उत्तराखंड विधानसभा में भर्ती प्रकरण को लेकर स्पीकर के दो बड़े फैसले, एक्सपर्ट कमेटी से जांच, सचिव को फोर्स लीव
उत्तराखंड विधानसभा में भर्ती प्रकरण: एक्सपर्ट कमेटी का गठन
देहरादून, 3 सितंबर। उत्तराखंड विधानसभा में भर्ती प्रकरण को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने बड़ा फैसला लिया है। स्पीकर ने इन सभी प्रकरणों की जांच 3 सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी को सौंप दी है। जबकि विधानसभा सचिव को फोर्स लीव पर भेज दिया है। इस प्रकरण की जांच रिपोर्ट एक माह के भीतर देने के निर्देश दिए गए हैं। स्पीकर ने कहा कि भर्ती प्रकरण की दो फेज 2000 से 2011 और 2012 से 2022 तक नियमावली के बाद की सभी भर्तियों जांच होगी। एक्सपर्ट कमेटी में अध्यक्ष दिलीप कोटिया और सुरेंद्र रावत, अवनेंद्र सिंह नयाल शामिल किए गए हैं।
एक्सपर्ट कमेटी का गठन,एक माह के भीतर जांच सौंपेंगे
शनिवार को देहरादून लौटते ही विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने पत्रकार वार्ता कर अपने फैसले को लेकर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा की गरीमा को बचाना मेरी जिम्मेदारी है। साथ ही उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर में अध्यक्ष होने के नाते किसी भी तरह की अनियमितता बर्दाश्त नहीं होगी। स्पीकर ने नियम विरुद्ध भर्तियों के विरुद्ध दो बड़े फैसले लिए हैं। पहला इन भर्तियों की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया गया है। जो कि एक माह के भीतर जांच सौंपेंगे। इसके अलावा दूसरा बड़ा फैसला लेते हुए सचिव मुकेश सिंघल को एक माह की फोर्स लीव पर भेजा गया है। स्पीकर ने कहा कि भर्ती प्रकरण की दो फेज 2000 से 2011 और 2012 से 2022 तक नियमावली के बाद की सभी भर्तियों जांच होगी। एक्सपर्ट कमेटी में अध्यक्ष दिलीप कोटिया और सुरेंद्र रावत, अवनेंद्र सिंह नयाल शामिल किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने स्पीकर को पत्र लिखकर भर्तियों में हुए घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की करी थी मांग
बता दें कि बीते गुरूवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पीकर को पत्र लिखकर विधानसभा में हुई भर्तियों में हुए घोटाले की उच्च स्तरीय जांच कराने को कहा है। मुख्यमंत्री ने लिखा है कि अगर विधानसभा में हुई भर्तियों में अनियमितताएं पाई जाती हैं तो सभी भर्तियों को निरस्त किया जाए। उन्होंने लिखा है कि विधानसभा में निष्पक्ष और पारदर्शी नियुक्तियों के प्रावधान किए जाएं। बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया में कांग्रेस और भाजपा सरकार के शासनकाल में विधानसभा में गोविंद सिंह कुंजवाल के समय 158 और प्रेमचंद अग्रवाल के समय 72 भर्तियां नियम विरूद्ध होने का आरोप लगा है। जिसमें सीएम से लेकर मंत्रियों और पूर्व मंत्रियों के करीबियों के नाम बताए गए हैं।