घर वापस आना चाहती है महिला, पति ने कहा- जाओ पहले हलाला करके आओ
यूपी के बरेली में एक पति ने अपनी पत्नी के सामने शर्त रखी है कि वह दोबारा उसे घर में तभी आने देगा जब वह हलाला कर के आएगी। फिलहाल पत्नी कोर्ट की शरण में है।
बरेली। देश में तीन तलाक एक ज्वलंत मुद्दा है। एक तरफ धर्म के ठेकेदार तलाक जैसी बुराई को धर्म से जोड़कर बचाव कर रहे है वहीं तलाक से पीड़ित महिलाएं घर से निकलकर अपना दर्द बयान करने लगी है। ताज़ा मामला बरेली के थाना क्षेत्र प्रेमनगर का है जहां एक महिला को घर वापसी की शर्त हलाला रखी गई थी लेकिन महिला ने इस शर्त को नहीं मानते हुए कोर्ट की शरण ली है।
सऊदी अरब से पति ने दिया था तलाक
यह तलाक पीड़ित फरहाना है। फरहाना का निकाह प्रेमनगर थाना क्षेत्र के रहने वाले नावेद से 21 जून 2013 को हुआ था। फरहाना की परिवार ने फरहाना की शादी में अपनी औकात से ज्यादा दान दहेज़ देकर की थी। शादी के तीन साल होते ही नावेद के परिवार ने फरहाना को दहेज़ के प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इसी दौरान फरहाना की एक बेटी हो गई। बेटी के होते ही फरहाना की और मुशीबत बड़ गई। फरहाना की किसी बात को लेकर कहनासुन्नी हो गई और उसके पति ने अपनी माँ के कहने पर सऊदी अरब से तलाक दे दिया।
सास से पता चला तलाक की बातें
लेकिन कभी फरहाना के पति नावेद ने यह बात फरहाना से नहीं तो फोन, या पत्र से नहीं की बल्कि तलाक की बात नावेद की माँ से पता चली। नावेद ने फरहाना को एक फ़तवा दिखाया और कहा कि नावेद उसे तलाक दे दिया है। अगर वह नावेद की खातून बना रहना चाहती है तो उसे नावेद के भाई के साथ हलाला करना पड़ेगा। लेकिन फरहाना अपनी सास की यह शर्त मानने से मना कर दी।
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धर्म के नाम पर किया जा रहा प्रताड़ित
फरहाना इन दिनों अपने माँ बाप के साथ अपनी बेटी के साथ रह रही है। फरहाना का कहना है उस जैसी महिलाओं को धर्म के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है वही फरहाना को उसके केस में मदद करने वाली समाजसेवी फरहत नकवी का कहना है फरहाना को तलाक के नाम प्रताड़ित किया गया है सरकार को जल्द कानून बनाना चाहिए। देश में आजादी के समय से सभी को कानून का संरक्षण प्राप्त है। लेकिन उसके वाबजूद देश में महिलाओं के प्रति दो कानूनों का होना शर्मनाक है। अब देखना होगा सरकार आखिर कबतक धर्म के रखवालों से मुस्लिम महिलाओं को बचा पायेगी।