विधानसभा चुनाव के बाद BJP ने सपा को दिए ये 5 बड़े झटके, कैसे उबरेंगे अखिलेश
लखनऊ, 30 जुलाई: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी से मुकाबले के लिए ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP), जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल (RLD) और शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (PSP) के साथ गठबंधन किया था। इस गठबंधन में कुछ और छोटे दल भी शामिल थे जिसमें महान दल भी शामिल था। चुनाव के बाद बीजेपी ने एक तरफ जहां अखिलेश यादव को MLC, राज्यसभा और राष्ट्रपति चुनाव में झटका दिया वहीं सपा को कमजोर करने के लिए बीजेपी ने उनके सहयोगियों में भी सेंध लगाने का काम किया। आज हम आपको बताएंगे उन 5 बड़े झटकों के बारे में जो बीजेपी ने अखिलेश यादव को विधानसभा चुनाव के बाद दिया है।
लोकसभा उपचुनाव में अखिलेश को बीजेपी ने दी करारी शिकस्त
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में शानदार जीत मिलने के बाद बीजेपी ने चुनाव के बाद भी झटके पर झटका दिया। विधानसभा चुनाव के बाद यूपी में रामपुर और आजमगढ़ जैसी अहम लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ। दरअसल यह चुनाव इसलिए हुआ क्योंकि अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल सीट से और सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान रामपुर की स्वार सीट से विधायक बन गए थे। दोनों सीटों पर हुए उपचुनाव अखिलेश के लिए लिटमस टेस्ट की तरह था लेकिन बीजेपी ने अखिलेश के गढ़ में सेंध लगा दी और दोनों ही सीटों पर परचम लहराने में सफलता हासिल कर ली।
राष्ट्रपति चुनाव में अखिलेश के गठबंधन में लगाई सेंध
लोकसभा उपचुनाव में अखिलेश को मात देने के बाद भी बीजेपी चुप नहीं बैठी। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी कुशल रणनीति का परिचय दिया। राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू लखनऊ में चुनाव प्रचार के लिए आईं थीं। यहां आने पर सीएम योगी ने अपने आवास पर एक डिनर दिया था। इसमें शिवपाल यादव और राजभर को भी आमंत्रित किया गया था। दोनों नेताओं ने डिनर में पहुंचकर सबको चौंका दिया। बाद में इन दोनों नेताओं ने एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को ही वोट दिया। इससे अखिलेश के साथ इन दोनों नेताओं की तल्खी और बढ़ गई थी। इससे नाराज अखिलेश ने दोनों नेताओं को पत्र लिखकर स्वतंत्र होने का रास्ता साफ कर दिया। एक तरह से बीजेपी यहां भी अखिलेश के खेमे में सेंध लगाने में कामयाब हो गई।
राजभर को अखिलेश से अलग करने में कामयाब हुई बीजेपी
राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ओम प्रकाश राजभर और अखिलेश यादव के बीच तल्खी का असर भी कुछ ही दिनों में दिख गया। चुनाव के बाद राजभर ने अखिलेश के खिलाफ बयान देना शुरू कर दिया जिससे वो लगातार असहज हो रहे थे। आखिरकार राजभर ने कह दिया कि उन्हें अखिलेश से तलाक का इंतजार है। इसके बाद अखिलेश का धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने पत्र लिखकर राजभर को अलग होने के लिए स्वतंत्र होने की बात कह दी। मौके की तलाश में जुटे राजभर ने अखिलेश के तलाक को तुरंत कबूल कर लिया। हालांकि यह फैसला अखिलेश यादव के लिए इतना आसान नहीं था क्योंकि विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश को राजभर के साथ होने का फायदा पूर्वांचल में मिला था। पूर्वांचल में सपा को बीजेपी पर बढ़त मिली थी। राजभर के अलग होने के बाद अब अखिलेश के सामने पूर्वांचल की जंग जीतना इतना आसान नहीं होगा।
शिवपाल ने भी भतीजे अखिलेश से अलग पकड़ी राह
ओम प्रकाश राजभर के बाद अखिलेश के लिए सबसे बड़ी मुसीबत उनके चाचा शिवपाल यादव ही बने थे। वो भी लगातार अपने भतीजे अखिलेश को नसीहतें दे रहे थे। विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने सपा के साथ आने का फैसला लिया था। शिवपाल को उम्मीद थी कि अखिलेश उनकी भावनाओं का ख्याल रखेंगे और टिकट के वितरण में भी उनकी सुनी जाएगी। लेकिन अखिलेश ने जब टिकटों का बंटवारा शुरू किया तब शिवपाल के एक भी करीबी को टिकट नहीं दिया। यहां तक कि शिवपाल को केवल जसवंत नगर से टिकट दिया। केवल एक सीट पर सिमटे शिवपाल भी नाराज हो गए। वो भी राजभर की तरह मौके की तलाश में थे और राष्ट्रपति चुनाव ने उनको वो मौका दे दिया। अब शिवपाल भी अखिलेश से अलग होकर अपनी पार्टी को मजबूत करने में जुटे हुए हैं।
विधान परिषद में सपा की नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी भी गई
विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद सपा को सबसे बड़ा झटका विधान परिषद में बीजेपी ने दिया। दरअसल विधान परिषद की 100 सीटों में 72 सीटें बीजेपी के पास आ गई हैं। यूपी के इतिहास में यह पहला मौका था जब विधानसभा के साथ ही विधान परिषद में भी बीजेपी का पास पूर्ण बहुमत आ गया। लेकिन उधर सपा की सीटें दस फीसदी से कम हो गईं। सदन में सपा की संख्या घटकर 9 हो गई है। इसके साथ ही विधान परिषद में सपा की नेता प्रतिपिक्ष की कुर्सी भी छिन गई। हालांकि नेता प्रतिपक्ष इस मामले को लेकर हाइकोर्ट पहुंच गए हैं जहां अब इस सियासी कुर्सी की लड़ाई का फैसला होना है।