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संयम, नियम, धर्म पालन का समय है चातुर्मास, जानिए इसका महत्व

By Pt, Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। धर्म, कर्म, व्रत-उपवास, ईश्वर का ध्यान, साधना, मंत्र जप और दान धर्म के पवित्र चार माह चातुर्मास कहलाते हैं। यह आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक का समय होता है। आषाढ़ शुक्ल एकादशी को देवशयनी एकादशी और कार्तिक शुक्ल एकादशी को देव प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। इस साल देवशयनी एकादशी 23 जुलाई को और देव प्रबोधिनी एकादशी 19 नवंबर को आ रही है। इसलिए चातुर्मास 23 जुलाई से प्रारंभ होकर 19 नवंबर तक चलेंगे।

चातुर्मास भगवान विष्णु का शयनकाल होता है

चातुर्मास भगवान विष्णु का शयनकाल होता है

चातुर्मास भगवान विष्णु का शयनकाल होता है। इस दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं। इसलिए इन चार माह के दौरान विवाह, यज्ञोपवित, मुंडन आदि मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। इस दौरान घर का निर्माण प्रारंभ, गृह प्रवेश, उग्रदेवता की प्रतिष्ठा, नवीन दुकान का उद्घाटन, वाहनों का क्रय-विक्रय किया जा सकता है। चातुर्मास का महत्व जैन और बौद्ध धर्मों में भी माना जाता है। चातुर्मास के दौरान जैन मुनि भ्रमण बंद करके एक ही जगह निवास करते हैं।

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शिव परिवार के हाथ रहेगा सृष्टि का संचालन

शिव परिवार के हाथ रहेगा सृष्टि का संचालन

धर्म शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के संचालन का कार्य भगवान विष्णु के हाथ में रहता है, लेकिन उनके शयनकाल में चले जाने के कारण सृष्टि के संचालन का कार्यभार भगवान शिव और उनके परिवार पर आ जाता है। इसलिए चातुर्मास में भगवान शिव और उनके परिवार से जुड़े व्रत-त्योहार आदि मनाए जाते हैं। श्रावण माह पूरा भगवान शिव को समर्पित रहता है। इसमें श्रद्धालु एक माह उपवास रखते हैं। बाल-दाढ़ी नहीं कटवाते हैं। शिव मंदिरों में विशेष अभिषेक पूजन आदि संपन्न किए जाते हैं। इसके बाद भादव माह में दस दिनों तक भगवान श्रीगणेश का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसके बाद आश्विन माह में देवी दुर्गा की आराधना शारदीय नवरात्रि के जरिए की जाती है।

चातुर्मास का वैज्ञानिक महत्व

चातुर्मास का वैज्ञानिक महत्व

चातुर्मास का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी ये चार माह खानपान में अत्यंत सावधानी बरतने के होते हैं। ये चार माह बारिश के होते हैं। इस समय हवा में नमी काफी बढ़ जाती है जिसके कारण बैक्टीरिया, कीड़े, जीव जंतु आदि बड़ी संख्या में पनपते हैं। सब्जियों में जल में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। खासकर पत्तेदार सब्जियों में कीड़े आदि ज्यादा लग जाते हैं। इस लिहाज से इन चार माह में पत्तेदार सब्जियां आदि खाने की मनाही रहती है। इस दौरान शरीर की पाचनशक्ति भी कमजोर हो जाती है। इसलिए संतुलित और हल्का, सुपाच्य भोजन करने की सलाह दी जाती है।

चातुर्मास में क्या करें

चातुर्मास में क्या करें

देव पूजन, रामायण पाठ, भागवत कथा पाठ और श्रवण आदि के लिए चातुर्मास का विशेष दिन होते हैं। इस दौरान धर्म-कर्म, दान के कार्य किए जाते हैं।

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English summary
Chaturmas is reserved for penance, austerities, fasting, bathing in holy rivers and religious observances for all. Devotees resolve to observe some form of vow, be it of silence or abstaining from a favourite food item, or having only a single meal in a day.
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