क्या राहुल की वजह से मच रही है कांग्रेस में भगदड़, जानिए कौन-कौन गए
2014 में आम चुनाव हारने वाली कांग्रेस अब तक संभल नहीं पाई है। उसके वरिष्ठ और अनुभवी नेता उसे छोड़कर जा रहे हैं।
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में आगामी विधासभा चुनाव के दिन नजदीक आते जा रहे हैं। सभी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। जिस तेजी से दिन बीत रहे हैं, उतनी ही तेजी से प्रदेश में कांग्रेस की हालत खराब होती जा रही है।
प्रदेश में पुराने नेता और कार्यकर्ता मौजूदा पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी को नेता मानने को तैयार नहीं हैं। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी खराब तबीयत और शायद युवा कंधों पर पार्टी का कार्यभार डालने के लिए अब तक सामने नहीं आई हैं।
देखा जाए तो यह कहा जा सकता है कि 2014 में आम चुनाव हारने के बाद से कांग्रेस की खराब हुई हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है।
बृहस्पतिवार को कांग्रेस की यूपी इकाई में पूर्व अध्यक्ष और लखनऊ कैंट से विधायक रीता बहुगुणा जोशी ने भी राहुल के नेतृत्व को खराब बताते हुए इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने विधायक के पद से भी इस्तीफा दिया और भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।
इस साल की शुरूआत से लेकर अब तक कई नेता, विधायक और कार्यकर्ता पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं। आईए आपको बतातें हैं कि कौन कौन से कांग्रेस नेता अब तक पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं।
यूपी से 3 विधायक शामिल हुए भाजपा में
मणिपुर
से
कांग्रेस
के
वरिष्ठ
विधायक
युमखम
एराबट
ने
औपचारिक
तौर
पर
12
सिंतबर
को
भारतीय
जनता
पार्टी
का
दामन
थाम
लिया।
उन्होंने
कांग्रेस
से
इस्तीफा
देने
के
साथ-साथ
विधायक
पद
से
भी
इस्तीफा
दे
दिया
था।
कांग्रेस
की
यूपी
इकाई
से
बस्ती
स्थित
रुधौली
से
विधायक
संजय
प्रताप
जायसवाल,
कुशीनगर
स्थित
खड्डा
से
विधायक
विजय
कुमार
दुबे
और
गोण्डा
स्थित
नानपारा
से
विधायक
माधुरी
वर्मा
अगस्त
में
भाजपा
में
शामिल
हो
गए।
इन
तीनों
को
इसी
साल
जून
में
हुए
राज्यसभा
चुनावों
के
दौरान
पार्टी
विरोधी
गतिविधियों
में
शामिल
रहने
के
कारण
पार्टी
से
निष्कासित
कर
दिया
गया
था।
कांग्रेस की मणिपुर इकाई से ही पूर्व विधायक और पार्टी उपाध्यक्ष लोकेन सिंह ने अपने समर्थकों के साथ हाल ही में भाजपा में शामिल हो गए। लोकेन ने अपने समर्थकों के साथ 11 मई को राज्य की विधानसभा सीट सागोलबंद सीट से इस्तीफा दे दिया था।
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उत्तराखण्ड के पूर्व सीएम विजय बहुगुणा
कांग्रेस नेता शिवकुमार उरमलिया इसी माह अक्टूबर में भाजपा के साथ हो लिए। इससे पहले वो स्पष्ट रूप से कह चुके थे कि मौजूदा केंद्र सरकार पीएम मोदी के नेतृत्व में बेहतर काम कर रही है। उन्होंने कहा था कि 2018 में राज्य के विधानसभा चुनाव में वो हर संभव योगदान देंगे
उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा अपने 8 अन्य बागी विधायकों के साथ इसी साल 19 मई को भाजपा में चले गए थे। हालांकि वहां कांग्रेस फ्लोर टेस्ट जीत गई थी।
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पेमा खांडू 42 विधायकों के साथ गए
अरुणाचल के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता रहे पेमा खांडू ने 42 विधायकों के साथ पीपुल पार्टी ऑफ अरुणाचल ज्वाइन कर ली थी जो भाजपा का सहयोगी दल है। 60 विधायकों वाली अरुणाचल की विधानसभा में 44 विधायक कांग्रेस के थे, 11 भाजपा और 2 अन्य थे। जिन 2 निर्दल विधायकों ने कांग्रेस का समर्थन किया था उन्होंने भी खांडू के साथ पीपुल पार्टी ज्वाइन कर ली थी।
कर्नाटक से कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद वसंत राव पाटिल ने भाजपा की कर्नाटक इकाई के पूर्व अध्यक्ष प्रह्लाद जोशी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए थे।
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अरुणाचल ने तो इतिहास ही रच दिया था
अरुणाचल प्रदेश में तो कांग्रेस के कालिखो पुल ने इतिहास ही रच दिया था। देश में ऐसा पहली बार हुआ था जब भाजपा की मदद से 'कांग्रेस' की सरकार बनी थी। साल 2015 के दिसबंर में कांग्रेस के 47 विधायकों में से 21 ने बगावत कर दी और नबाम तुकी की अगुवाई वाली कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई थी।
फिर 26 जनवरी, 2016 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। 16 फरवरी, 2016 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश के बाद राज्यपाल जे.पी. राजखोवा ने ईटानगर में राजभवन में आयोजित समारोह में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री कलिखो पुल के साथ कांग्रेस के 19 बागी, बीजेपी के 11 और दो निर्दलीय विधायक थे।
हालांकि जुलाई में फिर से कांग्रेस की सरकार खांडू के नेतृत्व में बन गई थी लेकिन वो भी विधायकों के साथ पीपुल पार्टी ऑफ अरुणाचल में शामिल हो गए थे।
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