देश के दो टॉप एथलीट डोप टेस्ट में फेल, मेडल की बड़ी उम्मीद थे, अब लग गया बैन
नई दिल्ली, 30 अप्रैल: भारत ने जितना प्रयास डोपिंग से निजात पाने का किया है, कई बार उतने की झटके देश को तब लग जाते हैं जब उसके अपने ही एथलीट डोपिंग की गिरफ्त में आने के बाद गिरफ्तार हो जाते हैं। ताजा मामला देश को दो ट्रैक एंड फील्ड टोक्यो ओलंपियनों का है, इनमें एक महिला है और एक पुरुष। ये दोनों डोप टेस्ट को फेल कर गए हैं क्योंकि इन्होंने एनाबॉलिक स्टेरॉयड का सेवन किया था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इन पर चार साल का बैन लग रहा है।
हालांकि इस मामले में अपनी फजीहत से बचने के लिए एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने अपने होंठों को सिल रखा है लेकिन कई सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन टॉप के दो एथलीटों को नेशनल ट्रेनिंग कैम्प से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार एक नेशनल कोच का कहना है कि दो ट्रैक एंड फील्ड एथलीट पॉजिटिव पाए गए हैं और वे नेशनल कैम्प के हिस्से नहीं हैं।
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भारत डोपिंग में तीसरे स्थान पर है। देश में विभिन्न खेलों में 152 डोप केस हैं जो रूस (167) और इटली (157) जैसे लिस्ट में टॉप करने वाले देशों की तुलना में कम है।
जिस महिला एथलीट का टेस्ट पॉजिटिव बताया है उसके कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में मेडल जीतने की उम्मीद थी और वह वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप फाइनल में प्रवेश करने की दावेदार थी।
दूसरी ओर पुरुष एथलीट की मौजूदा फॉर्म बढ़िया नहीं चल रही थी लेकिन वह अभी भी इंटरनेशनल मेडलिस्ट था। उसका टेस्ट प्रतियोगिता से बाहर लिया गया था।
ये दोनों ही टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम का हिस्सा थे। इस योजना के तहत एथलीटों को खेल मंत्रालय से फंडिंग मिलती है।
घरेलू लेवल पर एक अंडर-23 खिलाड़ी, जो महिला की 100 मीटर रेस की विजेता है, को डोपिंग का आरोपी पाया गया। इस खिलाड़ी को भविष्य की स्टार माना जा रहा था। इसके अलावा एक पुरुष खिलाड़ी ने डोप टेस्ट पॉजिटिव दिया है।
इन दोनों को तीन साल का बैन मिला है क्योंकि इन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोप पर अपील करने की जगह उसको स्वीकार किया था।