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यूपी: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सरकार अब शिक्षकों से नहीं करा सकेगी गैर शैक्षणिक कार्य

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इलाहाबाद। यूपी के स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों को अब गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाया जायेगा। सरकार उनसे शिक्षण कार्य ही करा सकेगी और इसके लिए अब हाईकोर्ट ने दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टीचर से बीएलओ का काम लिए जाने पर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए टीचरो के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि टीचरों का प्रमुख कार्य पढ़ाना है और इसके लिए आरटीई एक्ट में प्रावधान भी बनाए गए हैं।

High Court judgement non educational work forced by primary teacher

अब शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य तो नहीं करना होगा। लेकिन याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि सरकार शिक्षकों की ड्यूटी 10 वर्ष में होने वाली जनगणना, आपदा राहत कार्य और स्थानीय निकाय, लोकसभा, विधानसभा चुनाव में लगा सकती है और यह आरटीई एक्ट के अनुसार ही होगा। इससे टीचर इंकार नहीं कर सकेंगे।

शिक्षकों से गैर शैक्षण‍िक कार्य जैसे बीएलओ आदि का कार्य लेने के सरकार के फैसले को 17 शिक्षकों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चैलेंज किया था। जिस पर न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने सुनवाई करते हुए कहा कि अध‍िनियम 2009 की धारा 27 और नियम 21(3) के अनुसार शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं कराया जा सकता। सिर्फ 10 वर्ष में होने वाली जनगणना, आपदा राहत कार्य और चुनाव के दौरान टीचर की सेवाएं गैर शैक्षणिक कार्य के तौर पर ली जा सकेंगी। इस पर हाईकोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया है और शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई एक्ट) के कड़ाई से पालन करने का निर्देश जिलाधिकारियों को दिया है।

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English summary
High Court judgement non educational work forced by primary teacher
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