बंगाल हिंसा: कलकत्ता HC की ममता सरकार पर सख्त टिप्पणी, कहा- 'सरकार जांच कराने में नाकाम हुई'
कोलकाता, 22 जुलाई। पश्चिम बंगाल की सरकार राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद मई-अप्रैल में हुई हिंसा को लेकर हुई शिकायतों की सही तरीके से जांच कराने में नाकाम हुई है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की है।
हिंसा से संबंधित मामलों पर दायर जनहित याचिका पर गठित पांच जजों की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह "कार्यवाही प्रतिकूल हो गई है क्योंकि राज्य ठीक से जांच करने में विफल रहा है।"
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के 2 मई को घोषित परिणामों में तृणमूल कांग्रेस के तीसरी बार सत्ता में लौटने के कुछ घंटों बाद कथित तौर पर हिंसा भड़क उठी थी। बीजेपी ने हिंसा के लिए सत्ताधारी पार्टी को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि टीएमसी ने हिंसा में किसी तरह की संलिप्तता से इनकार करते हुए कहा कि जब हिंसा भड़की उस समय राज्य की कानून व्यवस्था चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में थी और ममता बनर्जी के पदभार ग्रहण करने के बाद इनसे प्रभावी ढंग से निपटा गया।
एनएचआरसी
की
रिपोर्ट
के
बाद
सरकार
को
दूसरा
झटका
हाईकोर्ट
की
टिप्पणी
राष्ट्रीय
मानवाधिकार
आयोग
(एनएचआरसी)
के
एक
पैनल
की
उस
रिपोर्ट
के
बाद
आई
है
जिसमें
राज्य
सरकार
को
दोषी
ठहराए
जाने
के
कुछ
दिनों
बाद
आई
है।
एनएचआरसी
के
पैनल
का
गठन
हाईकोर्ट
के
आदेश
के
बाद
हुआ
था।
50
पन्नों
की
अपनी
रिपोर्ट
में
पैनल
ने
राज्य
सरकार
को
यह
कहते
हुए
फटकार
लगाई
थी
कि
हिंसा
राजनीतिक-नौकरशाही
और
आपराधिक
सांठगांठ
दिखाई
है।
आयोग
के
पैनल
ने
हिंसा
की
जांच
सीबीआई
से
कराने
की
सिफारिश
करते
हुए
कहा
कि
इससे
संबंधित
मुकदमों
की
राज्य
के
बाहर
सुनवाई
की
जाए।
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने एनएचआरसी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया। सरकार का पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट राजनीति से प्रेरित है। हम इस रिपोर्ट को कई महत्व नहीं देते हैं।
26
जुलाई
तक
सरकार
से
मांगा
जवाब
याचिकाकर्ताओं
की
ओर
से
पेश
हुए
अधिवक्ता
महेश
जेठमलानी
ने
कहा
कि
जिस
राज्य
की
निष्क्रियता
ने
पूरे
मुकदमे
को
जन्म
दिया
है,
वह
अब
खुद
जांच
करना
चाहता
है।
उन्होंने
स्वतंत्र
एजेंसी
से
जांच
कराने
की
मांग
की।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने सरकार को 26 जुलाई तक एनएचआरसी की रिपोर्ट पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।