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आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में दलित कार्ड खेलने की तैयारी में अखिलेश, जानिए इसके पीछे की सियासत

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लखनऊ, 04 जून : उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ संसदीय सीट पर होने वाले उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने दलित चेहरे पर अपना दावा ठोक दिया है। सपा ने आजमगढ़ से सुशील आनंद को उतारा है। सुशील आनंद बामसेफ के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे बलिहारी बाबू के बेटे हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 2019 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ से सांसद चुने गए थे। हालांकि, उन्होंने मैनपुरी जिले की करहल सीट से यूपी विधानसभा चुनाव लड़ा। जिसमें उन्होंने जीत हासिल की। जिसके बाद उन्होंने आजमगढ़ की लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। बाद में वह विधानसभा के प्रतिपक्ष के नेता चुन लिए गए।

अखिलेश यादव

अखिलेश ने दिया था आजमगढ़ से इस्तीफा

हालांकि इसके बाद अखिलेश यादव ने आजमगढ़ लोकसभा सीट के संसद पद से इस्तीफा दे दिया था. अखिलेश यादव अब यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। बता दें कि बलिहारी बाबू सपा में शामिल हुए थे। उससे पहले लंबे समय तक बलिहारी बाबू बामसेफ और फिर बसपा के साथ थे, लेकिन कोरोना काल में उनकी मृत्यु हो गई। इसे देखते हुए सपा ने दलित कार्ड चलाया है, क्योंकि मायावती ने अपना सारा जोर मुस्लिम चेहरे गुड्डू जमाली पर लगा दिया है.

विधानसभा चुनाव में सभी दस सीटें जीती सपा

पिछले विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ जिले की सभी 10 सीटों पर सपा उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी. आजमगढ़ सदर से सपा के दुर्गा प्रसाद यादव, सगरी सीट से सपा के डॉ एचएन सिंह पटेल, गोपालपुर सीट से सपा के नफीस अहमद, अतरौलिया सीट से सपा के संग्राम, निजामाबाद सीट से सपा के आलम, मुबारकपुर सीट से सपा के अखिलेश भी जीते. . वहीं, महनगर सीट से सपा की पूजा, जबकि लालगंज सीट पर भी सपा के बचाई ने विजयी परचम फहराया था. सपा के कमलाकांत ने दीदारगंज सीट जीती और फूलपुर पवई सीट सपा के रमाकांत ने जीती।

अखिलेश यादव

2019 में सांसद चुने गए थे अखिलेश

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव 2019 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ से सांसद चुने गए। हालांकि, उन्होंने यूपी विधानसभा चुनाव में मैनपुरी जिले की करहल सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था। इसमें उन्होंने जीत हासिल की थी। इसके बाद अखिलेश यादव ने आजमगढ़ की लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। अखिलेश यादव अब यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। हालांकि पहले ऐसी अटकलें लगाई जा रहीं थीं कि अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव या फिर आजमगढ़ के बाहुबली रमाकांत यादव को मैदान में उतार सकते हैं।

जानिए कौन हैं सुशील आनंद

सुशील आनंद बामसेफ के संस्थापक सदस्यों में से एक बलिहारी बाबू के पुत्र हैं। अब तक समाजवादी पार्टी इस सीट पर डिंपल यादव या रमाकांत यादव को उतारने की तैयारी कर रही थी. लेकिन रमाकांत ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। सुशील को मैदान में उतारने के पीछे राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सपा दलित कार्ड खेलकर अपना किला बचाने की रणनीति अपना रही है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले बसपा के शाह आलम गुड्डू जमाली लोकसभा उपचुनाव में प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल कर चुके हैं, जबकि भाजपा ने अभी तक प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया है. बीजेपी की तरफ से दिनेश लाल यादव निरहुआ का नाम आगे चल रहा है।

बसपा ने खेला है मुस्लिम कार्ड

बहुजन समाज पार्टी ने आजमगढ़ से शाह आलम उर्फ ​​गुड्डू जमाली को मैदान में उतारा है। बसपा पहले ही गुड्डू जमाली को मैदान में उतारकर मुस्लिम वोट बैंक तोड़ने की रणनीति अपना चुकी है। आजमगढ़ के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। आजमगढ़ उपचुनाव में 23 जून को मतदान होना है। बसपा यहां मुस्लिम और दलित समीकरण को लेकर आगे बढ़ रही है। उसे लग रहा है कि गुड्डू जमाली को आजमगढ़ में मुस्लिमों का साथ मिलेगा और दलितों के सहयोग से वह इस सीट पर जीत हासिल कर सकती है।

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English summary
Akhilesh preparing to play Dalit card in Azamgarh Lok Sabha by-election know the politics behind it
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