मोदी सरकार में शाह के दबदबे से क्या राजनाथ धीरे-धीरे हो रहे हैं दरकिनार?
नई दिल्ली। केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दूसरी बार सरकार बनने का रास्ता साफ होने के बाद से ही जिन कुछ मुद्दों पर अटकलों का बाजार गर्म था उनमें से एक यह भी था कि सरकार में नंबर दो की हैसियत में कौन होगा। इसमें दो नाम सबसे ऊपर थे। पहला अमित शाह और दूसरा राजनाथ सिंह। यह मुद्दा इसलिए ज्यादा अहम हो चुका था कि इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में अमित शाह शामिल हो चुके थे। अभी तक शाह सरकार से बाहर से थे और बतौर भाजपा अध्यक्ष उनका ओहदा संगठन में सबसे ऊपर था। इसके अलावा शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे भरोसेमंद के रूप में जाने जाते रहे हैं। चुनावों में बड़ी जीत के पीछे भी इन दोनों नेताओं की केमेस्ट्री ने बड़ी भूमिका निभाई थी वह चाहे लोकसभा के 2014 और 2019 के चुनाव हों अथवा विधानसभाओं के। गुजरात में भी एकछत्र राज के लिए इन दोनों नेताओं की करिश्माई भूमिका को ही याद किया जाता है। जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब अमित शाह वहां गृहमंत्री हुआ करते थे। इस तरह अगर देखा जाए तो एक तरह से साफ होता है कि अमित शाह के पास नंबर दो की हैसियत हुआ करती है।
इसी के आधार पर यह पहले से ही माना जाता रहा है कि अगर केंद्र में फिर से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनती है तो उसमें अमित शाह को गृहमंत्री बनाया जाएगा और यह भी कहा जा रहा था कि तब उन्हें ही नंबर दो का स्थान मिलेगा। केंद्र में फिर से मोदी की सरकार बन गई और मंत्रिमंडल का गठन हुआ तो चर्चाओं के अनुरूप शाह को गृह मंत्रालय भी मिल गया। इसके साथ ही एक तरह से यह मान लिया गया कि सरकार में वही नंबर दो पर हैं। अब इसी के आधार पर यह भी कहा जाने लगा है कि धीरे-धीरे राजनाथ सिंह भी तमाम अन्य वरिष्ठ और सम्मानित नेताओं की तरह दरकिरनार कर दिए जाएंगे। उनसे गृह मंत्रालय लेकर अमित शाह को दे देने को इसकी शुरुआत के रूप ही लिया जा रहा है।
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सरकार में नंबर दो की हैसियत में कौन होगा
अब जबकि यह एक तरह से साफ हो चुका है कि सरकार में नंबर दो की हैसियत में गृहमंत्री अमित शाह हैं, तो दूसरा सबसे बड़ा सवाल उठना स्वाभाविक है कि तब उन राजनाथ सिंह की सरकार में क्या हैसियत है जो इससे पहले के कार्यकाल में नंबर दो वाले माने जाते थे। हालांकि यह भी देखने की बात है कि क्या कभी औपचारिक रूप से यह बताया गया कि राजनाथ सिंह नंबर दो पर हैं। जवाब ना में ही मिलेगा क्योंकि ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बनाई गई थी। इसके अलावा, पिछली सरकार के दौरान भी इसको लेकर चर्चाएं चलती रही हैं कि नंबर दो पर राजनाथ सिंह हैं अथवा वित्त मंत्री अरुण जेटली। अलग-अलग समय में ये दोनों ही इस हैसियत में लगते थे। फिर भी हर कोई यह मानता था कि गृहमंत्री होने के नाते राजनाथ सिंह के पास ही यह हैसियत है। इसके अलावा, यह भी एक तरह से सर्वविदित था कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनाथ सिंह का बहुत सम्मान करते हैं और इसे बनाए रखने के लिए भी हरसंभव प्रयास करते हैं। इसी आधार पर बाहर भी यह स्वीकार्यता थी कि राजनाथ सिंह ही नंबर दो पर हैं। पर यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि अरुण जेटली से लेकर नितिन गडकरी तक कई ऐसे नाम रहे हैं जिन्हें हमेशा सामने रखा गया और एक तरह से सभी को समान सम्मान मिलता रहा। शायद यही कारण रहा है कि कई बार अरुण जेटली ज्यादा अहम लगने लगते थे। इस बार अरुण जेटली स्वास्थ्यगत कारणों से मंत्रिमंडल में नहीं हैं और अमित शाह आ गए हैं। ऐसे में यह सवाल ज्यादा मौजू है कि अगर बतौर गृहमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली पसंद अमित शाह गृहमंत्री हैं, तो क्या राजनाथ सिंह की हैसियत में कोई कमी आ गई है और उनका सरकार में ओहदा घट गया है। इसी से आगे जाकर इस तरह की अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि क्या अब धीरे-धीरे वे दरकिनार किए जाने लगे हैं।
क्या वाकई राजनाथ सिंह तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं?
