पकड़े गए भारतीय फौजियों के साथ खतरनाक सलूक करता है पाकिस्तान, जानिए आंखों देखा हाल
Sikar News, सीकर। भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान (IAF wing Commander Abhinandan) की सकुशल वतन वापसी हो गई है। अभिनंदन 27 फरवरी की सुबह LOC पर पाकिस्तान के लड़ाकू विमान F16 मार गिराते हुए पाक सीमा चले गए थे। तब से पाक के कब्जे में थे। भारत के दबाव में Pakistan ने एक मार्च की रात नौ बजकर 20 मिनट पर अभिनंदन को भारत को सौंप दिया।

पाक के नापाक मंसूबों का उसी की सरजमीं पर मुंहतोड़ जवाब देने वाले Indian Air Force Pilot अभिनंदन की रिहाई पर के मौके पर राजस्थान के सीकर जिले के गांव सिहोट छोटी निवासी पूर्व फौजी रतनलाल ढाका ने कहा कि पाकिस्तान सुधरने वाला नहीं है। उसको उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए।
आपको बता दें कि रतनलाल ढाका वो पूर्व फौजी हैं, जो पाकिस्तान की जेल में 34 अन्य भारतीय फौजियों के साथ एक साल तक कैद रहे। उस समय पाकिस्तान ने पकड़े गए फौजियों (prisoner of war in Pakistan) के साथ खतरनाक सलूक किया था। फौजियों को यातनाएं दी थी। पाक द्वारा भारतीय फौजियों के साथ कितना बुरा व्यवहार किया जाता है, इस बात के रतनलाल चश्मदीद गवाह हैं। जानिए पाकिस्तान के जुल्मों-सितम की कहानी खुद 76 वर्षीय रतनलाल ढाका की जुबानी...।

पाक सीमा में 15 किमी तक घुस गए थे हम
पूर्व फौजी रतनलाल ढाक बताते हैं कि बात भारत पाक युद्ध 1971 (India Pakistan war 1971) की है। उस समय मैं करीब 28 साल का था। भारतीय सेना में भर्ती हुए कुछ ही साल हुए थे। देशभक्ति और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने का जज्बा कूट-कूटकर भरा हुआ था। 1971 की जंग के मैदान में हमारी कंपनी के 110 को पाकिस्तानी फौज को खदेड़ना का जिम्मा मिला था। हमने पाक फौज को नाकों चने चबवा दिए थे और उनको खदेड़ते हुए पाकिस्तान में 15 किलोमीटर अंदर तक घुस गए थे।

मेजर समेत 35 जवानों को बनाया बंधक
युद्ध के दौरान पाकिस्तान को उल्टे पांव लौटने पर मजबूर करने के दौरान हमारी कम्पनी के 110 में से 75 जवान शहीद हो गए थे। मगर हौसला कम नहीं हुआ था। हम बहादुरी से आगे बढ़ते रहे। इसी दौरान पाक सीमा में हमारी कंपनी के कमांडर मेजर चौधरी समेत हम 35 जवानों को पाकिस्तानी फौज ने पकड़ लिया था। हम सबको को पाकिस्तान की जेल में डाल दिया गया था।

विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई का लाइव प्रसारण देखते रहे रतनलाल ढाका
पाकिस्तानी जेल में हमें खूब यातनाएं दी गई थी। हमसे रोड रोलर के धक्के लगवाए जाते थे। पाक सैनिक हम पर जो मर्जी जुल्म ढाते थे। उनके जुल्मों सितम सहने से इनकार करने पर जेल संतरी तुरंत गोली मार देने को तैयार हो जाते थे। हमें ना भरपेट खाना मिलता था और ना ही वो सुकून से सोने देते थे। ऐसी-ऐसी यातनाएं दी जाती थीं, जिनका मैं जिक्र भी नहीं कर सकता। पाकिस्तानी सेना ने हमें कैद रखे जाने की सूचना भारत को काफी समय बाद दी थी।

रेडियो के जरिए नाम किए उजागर
पाकिस्तान की कैद में चले जाने के करीब चार-पांच माह बाद हमारे नाम रेडियो से उजागर किए गए थे। इसके बाद हमें चिट्ठी लिखने की छूट दी गई। हमने परिजनों को चिट्ठी लिखकर हालात बयां किए। फिर भारत सरकार ने हमारी सकुशल वतन वापसी के लिए कदम उठाए। भारत के हस्तक्षेप पर करीब 12 माह बाद हमें जेल से रिहा किया गया था।