ते को बताता है। जिस तरह से शरीर के अंदर आत्मा होती है लेकिन उसका संचालन करने के लिए शरीर को काम करना पड़ता है, ठीक उसी तरह रथ के अंदर ईश्वर क बैठा देने से रथ नहीं चलता है, बल्कि उसे गति देने के लिए उसे खींचना पड़ता है। इसी तरह से इंसान को आपनी आत्मा को शुद्द करने के लिए शरीर पर मेहनत करनी आवश्यक है।
पुरी के राजा करते हैं सोने की झाड़ू से मार्ग साफ
मालूम हो कि जब तीनों रथ के तैयार हो जाते हैं तो इसकी विशेष पूजा होती है जिसे 'छर पहनरा' कहा जाता है। ये पूजा पुरी के गजपति राजा की पालकी करती है और फिर पुरी के राजा सोने की झाड़ू से रथ यात्रा का मार्ग साफ करते हैं और उसके बाद रथ यात्रा आगे बढ़ती है। कहते हैं जो भी रथ यात्रा में शामिल होता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।