चंद्रशेखर उर्फ रावण के 'बुआ' कहने पर मायावती ने कही चौंकाने वाली बात
लखनऊ। भीम आर्मी के चंद्रखेशर आजाद उर्फ रावण को लेकर बसपा सुप्रीमो ने चौंकाने वाला बयान दिया है। लखनऊ में रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए मायावती ने हाल में जेल से रिहा हुए चंद्रखेशर उर्फ रावण से किसी प्रकार का रिश्ता न होने की बात कही। उन्होंने कहा कि 'रावण' से उनका कोई वास्ता नहीं है। मायावती ने कहा, 'ऐसे लोगों से मेरा कोई रिश्ता नहीं है। मैं सिर्फ आम आदमी, दलितों, आदिवासियों और पिछड़ी जातियों के लोगों से जुड़ी हूं। कुछ लोग राजनीतिक स्वार्थ के लिए उनसे रिश्ता दिखा रहे हैं।'
जेल आते ही चंद्रशेखर उर्फ रावण ने की थी मायावती की तारीफ
जेल से बाहर आने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए चंद्रशेखर ने मायावती को बुआ बताते हुए उनकी जमकर तारीफ की थी। रावण ने कहा, 'मेरी रिहाई भाजपा की साजिश है, वो 10 दिन के अंदर मुझे फिर से किसी न किसी मामले में फंसाकर जेल में डाल सकती है। 2019 में भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकना ही हमारा लक्ष्य है। भीम आर्मी का पूरा समर्थन महागठबंधन को होगा और मेरे संगठन का एक भी व्यक्ति भाजपा को वोट नहीं करेगा।' रावण ने मायावती का जिक्र करते हुए कहा, 'बसपा अध्यक्ष मायावती मेरी बुआ हैं। उन्होंने दलित समाज के लिए बहुत काम किया है, उनसे हमारा किसी तरह का कोई विरोध नहीं है।'
क्यों जेल भेजे गए थे चंद्रशेखर उर्फ रावण
चंद्रशेखर उर्फ रावण 15 महीने बाद गुरुवार को जेल से बाहर आए। मई 2017 में सहारनपुर के शब्बीरपुर में जातीय हिंसा और रामपुर में दलित महापंचायत के दौरान बवाल के बाद चंद्रशेखर उर्फ रावण को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें रासुका लगाकर जेल भेज दिया गया था। इस दौरान उनकी रिहाई के लिए भीम आर्मी के सदस्यों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी विरोध प्रदर्शन किया था। पश्चिमी यूपी के कई जिलों में भीम आर्मी का प्रभाव है। माना जा रहा है कि दलितों की नाराजगी से बचने के लिए चंद्रशेखर के ऊपर से रासुका हटाकर उन्हें रिहा किया गया है।
कौन है चंद्रशेखर उर्फ रावण
चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण भीम आर्मी के अध्यक्ष हैं। चंद्रशेखर का जन्म सहारनपुर में चटमलपुर के पास धडकूलि गांव में हुआ था। जिले के एक स्थानीय कॉलेज से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। वह पहली बार 2015 में विवादों में घिरे थे। उन्होंने अपने मूल स्थान पर एक बोर्ड लगाया था, जिसमें 'धडकाली वेलकम यू द ग्रेट चमार' लिखा था। इस कदम ने गांव में दलितों और ठाकुरों के बीच तनाव पैदा कर दिया था। इसके बाद चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियां बटोरीं। चंद्रशेखर ने फेसबुक और व्हाट्सअप के जरिए लोगों को भीम आर्मी से जोड़ा।
कैसे सुर्खियों में आया भीम आर्मी का नाम
ितंबर साल 2016 में सहारपुर के छुटमलपुर में एएचपी इंटर कॉलेज में दलित छात्रों की पिटाई के बाद हुए विरोध प्रदर्शन के बाद पहली बार यह संगठन सुर्खियों में आया था। 5 मई 2017 को सहारनपुर से 25 किलोमीटर दूर शब्बीरपुर गांव में राजपूतों और दलितों के बीच हिंसा हुई थी। इसी घटना के बाद भीम आर्मी दलितों के लिए विरोध प्रदर्शन करने लगी और धीरे-धीरे उसका नाम चर्चा में आने लगा।