वाह जापान, वाह ! इतिहास रच दिया, दो वर्ल्ड चैंपियन को हराना कोई तुक्का नहीं
Fifa world cup 2022। वाह जापान ! वाह जापान ! जीत की खुशी में वे दीवानों की तरह चिल्ला रहे थे। गुरुवार की आधी रात टोक्यो की सड़कों पर जोश का समंदर लहरा रहा था। खुशी संभाले नहीं संभल रही थी। विश्वकप फुटबॉल में जापान ने इतिहास रचा दिया था। वह प्री क्वार्टर फाइनल में पहुंच चुका था। यह जीत इसलिए ऐतिहासिक थी क्योंकि जापान ने दो वर्ल्ड चैंपियन को हरा कर कर अंतिम 16 में जगह बनायी थी। वह भी अपने ग्रुप ई में टॉप पर रहते हुए। पहले जर्मनी को हराया। फिर स्पेन को। ये दोनों जीत कल्पना से परे थी। बिल्कुल अविश्वसनीय। लेकिन जापान ने असंभव को संभव बना दिया। ऐसी जीत पर भला कौन नहीं इतराएगा। जोश से भरे हुए जापानी अब यह सोच रहे हैं कि उनका देश क्रोएशिया से जीत कर क्वार्टर फाइनल में भी जाएगा।
जापान का असाधारण प्रदर्शन
2002 के विश्वकप में भी जापान अंतिम 16 में पहुंचा था। उस समय उसने बेल्जियम से 2-2 से ड्रा खेला था। रूस को 1-0 से और ट्यूनिशिया को 2-0 से हराया था। तब जापान ने किसी विश्व विजेता देश को नहीं हराया था। लेकिन 2022 में उसने एक नहीं बल्कि दो विश्व विजताओं को हराया। यह असाधारण प्रदर्शन नहीं है तो क्या है ? जापान ने पहले मैच में ही पूर्व विश्वविजेता जर्मनी को हरा कर तहलका मचा दिया था। लेकिन दूसरे मैच से जब वह कोस्टारिका से हार गया तो अधितर लोगों ने यही समझा कि जापान की पहली जीत तुक्का थी। लेकिन उसने जबर्दस्त वापसी की। 2010 की चैंपियन और दुनिया की नम्बर 7 टीम स्पेन को हरा कर उसने अपने फुटबॉल कौशल का लोहा मनवा दिया।
क्या कमाल का गोल था !
स्पेन के खिलाफ जापान ने जो पहला गोल किया वह टूर्नामेंट के टॉप टेन में से एक था। क्या नजारा था ? 47वें मिनट में स्पेन के बैक ने जापान के फॉरवर्ड से गेंद बचाने के लिए गोलकीपर को पास दी। स्पेन के गोलकीपर ने बाएं फ्लैंक में अपने मिडफिल्डर की तरफ ऊंचा शॉट लगाया। स्पेन के सेंटर बैक जब तक बॉल को रिसीव करते तब तक जापान के लेफ्ट विंगर जुनाया इटो ने हेडर के लिए जंप लगा दी। जुनाया इतनी तेजी से से दौड़ कर आये कि स्पेन के रक्षक भौंचक्के रह गये। जुनाया के जंप से स्पेन के सेंटर बैंक ने संतुलन खो दिया और गेंद रित्शु डोआन के पास आ गयी। रित्शु उस समय स्पेन के पेनल्टी बॉक्स से करीब दो गज आगे खड़े थे। उन्होंने स्पेन के एक खिलाड़ी को चकमा दिया और करीब 20 दूर से ही एक ऐसा दनदनाता हुआ शॉट लगाया कि गेंद गोली की रफ्तार से गोल में जा घुसी। इतनी दूर से गोल में निशाना साधना असाधारण प्रदर्शन था। यह गोल 48वें मिनट में आया। तीन मिनट बाद ही ओ तनाका ने दूसरा गोल कर जापान को 2-1 से बढ़त दिला दी। ये बढ़त अंत तक कायम रही और जापान जीत गया।
VAR जांच के बाद जापान का दूसरा गोल मान्य
हालांकि तनका के विजयी गोल पर विवाद भी हुआ। पहले गोल के तीन मिनट बाद दाएं फ्लैंक से जापान ने एक मूव बनाया। पेन्ल्टी बॉक्स से बाहर जापान के फॉरवर्ड ने गेंद अपने साथी खिलाड़ी रित्शु डोआन की तरफ बढ़ायी। वे स्पेनी गोलपोस्ट के बाएं खड़े थे। पास उनसे थोड़ा दूर था। उन्होंने गेंद की तरफ तेज दौड़ लगायी। एक डिफेंडर के टैकल करने के कारण सीमा रेखा पर पहुंच गयी। लेकिन रित्शु डोआन ने फिर भी कोशिश नहीं छोड़ी। उन्होंने गेंद को लाइन से अंदर खींचा और गोल की तरफ एक क्रॉस पास उछाल दिया। स्पेन के गोलकीपर बीच में खड़े होने की बजाय बिल्कुल बाएं खड़े थे। हवा में तैरती हुई गेंद तनाका को मिली जिन्होंने खाली पड़े गोल में गेंद डाल दी। इस गोल पर विवाद यह था कि जब रित्शु आउट लाइन पर गेंद को कंट्रोल कर रहे थे तब वह सीमा रेखा से बाहर थी। यह मामला VAR (वीडियो असिस्टेंट रेफरी) चेक के लिए गया। जांच के बाद रेफरी ने तनाका के इस गोल को मान्य करार दिया। चूंकि जांच के बाद इस गोल को मान्यता दी गयी इसलिए इस पर किसी विवाद का कोई मतलब नहीं है।
रित्शु डोआन जापान के करिश्माई खिलाड़ी
जापान ने स्पेन के खिलाफ योजना बना कर जीत हासिल की। ये भाग्य से मिली जीत नहीं थी। जब खेल के शुरू में ही जापान एक गोल से पिछड़ने लगा तो कोच मोरियासू के दिमाग में कुछ चलने लगा। जापान को बराबरी का गोल चाहिए था लेकिन आ नहीं रहा था। 45 मिनट के खेल के बाद मोरियासू ने दो बदलाव किये। इसी समय रित्शु डोआन और मिटोमा को मैदान पर उतारा गया। मैदान पर उतने के तीन मिनट बाद ही रित्शु ने पहला गोल कर दिया। फिर उन्होंने दूसरे गोल में भी अहम भूमिका निभायी। अगर उन्होंने सीमा रेखा पर गेंद को नियंत्रित नहीं किया होता तो तनाका के लिए दूसरा गोल करने का मौका ही नहीं मिलता। यह बदलाव जापान की ऐतिहासिक जीत का कारण बना। रित्शु डोआन जापान के करिश्माई खिलाड़ी हैं। उन्होंने जर्मनी के खिलाफ भी शानदार प्रदर्शन किया था। शायद वे कोच के ट्रांप कार्ड हैं। जर्मनी के खिलाफ भी रित्शु डोआन स्थानापन्न खिलाड़ी के रूप में मैदान पर उतरे थे। उन्होंने कोच के फैसले को सही साबित किया था। जर्मनी के खिलाफ बराबरी का गोल भी रित्शु ने ही किया था। बाद में जापान को जीत मिली।