बंगाल में यूपी से भी बड़ी जीत का अमित शाह ने किस आधार पर किया दावा, जानिए
कोलकाता: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि बंगाल में इसबार बीजेपी को 2017 में उत्तर प्रदेश में मिली जीत से भी शानकार सफलता मिलने वाली है। इसके साथ ही उन्होंने वहां पार्टी के सरकार बनाने की स्थिति में आने के बाद उठाए जाने वाले कदमों की ओर भी इशारा किया है। गौरतलब है कि शाह शुरू से यह दावा करते आए हैं कि राज्य में बीजेपी को इसबार 200 से भी ज्यादा सीटें मिलेंगी, जबकि 2016 के चुनाव में उसे सिर्फ 3 सीटें ही मिल पाई थीं। जाहिर है कि अगर अमित शाह इतना बड़ा दावा कर रहे हैं तो उनका कुछ न कुछ अपना अनुमान और उसका कुछ कारण तो जरूर होगा। गौरतलब है कि 294 सीटों में से वहां अबतक 91 सीटों पर ही चुनाव हुए हैं, बाकी पांच और चरण में वोटिंग होनी है।
बंगाल में 2017 में यूपी की जीत से बड़ी जीत होगी- अमित शाह
भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बंगाल चुनाव समेत बाकी विधानसभा चुनावों को लेकर इकोनॉमिक टाइम्स के साथ एक लंबी बातचीत की है। उसमें उन्होंने पार्टी, उसकी चुनावी रणनीति और बतौर गृहमंत्री देश के सामने मौजूद अहम मुद्दों पर अपनी बात लोगों के सामने रखी है। जब उनसे पश्चिम बंगाल में बीजेपी की चुनावी स्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'हालात बहुत ही अच्छे हैं। बंगाल के लोग परिवर्तन के लिए तैयार हैं। हम 200 से ज्यादा सीटें जीतेंगे। यह 2017 में उत्तर प्रदेश में मिली जीत से बड़ी जीत होगी। मैं 2017 से कहता आ रहा हूं कि बीजेपी बंगाल में अच्छा करेगी। 2019 में मैंने कहा था कि हम 21 सीटें जीतेंगे। मुझे इस बात का पूरा विश्वास है कि पश्चिम बंगाल के लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर पूरा भरोसा है।' बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को वहां 42 में से 18 सीटें मिली थीं और कुछ सीटों पर वह कम अंतर से हार गई थी।
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'बंगाल के लोगों को उनका हक दिलाना चाहते हैं'
गृहमंत्री का कहना है कि 1977 से इस राज्य और केंद्र में एक पार्टी की सरकार नहीं रही है। इसी का नतीजा है कि जीडीपी गिरती गई है। मसलन, उनका कहना है कि 'केंद्र हर साल प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत किसानों को सालाना 6,000 रुपये ट्रांसफर करती है। मैं चाहता हूं कि बंगाल के किसानों को भी ये मिले। इसी तरह आयुष्मान भारत के तहत भी 5 लाख रुपये तक का खर्च केंद्र उठाए। लेकिन, बंगाल में यह सब नहीं हो रा रहा है। नल से जल के लिए भी कोई तैयारी नहीं है। 2018 से बंगाल ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के साथ डेटा साझा करना बंद कर दिया है। मैं समझता हूं कि यह गलत है, इससे अपराध नियंत्रित करने की रणनीति बनाने में मदद मिलती है। हमें पिछले साल बिना बंगाल के ही डेटा जारी करना पड़ा था। अब हम चाहते हैं कि सारी केंद्रीय योजनाएं बंगाल में भी लागू हों और बंगाल के लोगों को उनका हक मिले, जिसे की राजनीतिक वजहों से छीना जा रहा है। '
शाह के आत्मविश्वास का आधार क्या है ?
इसी तरह पार्टी अवैध घुसपैठ पर लगाम लगाने की बात भी कर रही है। लेकिन, सवाल यही है कि इन सबसे शाह को यूपी से भी बड़ी जीत मिलने के आत्मविश्वास का आधार क्या है? जब उनसे पूछा गया बंगाल में भाजपा डबल इंजन की सरकार देने के वादे कर रही है, सभी केंद्रीय योजनाओं को लागू करने की बात कर रही है, इसपर उन्होंने कहा, 'बंगाल में टोलाबाजी है, सिंडिकेट है। महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में बंगाल की हालत बुरी है। अम्फान पीड़ितों को राहत के मामले में अदालत को दखल देना पड़ा और ऑडिट का आदेश देना पड़ा। राजनीतिक हिंसा सारी सीमाएं लांघ चुकी हैं। अकेले भाजपा ने ही 2016 से अपने 130 कार्यकर्ताओं को खो दिया है। स्थिति ये हो गई थी कि पंचायत चुनावों के दौरान हाई कोर्ट को आदेश देना पड़ा था कि व्हाट्सऐप पर नामांक दर्ज किया जाए चाहे नियम कुछ भी कहता है। देश के किसी भी हिस्से में ये सब नहीं सुना जाता। इसलिए, लोगों के मन में ये सारी बातें कहीं न कहीं तो हैं ही।'
महिलाओं को रोजगार में 33 फीसदी आरक्षण
जब उनसे पूछा गया कि भाजपा ने बंगाल में महिलाओं को रोजगार में 33 फीसदी आरक्षण देने का जो वादा किया है क्या यह दूसरे राज्यों में भी दिखाई देगा। तो उन्होंने कहा 'नहीं। यह सिर्फ बंगाल के लिए है, जहां पिछले 10 वर्षों से महिलाओं के साथ बहुत ज्यादा अन्याय हुआ है, खासकर रोजगार में। इस अंतर को भरने के लिए हमने महिलाओं को रोजगार में 33 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। यह सिर्फ सरकारी रोजगार के लिए है। तृणमूल सरकार के दौरान बंगाल में महिलाओं को सबसे ज्यादा भुगतना पड़ा है। जबकि, दूसरी तरफ मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में महिलाओं पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है।' अब शाह के दावे पर बंगाल के वोटर क्या फैसला देते हैं यह तो 2 मई को वोटों की गिनती के बाद ही पता चलेगा।
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