उत्तर प्रदेश न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

शिवपाल को क्यों आई मुलायम के चरखा दांव की याद, चाचा भतीजे के बीच गठबंधन में कौन बन रहा है शकुनी

Google Oneindia News

लखनऊ, 16 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों की जोर आजमाइस शुरू हो गई है। सबसे ज्यादा दिलचस्प कहानी शिवपाल यादव और उनके भतीजे के बीच गठबंधन को लेकर सामने आ रही है। शिवपाल ने सामाजिक परिवर्तन यात्रा के तहत इटावा में कहा की युद्ध में सब नाश हो जाता है। इसके लिए उन्होंने महाभारत के कई किरदारों का उल्लेख किया साथ ही यह भी कहा कि नेताजी से हमने चरखा दाव और धोभी पाठ भी सीखा है। शिवपाल ने यह भी कहा कि 40 साल तक इसको आजमाया है आगे भी आपको ये देखने को मिलेगा। शिवपाल की ये बेरुखी परिवार के प्रति क्यों हैं। क्या अखिलेश-शिवपाल के बीच सुलह में कोई शकुनी का रोल अदा कर रहा है। शिवपाल का इशारा क्या प्रो रामगोपाल यादव की तरफ है क्योंकि दोनों की काफी पुरानी अदावत रही है।

शिवपाल ने क्यों किया धृतराष्ट्र और शकुनी का जिक्र

शिवपाल ने क्यों किया धृतराष्ट्र और शकुनी का जिक्र

सामाजिक परिवर्तन यात्रा पर निकले शिवपाल ने अखिलेश यादव को 11 अक्टूबर तक की डेडलाइन तय की थी लेकिन भतीजे की तरफ से कोई जवाब न आने से वो काफी निराश हैं। शिवपाल ने इसको लेकर महाभारत के ऐतिहासिक युद्ध का जिक्र किया। शिवपाल ने बिना किसी का नाम लिए बगैर बड़ी बात कही। कहा कि जुड़ा खेलना ठीक नहीं है। कहा कि महाभारत में दो किरदार शकुनी और धृतराष्ट्र थे। धृतराष्ट्र को जुआ दुर्योधन से खिलाना चाहिए था लेकिन इस समय शकुनी के माध्यम से जुआ खेला था जो चालबाज था। मामला परिवार का था। जुवा खेलते तो दुर्योधन से खेलते।

महाभारत के माध्यम से परिवार के सियासी युद्ध का जिक्र

महाभारत के माध्यम से परिवार के सियासी युद्ध का जिक्र

शिवपाल यही नहीं रुके। उन्होंने परिवार के सियासी युद्ध को संकेतों के माध्यम से आगे रखने का प्रयास किया। शिवपाल ने कहा कि महाभारत में भी दुर्योधन को बड़े बुजुर्गों ने समझाया था लेकिन वह नहीं माना। परिवार के बीच ही महायुद्ध हुआ और उसका नतीजा क्या निकला सबको पता है। सबकुछ नाश हो गया। जब युद्ध होता है तो सब कुछ नाश हो जाता है।

मुलायम का चरखा दाव और धोभी पाठ क्यों याद आया

मुलायम का चरखा दाव और धोभी पाठ क्यों याद आया

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के चीफ शिवपाल यादव सामाजिक परिवर्तन यात्रा के तहत इटावा पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि नेताजी के साथ 40 साल तक काम किया। इस दौरान चरखा दाव और धोबी पाठ आजमाकर कई लोगों को पार्टी से जोड़ा था। अभी ये दाव भुला नहीं हूं। राजनीति में आगे भी इस दाव कि अहमियत बनी हुई है और आपको देखने को भी मिलेगा। अभी भी सुलह के रास्ते बंद नहीं हुए है।

