Diwali 2017: जानिए देवी लक्ष्मी का निवास स्थान कहां-कहां है?
लखनऊ। दीपों के पर्व दीपावली पर देवी लक्ष्मी का विशेष पूजन व अर्चन करने का विधान है। मां लक्ष्मी की कृपा न धर्म से होती है और न पुण्य से प्राप्त की जा सकती है। यदि आप चाहते है कि देवी लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहे तो कर्मठशील, कर्तव्यशील, ईमानदार, परोपकारी, पुरूषार्थी, सचरित्र व सदाचार को अपने जीवन का ध्येय बनाना होगा। लक्ष्मी को पाने को सभी आतुर रहते है किन्तु क्या आप जानते है कि लक्ष्मी जी का निवास स्थान कहां-कहां पर है। देवी लक्ष्मी का निवास स्थान कहां होता है, इस विषय में एक रोचक प्रसंग है। एक बार श्रीकृष्ण और रूक्मणी के समक्ष देवी लक्ष्मी प्रकट हुयी तो देवी रूक्मणी में ने लक्ष्मी जी से पूछा कि देवी आप किन मनुष्यों के यहां निवास करती है और अपनी कृपा बरसाती रहती है।
देवी लक्ष्मी ने कहा था....
इन प्रश्नों के जवाब में देवी लक्ष्मी ने कहा था कि मैं ऐसे व्यक्तियों के घर निवास करती हूं, जो निर्भीक, साहसी, परोपकारी, दयालु व कर्मठ है। जो मनुष्य धर्मज्ञ है, बूढ़ों की सेवा करते है, मन पर नियन्त्रण करने वाला व क्षमाशील होता है। उस पर मेरा कृपा बनी रहती है। जो स्त्रियां सदाचारिणी, धार्मिक व अपने पति की सेवा करने वाली होती है। मैं उनके यहां निवास करती हूं।
सौम्य वेश-भूषा का धारण
जो महिलाएं सदैव सदाचार का पालन करती है, सौम्य वेश-भूषा का धारण करती है एंव शुद्ध आचार-विचार का पालन करती है। मैं उनके घर निवास करती हूं। जो समय का सद्पयोग करते है, ब्रहमचर्य का पालन करते है, एक नारी व्रत रखते है,दूजे को माता-बहन समझते है और जिस घर में महिलाओं का सम्मान होता है। मैं उस घर में निवास करती हॅू।
जिस घर में दान दिया जाता....
जिस घर में दान दिया जाता हो, अतिथियों की सेवा की जाती हो, घर में कलह न रहती हो और सभी आपस में एक-दूसरे से प्रेम करते है। मैं उस घर में निवास करती हॅू।
कथा
देवताओं और दैत्यों ने मिलकर जब समुद्र मंथन किया तो उसमें से 14 रत्न निकले जिसमें देवी लक्ष्मी भी थी। जैसे ही देवी लक्ष्मी समुद्र से बाहर निकली उन्हे पाने के लिए सब आतुर थे। सबसे पहले सन्तों ने देवी लक्ष्मी से आग्रह किया कि आप मेरे पास आ जाओ तो देवी लक्ष्मी ने कहा तुम्हें सात्विक अंहकार है, इसलिए मैं आपके पास नहीं आउॅगी। अंहकार मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं है। देवाताओं ने आग्रह किया आप इन्द्र देव के नेतृत्व में हमारी हो जाओ। देवी लक्ष्मी ने कहा मैं आपके पास बिल्कुल नहीं आउॅगी।
पुण्य से देवी लक्ष्मी
क्योंकि आप देवता बनते हो पुण्य से और पुण्य से देवी लक्ष्मी को प्राप्त नहीं किया जा सकता। फिर देवी लक्ष्मी ने देखा एक ऐसा देव पुरूष है, जो मेरी तरफ ध्यान ही नहीं दे रहा है। देवी लक्ष्मी उनके पास गई तो देखा कि भगवान विष्णु आराम से लेटे हुये थे। देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु के पैर पकड़ के हिलायें तो विष्णु जी बोले क्या बात है। देवी लक्ष्मी ने कहा मैं आपको वरना चाहती हॅू। विष्णु ने कहा स्वागत है। देवी लक्ष्मी जानती थी भगवान विष्णु मेरी रक्षा करेंगे। उसी समय से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु एक हो गये। भगवान विष्णु सृष्टि के पालन कर्ता है, इसलिए वे परिश्रमी व पुरूषार्थी है। देवी लक्ष्मी न अंहकारी के पास जाती है न पुण्य कमाने वाले के पास, वे सिर्फ परिश्रमी व पुरूषार्थी के पास जाती है।