उलझा दून मेडिकल कॉलेज का मामला, फीस कम करने के साथ निष्कासन के मामले ने पकड़ा तूल
फीस कम कराने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन
देहरादून, 20 सितंबर। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में फीस को लेकर छात्रों का आंदोलन तेज हो गया है। फीस कम कराने को लेकर आंदोलन कर रहे 2019 बैच के 5 छात्रों को हॉस्टल से निष्कासित करने के बाद कॉलेज प्रबंधन और छात्रों के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। प्रबंधन के फैसले के खिलाफ छात्रों ने प्रशासनिक भवन के बाहर धरना भी दिया। छात्रों की मांग है कि निष्कासन को तुरंत रद कर दिया जाए नहीं तो छात्रों ने भूख हड़ताल की चेतावनी दी है।
5
छात्रों
को
हॉस्टल
से
किया
निष्कासित
बीते
24
दिनों
से
राजकीय
दून
मेडिकल
कॉलेज
के
छात्र
आंदोलनरत
हैं।
राजकीय
दून
मेडिकल
कॉलेज
के
2019
और
2020
बैच
के
350
छात्रों
ने
फीस
कम
कराने
की
मांग
को
लेकर
आंदोलन
शुरु
किया
हुआ
है।
आंदोलन
के
दौरान
छात्रों
ने
कई
तरह
से
विरोध
प्रदर्शन
भी
किया।
साथ
ही
चिकित्सा
शिक्षा
मंत्री,
मुख्यमंत्री
तक
भी
अपना
पक्ष
रखा
है।
इधर
कॉलेज
प्रबंधन
ने
5
छात्रों
पर
कॉलेज
की
छवि
बिगाड़ने,
बिना
अनुमति
धरना
देने,
और
जूनियर
छात्रों
पर
आंदोलन
में
शामिल
होने
का
दबाव
बनाने
के
आरोप
में
निष्कासन
कर
दिया।
जिसके
विरोध
में
अन्य
छात्र
धरने
पर
बैठ
गए।
छात्रों
ने
कहा
कि
किसी
भी
छात्र
पर
दबाव
नहीं
बनाया
गया
है।
सभी
छात्र
अपनी
मर्जी
से
आंदोलन
कर
रहे
हैं।
छात्रों
ने
ऐलान
किया
कि
जब
तक
निष्कासन
और
फीस
का
मामला
सुलझता
नहीं
है,
उनका
विरोध
जारी
रहेगा।
क्या
है
मामला
राजकीय
दून
मेडिकल
कॉलेज
के
2019
और
2020
बैच
के
350
छात्रों
ने
फीस
कम
कराने
को
लेकर
राज्य
सरकार
के
खिलाफ
मोर्चा
खोल
दिया
है।
छात्रों
का
कहना
है
पूरे
भारत
में
करीब
247
मेडिकल
कॉलेज
हैं।
लेकिन
उत्तराखंड
के
सरकारी
मेडिकल
कॉलेज
में
दूसरे
राज्यों
से
कई
गुना
है।
छात्रों
की
मांग
है
कि
उत्तराखंड
सरकार
को
दूसरे
किसी
भी
राज्य
की
फीस
के
बराबर
फीस
लेनी
चाहिए।
छात्रों
ने
बताया
कि
उत्तराखंड
के
पड़ोसी
राज्य
यूपी
में
एमबीबीएस
की
36
हजार
सालाना
फीस
है।
जबकि
हिमाचल
में
60
हजार
और
राजस्थान
में
40
हजार
फीस
है।
जबकि
वे
4.26
लाख
रुपए
सालाना
फीस
भर
रहे
हैं।
उत्तराखंड
में
पहले
मेडिकल
कॉलेजों
में
बॉन्ड
सिस्टम
था
जिसके
तहत
अगर
कोई
छात्र
फीस
नहीं
भर
सकता
था
तो
वह
कुछ
साल
अपनी
सेवाएं
पहाड़ी
क्षेत्रों
में
दे
सकता
था।
जो
बॉन्ड
नहीं
भरते
थे
वे
छात्र
पहले
2
लाख
अतिरिक्त
फीस
देते
थे।
छात्रों
का
कहना
है
कि
बांड
व्यवस्था
के
तहत
फीस
50
हजार
रुपये
सालाना
थी।
इसके
बाद
2013
से
बॉन्ड
न
भरने
वालों
की
फीस
4
लाख
कर
दी
गई।वर्ष
2019
में
श्रीनगर
मेडिकल
कॉलेज
को
छोड़कर
राजकीय
दून
मेडिकल
कॉलेज
और
सुशीला
तिवारी
मेडिकल
कॉलेज
हल्द्वानी
में
बॉन्ड
सिस्टम
खत्म
हो
गया।
इसके
बाद
से
पहले
साल
4.26
लाख
रुपए
सालाना
फीस
और
दूसरे
साल
4.11
लाख
फीस
जमा
करनी
पड़
रही
है।
इस
तरह
से
उत्तराखंड
में
सरकारी
कॉलेज
से
डॉक्टर
बनने
के
लिए
भी
18
लाख
रुपए
छात्रों
को
भरना
पड़
रहा
है।
जो
कि
छात्रों
को
पूरी
कर
पाना
मुश्किल
हो
रहा
है।
छात्रों
का
कहना
है
कि
वे
मुख्यमंत्री
पुष्कर
सिंह
धामी,
स्वास्थ्य
मंत्री
डा.
धन
सिंह
रावत,
आयुष
मंत्री
डा.
हरक
सिंह
रावत,
सैनिक
कल्याण
मंत्री
गणेश
जोशी
समेत
कई
अधिकारियों
व
नेताओं
से
मिलकर
अपनी
समस्या
रख
चुके
हैं,
लेकिन
समाधान
नहीं
हो
पा
रहा
है।
इस
तरह
से
फिलहाल
कोई
राहत
मिलती
हुई
नजर
नहीं
आ
रही
है।