भड़ली नवमी 29 जून 2020 : देवशयन से पहले आखिरी शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भड़ली नवमी मनाई जाती है। देवशयनी एकादशी से पहले का यह आखिरी शुभ मुहूर्त होता है। इस दिन बिना कोई पंचांग शुद्धि देखे विवाह संपन्न् किए जाते हैं। यह आषाढ़ी गुप्त नवरात्रि का अंतिम दिन भी होता है। इसलिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है, जो लोग विवाह आदि शुभ कार्यों के लिए चार माह चातुर्मास की प्रतीक्षा नहीं कर सकते, वे इस दिन विवाह आदि संपन्न् करते हैं। इस वर्ष भड़ली नवमी 29 जून 2020 सोमवार को आ रही है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार वर्ष में कुछ ऐसे मुहूर्त होते हैं जिनमें किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं होती है। इन्हें अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। ये खास दिन हैं वसंत पंचमी, फाल्गुन शुक्ल पक्ष की दूज फुलेरा दूज, राम नवमी, जानकी नवमी, वैशाख पूर्णिमा, गंगा दशमी, भड़ली नवमी, अक्षय तृतीया। भड़ली नवमी महत्वपूर्ण इसलिए मानी गई है क्योंकि इसके दो दिन बाद देवशयनी एकादशी से चार माह के लिए शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। इसलिए देवशयनी एकादशी से पूर्व यह अंतिम शुभ मुहूर्त होता है जिसमें बिना पंचांग देखे समस्त शुभ काम किए जा सकते हैं।
क्या खास है इस दिन में
भड़ली नवमी मुख्यत: भगवान लक्ष्मीनारायण को समर्पित है। शयन काल में जाने से पूर्व भगवान लक्ष्मीनारायण अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर जाते हैं। इस दिन भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा का विधान है। कई राज्यों में इस दिन व्रत रखकर शाम के समय भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा की जाती है। यह पूजा सत्यनारायण पूजा की तरह होती है। इस दिन परिवार, मित्रों आदि बंधु-बांधवों को बुलाकर लक्ष्मीनारायण की पूजा, कथा की जाती है। प्रसाद वितरण किया जाता है और सामूहिक भोज किया जाता है। चातुर्मास शुरू होने से दो दिन पूर्व इस दिन उत्सव मनाया जाता है और चातुर्मास में संयम, नियम धर्म से रहते हुए भगवान विष्णु की निरंतर आराधना का संकल्प भी लिया जाता है।
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