कानपुर में 249 टेनरियों को सील करने के आदेश, लाखों लोगों पर मंडराया रोजगार का संकट
कानपुर। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगा को प्रदूषण से बचाने से जुड़ी एनजीटी की निगरानी समिति की रिपोर्ट मिलने पर 249 टेनरियों को बंद करने के आदेश दिए हैं। ये टेनरियां जाजमऊ क्षेत्र में हैं, इनसे नदी प्रदूषित हो रही थी। इन पर संज्ञान लेते हुए बोर्ड के अधिकारियों ने 191 टेनरी संचालकों को नोटिस भेजे, फिर सभी पर ताले भी जड़वा दिए। अधिकारियों का कहना है कि शेष टेनरियां भी बंद कर दी जाएंगी।
गंगा
में
प्रदूषण
फैला
रहीं
टेनरियां
बता
दें
कि,
यहां
अक्टूबर
में
ही
गंगा
में
प्रदूषण
फैलाने
के
आरोपों
के
बाद
20
टेनरियों
के
खिलाफ
6.25
लाख
का
जुर्माना
लगाया
था।
जिसके
बाद
संचालकों
ने
कहा
था
कि
जल
निगम
की
नाकामी
की
सजा
कानपुर
के
चमड़ा
उद्योग
को
भुगतनी
पड़
रही
है।
वहीं,
कानपुर
में
कामन
एफ्लुएंट
ट्रीटमेंट
प्लांट
(सीईटीपी)
पूरी
तरह
संचालित
न
हो
पाने
के
कारण
उत्तर
प्रदेश
प्रदूषण
नियंत्रण
बोर्ड
ने
एक
और
फैसला
ले
लिया।
मुख्यमंत्री
योगी
के
निर्देशों
के
बाद
लिया
फैसला
संवाद
सूत्रों
के
अनुसार,
यह
फैसला
दरअसल
अगले
वर्ष
प्रयागराज
में
कुम्भ
को
देखते
हुए
लिया
गया
है।
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
के
निर्देश
पर
इस
साल
16
मई
को
कानपुर
के
जाजमऊ
में
सीइटीपी
और
पम्पिग
स्टेशनों
को
उनकी
मरम्मत
के
लिए
17.68
करोड़
रुपये
दिए
गए
थे।
इसका
संञ्चालन
पूरी
क्षमता
के
साथ
12
नवम्बर
तक
हर
हाल
में
किया
जाना
था,
लेकिन
नहीं
हो
स्का।
क्योंकि,
कुम्भ
2019
को
देखते
हुए
प्रदूषण
नियंत्रण
बोर्ड
फ़िलहाल
कोई
जोखिम
नहीं
उठाना
चाहता,
ऐसे
में
बोर्ड
ने
यहाँ
की
सभी
249
फैक्ट्री
का
संञ्चालन
बंद
करने
का
आदेश
दे
दिया
है।
टेनरी
उद्योग
बंद
होने
से
कहां
जाएगी
4
लाख
लेबर?
वहीं,
बोर्ड
के
फैसले
पर
टेनरी
संचालक
रहमान
का
कहना
है
कि
इस
जिले
में
टेनरी
उद्योग
बहुत
फला-फूला
था।
इसमें
लगभग
4
लाख
लेबर
हैं
और
टेनरियों
से
ही
उनके
परिवार
का
पालन-पोषण
होता
था।
यदि
अब
एक
दम
से
यह
उद्योग
बंद
हो
जाएगा
तो
भुखमरी
की
नौबत
आ
जायेगी।
लोग
बच्चों
का
पेट
पालने
के
लिए
गलत
काम
शुरू
कर
देंगे।''
टेनरी मालिकों ने यह भी कहा कि एकदम से ये आदेश आया है कि टेनरियां बंद हो जाएं, तो अधिकारियों को ये भी ध्यान रखना चाहिए कि उन टेनरियों में महिलाएं भी काम करती हैं। छोटे-छोटे रोजगार और गरीब वर्ग के लोग अस्त-व्यस्त हो जाएंगे। यदि कोई रास्ता नहीं बचा तो इलाके में भुखमरी तो निश्चित है। लोग मजबूरन सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।'
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