राजस्थान में बीजेपी के सामने 'धर्मसंकट', पीएम मोदी की वो बात जो वसुंधरा समर्थकों को नहीं आई पसंद
नई दिल्ली, 21 मई: राजस्थान की राजधानी जयपुर में बीजेपी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक जारी है। इस बैठक को शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संबोधित किया। बीजेपी के लिए राजस्थान में ये साल काफी अहम है, क्योंकि 2023 में वहां पर विधानसभा चुनाव होने हैं। इसको लेकर बीजेपी हाईकमान भी काफी सक्रिय है। बैठक के दौरान ही बीजेपी चीफ जेपी नड्डा ने ऐलान किया था कि अगला चुनाव कमल निशाना और पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा जाएगा, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके समर्थकों को ये बात पसंद नहीं आई।
वसुंधरा को किया जा रहा इग्नोर?
वसुंधरा समर्थकों का मानना है कि पिछला चुनाव बीजेपी के हाथ से इस वजह से निकला, क्योंकि हाईकमान ने चुनाव से पहले वसुंधरा राजे का नाम आगे नहीं किया था। इसके अलावा शेखावत और पूनिया बार-बार पीएम मोदी के नाम पर चुनाव लड़ने की बात कह रहे। वसुंधरा समर्थकों के मुताबिक ये सब उनकी नेता को इग्नोर करने के लिए किया जा रहा है, लेकिन पार्टी ये बात भूल रही कि वसुंधरा का क्रेज अभी भी राजस्थान में बरकरार है।
पीएम ने कही थी ये बात
वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि संगठन व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से बड़ा है। वंशवाद और परिवारवाद के कीचड़ में ही कमल खिला है। इसको भी वसुंधरा समर्थक अपनी नेता पर तंज के रूप में देख रहे हैं। इस पर प्रदेश अध्यक्ष पुनिया के समर्थकों का विचार अलग है। उनका कहना है कि वसुंधरा राजे पार्टी में गुटबाजी कर रही हैं। बीजेपी का साफ कायदा है कि कार्यकर्ता पार्टी के प्रति वफादारी दिखाएं, लेकिन वसुंधरा के समर्थक सिर्फ उनके प्रति वफादार रहना चाहते हैं। इस वजह से हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं।
सिर्फ सीएम पद पर ही मानेंगी वसुंधरा?
आमतौर पर बीजेपी जिस भी प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री को जीतने के बाद सीएम की कुर्सी नहीं दे रही, उसे केंद्र में या पार्टी में बड़े पद पर बिठाया जा रहा है, लेकिन वसुंधरा राजे कई बार इशारों ही इशारों में साफ कर चुकी हैं कि वो सीएम पद से समझौता नहीं करेंगी। हाल ही में उन्होंने पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की पुस्तक 'धरती पुत्र' का विमोचन किया था। उस दौरान उन्होंने कहा था- "जिन पत्थरों को हमनें दी थी धड़कनें, उनको जुबान मिली थी तो हम पर ही बरस पड़े"। ये लाइन उन्होंने अपने विरोधियों के लिए कही थी, जिसका मतलब है कि जिनको वो राजनीति में लेकर आईं, आज वो ही उनका विरोध कर रहे हैं।