Buddha Purnima 2023 Date: कब है वैशाख पूर्णिमा, क्या है पूजा विधि और महत्व?
Buddha Purnima puja:इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की साथ में पूजा करने से इंसान के सारे कष्टों का अंत होता है और धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
Buddha Purnima 2023 Date: हर महीने की पूर्णिमा खास महत्व रखती है क्योंकि इस दिन जहां चांद अपने पूरे आकार में होता है वहीं इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से इंसान के सारे आर्थिक कष्टों का अंत हो जाता है। इस दिन लोग दान-पुण्य भी करते हैं, जिससे उनके घरों में सुख-संपदा बनी रहे। वैशाख पूर्णिमा 5 मई को है और इस पूर्णिमा का दोहरा महत्व होता है क्योंकि इस दिन बुद्ध पूर्णिमा भी है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण
माना जाता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध का भी जन्म हुआ था। किताबों में वर्णित है कि भगवान बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. में वैशाख पूर्णिमा के दिन शाक्य राज्य के लुंबिनी में हुआ था। इसलिए इस पूर्णिमा का इंतजार बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को भी होता है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा के दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण लग रहा है इसकी वजह से भी ये दिन बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है।
बुद्ध पूर्णिमा की तिथि
वैसे को पूर्णिमा का प्रारंभ 4 मई को रात का प्रारंभ 11 बजकर 44 मिनट पर होगा लेकिन बुद्ध पूर्णिमा का व्रत और पूर्णिमा का उपवास रखने वाले लोगों को अपना व्रत 5 मई को रखना होगा क्योंकि पूजा-पाठ के लिए उदया तिथि मान्य होती है।
बुद्ध पूर्णिमा का मुहूर्त
- बुद्ध पूर्णिमा 05 मई को अभिजात मुहूर्त 12:10 PM से 01: 01 PM
- बुद्ध पूर्णिमा 05 मई को विजय मुहूर्त 02:44 PM से 3:36 PM
- बुद्ध पूर्णिमा 05 मई को गोधूलि मुहूर्त 7: 01 PM से 7:23 PM
पूजा विधि
- जो लोग पूर्णिमा के दिन चंद्र देव और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं उन्हें उस दिन सबसे पहले सुबह-नहा धोकर स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए।
- फिर व्रत का संकल्प लेकर पूजा प्रारंभ करनी चाहिए।
- पूजा स्थल पर मां लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति रखकर उन्हें फूल-फल चढ़ाना चाहिए और भोग लगाना चाहिए।
- मां लश्र्मी की कहानी, चालीसा या आरती करनी चाहिए।
- इसके बाद प्रसाद लोगों को बांटना चाहिए।
- और एक लोटे में जलरखकर शाम को चंद्रदेव की पूजा करनी चाहिए।
- चंद्र देव की आरती करने के बाद उन्हें अर्ध्य देना चाहिए और प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
बुद्द पूर्णिमा का व्रत
- जो लोग बुद्द पूर्णिमा का व्रत रख रहे हैं, वो सबसे पहले सुबह-नहा धोकर स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए।
- उसके बाद व्रत का संकल्प लेकर सूर्य देव को अर्ध्य देना चाहिए।
- फिर नदी में तिल प्रवाहित करना चाहिए।
- भगवान बुद्ध के बताए रास्तों को याद करना चाहिए।
- गरीबों को भोजन कराने के बाद खुद प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
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