इस संदर्भ में दो बातें प्रमुख लगती हैं। पहली तो यह कि क्या वाकई राजनाथ सिंह तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं और इसका कोई औपचारिक ऐलान कर दिया गया है। दूसरी बात खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपना तरीका जिसके आधार पर यह अटकलें लगाई जाती हैं कि वह किस तरह काम करते हैं। अभी तक तो इस तरह की कोई घोषणा नहीं की गई है। इसके अलावा मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री के ठीक बगल में राजनाथ सिंह और उसके बाद अमित शाह के बैठने से यह कहा जाने लगा था कि अभी भी सरकार में नंबर दो की हैसियत में राजनाथ सिंह ही हैं। लेकिन बहुत जल्द यह भी कहा जाने लगा कि यह मात्र दिखावे के लिए था ताकि शुरुआत में ही कोई गलत संदेश न जाए और यह माना जाए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी भी उन्हें बहुत महत्व देते हैं। लेकिन बहुत जल्द ही मीडिया से लेकर राजनीतिक हलकों में यह प्रचारित कर दिया गया कि कुर्सी भले ही दूसरे नंबर पर लगी रही हो हकीकत में गृहमंत्री होने और प्रधानमंत्री के अत्यंत विश्वस्त होने के नाते अमित शाह ही नंबर दो हैं और वही रहेंगे क्योंकि उन्हें लाया ही इसीलिए गया है।
शपथ ग्रहण में प्रधानमंत्री के ठीक बगल में राजनाथ, फिर अमित शाह बैठे
इसी के साथ सियासी हलकों में यह भी कहा जाने लगा है कि अब धीरे-धीरे राजनाथ सिंह भी दरकिनार हो जाएंगे। इस तरह की बातें करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच और कार्यशैली को आधार बनाते हैं। अक्सर यह कहा जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी की सोच में किसी दूसरे नंबर की कोई जगह नहीं होती है। उनके अंदर खुद को सर्वेसर्वा मानने और रखने का भाव काम करता है। इसी आधार पर यह भी कहा जाता है कि उनके बाद जो भी होगा वह नीचे ही होगा। इस तरह के उदाहरण भी गिनाए जाते हैं कि कैसे वह बड़ों-बड़ों का पर कतर कर किनारे लगाते रहे हैं। इसमें लालकृण्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन से लेकर सुषमा स्वराज तक कितने ही नाम हैं। हालांकि इसके साथ ही वह यह भी दिखाते रहे हैं कि इन तमाम बड़े नेताओं का वह बहुत अधिक सम्मान करते हैं। चुनाव परिणामों की घोषणा के तुरंत बाद वह आडवाणी और जोशी से मिले और उनका आशिर्वाद प्राप्त किया। सुमित्रा महाजन के बारे में उन्होंने यह तक कहा कि पार्टी में वही नेता हैं जो उन्हें कुछ भी कह सकती हैं। ऐसे अनेक उदाहरण मिल जाएंगे जिसमें मोदी किसी को भी अतिरिक्त सम्मान देते नजर आ जाएंगे। लेकिन कारण चाहे जो भी हों ऐसा मानने वालों की संख्या भी कम नहीं है जो यह कहते हैं कि वह किसी को भी आगे नहीं आने देना चाहते बल्कि वक्त के पहले ही उनके पर कतर देते हैं। इस मामले में सिर्फ अमित शाह का नाम लिया जा सकता है जिसे लोग एक दूसरे के पूरक के रूप में मानते हैं और यह साथ लगातार बनाए रखा जा रहा है। जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के उम्मीदवार बने और फिर प्रधानमंत्री तब अमित शाह को पार्टी का अध्यक्ष बनाकर लाए। उसके बाद पहले राज्यसभा लाए और अब गृहमंत्री बनाकर साबित कर दिया कि वही वास्तविक रूप से नंबर दो पर हैं।
क्या धीरे-धीरे राजनाथ सिंह भी दरकिनार हो जाएंगे?
इन्हीं तमाम कारणों से यह कहा जाने लगा है कि अब दरकिनार किए जाने वालों में राजनाथ सिंह का नंबर है। राजनाथ सिंह के बारे में कुछ बातें बहुत सकारात्मक रही हैं। वह पार्टी के भीतर से लेकर बाहर तक बहुत सम्मानित नेता माने जाते हैं। भाजपा का अध्यक्ष रहते हुए भी उनकी स्वीकार्यता बहुत रही है। इसके अलावा वह उस उत्तर प्रदेश से आते हैं जहां की एक सीट वाराणसी से खुद प्रधानमंत्री लगातार दो बार से चुनकर आ रहे हैं। राजनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। राजनाथ सिंह बहुत ही सादगी और गंभीरता के साथ काम को अंजाम देने वाले माने जाते हैं। इसके अलावा उनकी ओर से कभी कोई ऐसा काम भी नहीं किया गया जिससे यह लगे कि उससे मोदी को किसी तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ा हो। शायद यही सब कारण रहे जिससे राजनाथ नंबर दो पर माने जाते रहे। यह भी माना जाता रहा है कि खुद प्रधानमंत्री मोदी भी उनका बहुत सम्मान करते हैं। लेकिन अब लगता नहीं कि यह सारी स्थितियां बरकरार रह सकेंगी। इस आशय की आशंकाएं सच साबित हो सकती हैं कि निकट भविष्य में धीरे-धीरे राजनाथ का वह ओहदा सिमटता जाएगा जो अभी तक उन्हें हासिल था। इसकी शुरुआत गृह मंत्रालय से हटाकर उन्हें रक्षा मंत्री बनाए जाने के रूप में ली जा रही है। हालांकि यह प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार होता है कि वह किसे मंत्री बनाएं या न बनाएं और किसे कौन सा विभाग दें। इस पर किसी तरह की टिप्पणी का कोई मतलब नहीं होता। लेकिन इससे यह अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है कि भविष्य की उनकी योजना क्या हो सकती है। इसी से यह अंदाजा लगाया जाना स्वाभाविक है कि आने वाले दिनों में धीरे-धीरे राजनाथ सिंह दरकिनार किए जा सकते हैं।
(इस लेख में व्यक्त विचार, लेखक के निजी विचार हैं. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की तथ्यात्मकता, सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं।)
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