अंकिता भंडारी मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारी को किया गया सस्पेंड
देहरादून, 28 सितंबर। उत्तराखंड में अंकिता भंडारी मामले में जिस तरह से स्थानीय प्रशासन ने लापरवाही बरती उसकी वजह से युवती की मौत हो गई। अंकिता के लापता होने की शिकायत पर स्थानीय पटवारी वैभव प्रताप सिंह ने कार्रवाई नहीं की थी, जिसके बाद उसे सस्पेंड कर दिया गया है। अंकिता के परिजनों ने 19 सितंबर को लापता होने की शिकायत की थी। पौड़ी गढ़वाल के डीएम विजय कुमार जोगडांडे ने कहा कि पटवारी वैभव प्रताप सिंह ने लापता होने की शिकायत पर कार्रवाई नहीं की, जिसकी वजह से उसे सस्पेंड कर दिया गया है।
सब डिविजनल मजिस्ट्रेट की जांच के बाद पटवारी को सस्पेंड करने का आदेश जारी किया गया। एसडीएम ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कई बार पटवारी के खिलाफ शिकायत मिली इसके बाद भी उसे सिर्फ मुजबानी चेतावनी देकर छोड़ दिया गया डीएम ने कहा कि पटवारी राजस्व पुलिस में सब इंस्पेक्टर की भी जिम्मेदारी निभाता है, उसे अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं करने की वजह से सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं अंकिता के परिवार ने आरोप लगाया है कि वैभव प्रताप सिंह ने कई बार अपील के बाद भी हमारी शिकायत को नहीं दर्ज किया।
बता दें कि अंकिता 18 सितंबर को लापता हो गई थी, इसके बाद 19 सितंबर को पटवारी से शिकायत की गई थी, लेकिन पटवारी ने शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। अधिकारियों ने आरोपी पुलकित आर्या की शिकायत को तो ले लिया, लेकिन हमारी शिकायत को स्वीकार नहीं किया। गौर करने वाली बात है कि पुलकित ने 20 सितंबर को अंकिता के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई थी, उसने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की कि अंकिता चार दिन से लापता है। जिसके बाद 22 सितंबर को यह मामला राजस्व विभाग से पुलिस को ट्रांसफर कर दिया गया था। 23 सितंबर को पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। जिसमे भाजपा का निष्कासित नेता विनोद आर्या का बेटा पुलकित आर्या भी शामिल है। उसने खुलासा किया कि अंकिता की हत्या करके उसे ऋषिकेश स्थित चिल्ला कनाल में फेक दिया था।