दिन में क्रिकेटर, शाम में मंत्री, दो जिंदगियों के बीच कैसे तालमेल बैठाते हैं मनोज तिवारी
कोलकाता, 17 जून: दिन में शतक लगाकर बंगाल रणजी टीम को बचाने से लेकर, शाम में बतौर युवा खेल मंत्री आधिकारिक दस्तावेजों की फाइलों को निपटाने तक पश्चिम बंगाल के शिबपुर के विधायक मनोज तिवारी की दिनचर्या बड़ी व्यस्त है।
एक मौजूदा मंत्री और क्रिकेटर के रूप में अपनी दो भूमिकाओं के बीच संतुलन बनाने के लिए मल्टी-टास्किंग एक बड़ा सवाल है। लेकिन तिवारी के अनुसार उनको अब इसकी आदत हो गई है।
तिवारी ने इंडियन एक्सप्रेस पर बताया, "कई फाइलें और दस्तावेज हैं जिन पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता है। तो मेरा दिन लंबा है। चूंकि मैं खेल रहा हूं और अपने निर्वाचन क्षेत्र के कार्यालय नहीं जा सकता, मैंने उनसे फाइलों को यहां कुरियर करने के लिए कहा है। मैं फाइलों पर साइन करता हूं और उन्हें वापस भेजता हूं, ताकि मेरे काम में दिक्कत न आए। मैं फिर अपने कार्यालय को फोन करता हूं और बचे हुए काम की स्थिति की जांच करता हूं। मेरे पास ऐसे लोग हैं जो मुझे उन चीजों पर रोजाना प्रतिक्रिया देते हैं जिन्हें करने की जरूरत है।"
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गुरुवार को बेंगलुरु में मध्य प्रदेश के खिलाफ रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल ने बंगाल ने एमपी को दूसरे दिन 341 रन पर समेट दिया गया और बंगाल 273 रन पर पहुंच गया, जिसका मुख्य कारण तिवारी के 103 रन थे।
तिवारी ने 12 एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय और तीन टी 20 में भारत का प्रतिनिधित्व किया, तिवारी पूरी तरह से जानते हैं कि उनका टीम इंडिया का सपना खत्म हो गया है, और पिछली आईपीएल नीलामी में उनको जगह नहीं मिली। यानी वहां भी रास्ते बंद हो चुके हैं।
सवाल यह है कि वह अब भी पेशेवर क्रिकेट क्यों खेलते हैं?
वे कहते हैं, "यह मेरा सपना है कि बंगाल एक दिन रणजी ट्रॉफी जीते। मैं चाहता था कि जब मैं कप्तान था तो ऐसा हो, लेकिन दुख की बात है कि ऐसा नहीं हुआ। अब, मेरे जीवन में कम से कम एक बार रणजी ट्रॉफी जीतने वाली टीम का हिस्सा बनने की इच्छा है। यही एकमात्र कारण है जिसने मुझे प्रेरित किया है।"
गुरुवार को शतक जड़ने के बाद तिवारी ने अपनी जेब से एक नोट निकाला और बंगाल के ड्रेसिंग रूम की तरफ दिखा दिया। उन्होंने अपने परिवार को उनका समर्थन करने के लिए "धन्यवाद" नोट लिखा था।
पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के ठीक बाद, तिवारी ने बताया था कि पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के एक फोन कॉल ने उन्हें चुनाव मैदान में शामिल किया था। तिवारी ने आगे कहा कि, मैं हमेशा लोगों के लिए काम करना चाहता था और इस कठिन परिस्थिति में समाज में योगदान देना चाहता था।"