अखिलेश- शिवपाल के बीच कौन बन रहा शकुनी

अखिलेश- शिवपाल के बीच कौन बन रहा शकुनी

अखिलेश और शिवपाल के बीच समझौते को लेकर कवायद पिछले कई महीनों से चल रही है लेकिन पवार के भीतर कोई ऐसा शख्स है जो शकुनी की तरह दोनो के समझौते में आड़े आ रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक शकुनी के रुप मे शिवपाल का इशारा प्रोफेसर रामगोपाल यादव की तरफ था। बताया जाता है की जब अखिलेश और शिवपाल के बीच पारिवारिक घमासान मचा था तब भी इसके केंद्र में राज्यसभा सांसद प्रोफेसर रामगोपाल यादव का ही नाम आया था। उस समय शिवपाल ने सीधे तौर पर भी रामगोपाल पर परिवार में मतभेद पैदा करने का आरोप लगाया था। वहीं दूसरी तरफ सूत्रों के अनुसार शिवपाल यादव मुलायम सिंह के रवैए से भी खुश नहीं है। सारे विवादों के बीच जिस तरह से मुलायम सिंह यादव चुप्पी साधे हुए हैं उससे ऐसा लग रहा है की वो भी पुत्र मोह से घिरे हुए हैं। हालाकि मुलायम सिंह ने भी पिछले दिनों कहा था की दोनो के बीच समझौता नहीं हुआ तो सब बर्बाद हो जाएगा।

महाभारत का पहले भी जिक्र कर चुके हैं शिवपाल

महाभारत का पहले भी जिक्र कर चुके हैं शिवपाल

ऐसा नही है की शिवपाल यादव पहली बार महाभारत के युद्ध का जिक्र करके पारिवारिक युद्ध को समझने की कोशिश कर रहे हैं। कुचवदीन पहले ही शिवपाल ने कहा था की पांडवों ने तो समझौते में पांच गांव ही मांगे थे। हमने भी अपना और अपने साथियों का सम्मान ही मांगा है लेकिन वो इसके लिए भी तैयार नहीं हैं। अब लग रचाई कि कौरवों के साथ युद्ध ही होगा। सूत्रों मुताबिक शिवपाल यादव ने समझौते के तहत अखिलेश से 30 विधानसभा सीटें मांगी थीं लकी सपा देने को तैयार नहीं है।

शिवपाल-रामगोपाल की है पुरानी अदावत

शिवपाल-रामगोपाल की है पुरानी अदावत

दरअसल शिवपाल और रामगोपाल के बीच ये अदावत नई नहीं है। लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान धर्मेंद्र यादव चुनाव लडे़ थे लेकिन शिवपाल ने वहां जाकर अपनी टांग अड़ा दी थी। बताया जाता है कि तब शिवपाल यादव ने धर्मेंद्र यादव के खिलाफ जमकर प्रचार किया था जिसकी वजह से धर्मेंद्र को हार का सामना करना पड़ा था। बदायूं के अलावा फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर भी शिवपाल ने अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा था। उनकी वजह से ही अक्षय यादव को हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद से ही रामगोपाल शिवपाल से बदला लेने का मौका तलाश रहे थे, तो क्या अब वही रामोगपाल अखिलेश और शिवपाल के बीच समझौते में टांग अड़ा रहे हैं, जिसका जिक्र शिवपाल शकुनी के तौर पर कर रहे हैं।

अखिलेश और शिवपाल ने निकाली अलग अलग रथयात्रा

अखिलेश और शिवपाल ने निकाली अलग अलग रथयात्रा

आपसी तालमेल की कमी और समझौता न होने की वजह से ही अखिलेश ने जहां कानपुर से समाजवादी विजय यात्रा का आगाज किया वहीं शिवपाल यादव ने मथुरा से सामाजिक परिवर्तन यात्रा की शुरुवात की थी। अखिलेश पहले चरण की यात्रा के तहत कानपुर बुंदेलखंड से होकर लखनऊ आ चुके हैं जबकि शिवपाल की यात्रा इटावा तक पहुंची है। दोनो की यात्राओं में भारी भीड़ दिखाई दे रही है। यात्रा शुरू करने से पहले जब शिवपाल की यात्रा को लेकर अखिलेश से सवाल किया गया तो उन्होंने केवल इतना ही कहा कि दोनों यात्राओं का मकसद एक ही है।

यह भी पढ़ें- यूपी चुनाव: ओमप्रकाश राजभर ने फिर मारा यू-टर्न, कहा- शर्तें माने BJP तो हम गठबंधन को तैयारयह भी पढ़ें- यूपी चुनाव: ओमप्रकाश राजभर ने फिर मारा यू-टर्न, कहा- शर्तें माने BJP तो हम गठबंधन को तैयार

Comments
English summary
Why Shivpal remembered Mulayam's spinning wheel, who is becoming Shakuni in alliance between uncle and nephew
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X