राजा नहीं रंक की तरह है भीम आर्मी के संस्थापक रावण का घर, देखिए तस्वीरें
सहारनपुर। भीम आर्मी एकता मिशन के संस्थापक चंद्रशेखर रावण को जेल से रिहा हुए तीन दिन पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन उनके यहां मिलने जुलने वालों की भीड़ कम नहीं हो पा रही है। वह पूरी तरह से सो भी नहीं पाए हैं, क्योंकि दिन रात न केवल देशभर से समर्थक आ रहे हैं, बल्कि रिश्तेदारों का आना जाना भी लगा है।
रावण के घर जश्न का माहौल
चंद्रशेखर आजाद ‘रावण' का घर सहारनपुर के छुटमलपुर कस्बे की एक तंग गली में है। जिस स्थान पर उनका मकान है, वह बहुत ही तंग स्थान है। तीन दिन पहले जेल से रिहा होने के बाद से उनके आवास पर न केवल देशभर के समर्थक और रिश्तेदारों का आना जाना भी भी लगा है। यहां पर आने जाने वालों को पूरा सम्मान तो दिया ही जा रहा, साथ ही उनके आवास पर एक ऐसे जश्न का माहौल नजर आ रहा है, जैसे किसी की शादी हो रही हो।
मां ने भी लोगों को दिया समय
उनकी मां कमलेश भी मिलने वालों का पूरा सत्कार कर रही है। रिश्तेदारियों से आई महिलाओं को उनकी मां पूरा समय दे रही है। परिवार के अन्य सदस्य भी आगंतुकों के सत्कार में लगे हैं। चंद्रशेखर चूंकि दलित हैं और डाक्टर अंबेडकर के साथ साथ बौद्ध धर्म में विश्वास रखते हैं, इसलिए उनके आवास पर बौद्ध धर्म का पंचशील ध्वज भी नजर आ रहा है।
दलितों के साथ मुस्लिमों ने भी की मुलाकात
चंद्रशेखर से न केवल दलित बल्कि मुस्लिम भी लगातार मुलाकात कर रहे हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नेताओं ने भी उनसे कल मुलाकात की। उनके घर का हाल देखने पर पता चला कि वह पशु पालन भी करते हैं। उनके इस छोटे से घर पर भैंस भी बंधी नजर आई। चंद्रशेखर को पसंद करने वालों में ज्यादातर युवा हैं। इन युवाओं में दलित युवाओं और युवतियों की संख्या सर्वाधिक नजर आ रही है।
रावण की तबीयत हुई खराब
रविवार की शाम चंद्रशेखर कुछ समय के लिए आराम करने के लिए अपने कमरे में गए तो बाहर सैकडों लोगों की भीड़ जमा हो गई। भीम आर्मी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनजीत नौटियाल बताते हैं कि चंद्रशेखर के स्वास्थ्य में थोडी गिरावट आई है। वह थकान महसूस कर रहे हैं। संभवत: यह इसलिए हुआ, क्योंकि चंद्रशेखर तीन दिनों से पूरी तरह से सो नहीं पाए हैं।
मां ने कहा बेटे पर है गर्व
चंद्रशेखर के छोटे भाई कमल इस वक्त घर की पुरी व्यवस्था संभाल रहे हैं। अतिथियों के सत्कार से लेकर आने जाने वालों को कोई दिक्कत न हो, यह काम कमल ही देख रहे हैं। भीम आर्मी के अन्य पदाधिकारी इस काम में उनका सहयोग कर रहे हैं। उनकी मां कमलेश देवी बताती है कि वह पूरी तरह से अपने बेटे के साथ हैं। उनका बेटा दलित समाज के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है और उनको अपने बेटे पर गर्व है।