‘हार्दिक’ धन्यवाद ! न वो ठुकराते, न IPL का सरताज बनते
नई दिल्ली, 28 मई। 'हार्दिक' धन्यवाद, न आपने ठुकराया होता, न मैं आइपीएल का सरताज बनता। गुजरात टाइटंस के कप्तान हार्दिक पांड्या अपनी पुरानी टीम मुम्बई इंडियंस के बारे में कुछ ऐसा ही सोच रहे होंगे। कभी-कभी दुख में भी सुख के संदेश छिपे होते हैं। इसका अहसास कुछ समय बाद होता है।
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कुछ लोग हार्दिक को चुका हुआ चौहान मान बैठे थे। लेकिन वे तो मुकद्दर का सिकंदर निकले। कहां तो करियर दांव पर लगा था, कहां कप्तीनी मिल गयी। सोने पे सुहागा ये कि टीम आइपीएल के फाइनल में भी पहुंच गयी।
मुम्बई ने ठुकराया, गुजरात ने गले लगाया
नवम्बर 2021 में जब न्यूजीलैंड के खिलाफ भारतीय टीम चुनी गयी तो हार्दिक को फिटनेस और खराब फॉर्म की वजह से बाहर कर दिया गया था। एक समय हार्दिक की तुलना महान कपिल देव से की जाती थी। लेकिन एक वक्त ऐसा आया कि उनका टीम से ही पत्ता कट गया। ऑलराउंडर का टैग लगा था। लेकिन कमर की तकलीफ के कारण वे बॉलिंग कर नहीं पा रहे थे। बल्ला नाम के अनुरूप नहीं चल रहा था। इस साल आइपीएल शुरू होने के पहले मुम्बई इंडियंस ने उन्हें टीम से रिलीज कर दिया। वे मुम्बई के अहम खिलाड़ी थे। मैच फिनिसर माने जाते थे। लेकिन इस साल के शुरू में मुम्बई ने भी उनसे किनारा कर लिया। कोई उनपर भरोसा नहीं कर पा रहा था। लेकिन गुजरात टाइटंस का टीम प्रबंधन कुछ अलग सोच रहा था। उनकी इस अलहदा सोच की वजह थे बैटिंग कोच गैरी कर्स्टन और हेड कोच आशीष नेहरा। उन्हें हार्दिक की क्षमता पर पूरा भरोसा था। फिटनेस की समस्या थोड़े समय की बात थी। मुम्बई ने ठुकराया तो गुजरात टाइटंस ने उन्हें गले लगा लिया। 15 करोड़ की भारीभरकम धनराशि तो दी ही, सीधे कप्तान बना दिया। गुजरात टाइटंस के इस फैसले की भी आलोचना हुई। कुछ लोगों ने हंसी भी उड़ायी। लेकिन हार्दिक ने लाजवाब कप्तानी और हरफनमौला खेल से आलोचकों की बोलती बंद कर दी। गुजरात टाइटंस लीग में टॉप पर रही और अब फाइनल में है। जब कि मुम्बई आखिरी पायदान पर लुढ़क गयी। अब मुम्बई को अफसोस हो रहा होगा कि उसने हार्दिक की जगह पोलार्ड को क्यों नहीं रिलीज किया।
453 रन, 5 विकेट, 140 की रफ्तार
कई बार जिंदगी की ठोकरें इंसान के आत्मसम्मान को झकझोर देती हैं। तब वह कुछ कर गुजरने की जिद ठान लेता है। हार्दिक ने कमर का ऑपरेशन कराया। फिटनेस हासिल की। लय पाने के लिए कड़ी मेहनत की। मेहनत का फल मिला। आइपीएल फाइनल तक के सफर में उन्होंने अब तक 453 रन बनाये हैं। बॉलिंग में पांच विकेट लिये। उनकी बॉलिंग की काबिलेतारीफ बात ये रही कि उन्होंने 140 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार निकाली। चोट से उबर कर ऐसी बॉलिंग करना सचमुच कमाल की बात है। हार्दिक ने नवम्बर 2021 के बाद कोई मैच नहीं खेला था। सीधे आइपीएल खेलने उतरे और कामयाबी का झंडा गाड़ दिया। 2021 के टी-20 वर्ल्डकप में वे बतौर बल्लेबाज खेले थे। कमर दर्द के कारण वे बॉलिंग नहीं कर पा रहे थे। हार्दिक को एक बैटर के रूप में चुने जाने पर विवाद खड़ा हो गया था। जब भारत इस प्रतियोगिता में बुरी तरह नाकाम रहा तो हार्दिक निशाने पर आ गये। लेकिन उन्होंने सभी विफलताओं को भुला कर जबर्दस्त वापसी की। आज बड़े-बड़े सूरमा उनके आगे फीके पड़ गये हैं। सच ही गया है, सुर्खरू होता है इंसा ठोकरें खाने के बाद...।
हार्दिक एक दिलेर कप्तान
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर ब्रेड हॉग का मानना है कि हार्दिक पंड्या आइपीएल के सबसे अच्छे कप्तान साबित होंगे। उनमें उच्चकोटि की नेतृत्व क्षमता है। वे भविष्य में भारत की एकदिवसीय टीम के भी कप्तान बनेंगे। अच्छा कप्तान वही होता है जो अपने खिलाड़ियों की खूबी जाने और उस खूबी पर भरोसा भी करे। हार्दिक ने खुद कहा है कि उन्होंने अपने मेंटर महेन्द्र सिंह धोनी से बहुत कुछ सीखा है। कप्तानी की कला भी। अब तक हार्दिक ने बड़े शांत भाव से कप्तानी की है। चौथे मैच में अगर शमी वाला प्रकरण छोड़ दिया जाय तो उन्होंने मैदान पर बहुत ठंडे दिमाग से टीम का नेतृतव किया है। बैटिंग कोच गैरी कर्स्टन का भी मानना है वे एक प्रेरणदायी खिलाड़ी हैं। वे कप्तान के रूप में फ्रंट से लीड करते हैं जिससे दूसरे खिलाड़ियों का भी मनोबल बढ़ जाता है। हार्दिक की उम्र अभी 28 साल है। उन्होंने अपने खेल कौशल से सभी को चमत्कृत कर रखा है। गुजरात टाइटंस की कामयाबी में अहम भूमिका निभाने वाले राशिद खान भी हार्दिक की क्षमता के कायल हैं। उनका कहना है कि वे (हार्दिक) किसी से नहीं डरते। सामने कोई भी हो बिल्कुल बेखौफ रहते हैं। साहसिक फैसले लेते हैं और पूरे आत्मविश्वास से लेते हैं। खुले दिमाग से सोचते हैं। साथी खिलाड़ियों को अपने अंदाज से खेलने की छूट देते हैं। ये खूबियां ही उन्हें सबसे अलग कप्तान बनाती हैं। राशिद खां गुजरात के उपकप्तान हैं। जाहिर है अगर वे ऐसा सोचते हैं तो हार्दिक पांड्या 24 कैरेट सोना हैं।
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