सांसद के तौर पर 'इंडिया' का नाम बदलवाना चाहते थे यूपी के नए सीएम आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ के लोकसभा सांसद के तौर पर कार्यकाल को देखें तो उन्होंने कई अहम मुद्दों को उठाया। इसमें देश का नाम इंडिया से बदल कर हिंदुस्तान करने का मामला भी शामिल है।
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ ने पदभार संभालते ही अधिकारियों को कई जरूरी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नई सरकार में कोई भी मंत्री लाल बत्ती का इस्तेमाल नहीं करेगा। सीएम बनते ही उन्होंने कहा कि नई सरकार विकास के मुद्दे पर काम करेगी।
यूपी का सीएम बनने से पहले योगी आदित्यनाथ की पहचान बीजेपी के फायरब्रांड नेता के तौर पर रही है। यूपी के गोरखपुर से बीजेपी के पांच बार सांसद रहे योगी आदित्यनाथ ने संसद में देश का नाम 'इंडिया' से बदल कर हिंदुस्तान करने की बात कही थी। उन्होंने इस मुद्दे पर लोकसभा में सांसद के तौर निजी विधेयक भी लेकर आए थे।
इंडिया का नाम बदलने को लेकर लाए थे लोकसभा में निजी बिल
योगी आदित्यनाथ के लोकसभा सांसद के तौर पर कार्यकाल को देखें तो उन्होंने कई अहम मुद्दों को उठाया। इसमें देश का नाम इंडिया से बदल कर हिंदुस्तान करने का मामला भी शामिल है। उन्होंने लोकसभा में निजी बिल लाकर संविधान में देश का नाम इंडिया से बदलकर हिंदुस्तान करने की मांग की थी। योगी आदित्यनाथ के इस बिल पर गौर करें तो उन्होंने कहा कि संविधान के आर्टिकल 1 का जिक्र करते हुए कहा कि वहां देश का नाम 'इंडिया' लिखा है जिसे बदलकर उन्होंने 'हिंदुस्तान' करने का प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा कि इंडिया का मतलब भारत है। योगी आदित्यनाथ ने दावा किया इंडिया शब्द गुलामी के प्रतीक को दर्शाता है। ऐसे में उन्होंने संविधान से इसे हटाया जाना चाहिए।
यूनीफॉर्म सिविल कोड को लेकर भी लाए बिल
इंडिया का नाम बदलकर हिंदुस्तान करने के बिल के अलावा योगी आदित्यनाथ यूनीफॉर्म सिविल कोड को लेकर दूसरा बिल लेकर आए। योगी आदित्यनाथ ने सांसद के तौर पर तीसरा बिल गौहत्या पर बैन की मांग को लेकर ले आए। इस बिल के जरिए उन्होंने देश भर में गौ-हत्या पर बैन की मांग की। इस के अलावा योगी आदित्यनाथ जबरन धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने और गोरखपुर में इलाहाबाद हाईकोर्ट की स्थायी बेंच बनाने को लेकर दो बिल लोकसभा में लाने की तैयारी में थे। अभी ये दोनों बिल लोकसभा में पेश नहीं किए गए हैं। आपको बता दें कि योगी आदित्यनाथ की ओर पेश किए गए बिल में से कोई भी पास नहीं हुआ है।
11 सत्र में योगी की उपस्थिति 77 फीसदी रही
सांसद के तौर पर 2014 तक के 11 सत्र में योगी आदित्यनाथ की संसद में उपस्थिति 77 फीसदी रही। दो सत्र ऐसे हैं जिसमें योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति 100 फीसदी रही। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद से योगी आदित्यनाथ हर बड़े मुद्दे पर बहस में शामिल होते रहे हैं।
मोदी के पीएम बनने के बाद सभी अहम मुद्दों पर बहस में हुए शामिल
गोरखपुर से सांसद होने के नाते योगी आदित्यनाथ ने अपने संसदीय क्षेत्र को लेकर कई मुद्दे उठाए। उन्होंने गोरखपुर में एम्स बनाने, इन्सेफ्लाइटिस बीमारी के साथ-साथ संविधान की आठवीं अनुसूचि में भोजपुरी भाषा का समावेश और पूर्वांचल को अलग राज्य बनाने की मांग दोहराते रहे हैं।