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क्या पंजाब में कांग्रेस की जमीन खिसक गई ? आंतरिक आकलन में भारी नुकसान का अनुमान, AAP का भी जानिए हाल

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चंडीगढ़, 22 फरवरी: पंजाब विधानसभा चुनाव में इसबार जिस तरह से वोटरों का उत्साह कम हुआ है, उसके चौंकाने वाले नतीजे देखने को मिल सकते हैं। कांग्रेस में तो अभी से ही इसकी सुगबुगाहट भी शुरू हो गई है। पार्टी का एक आंतरिक अनुमान उसके समर्थकों की उम्मीदों को पलीता लगा सकता है। वहीं, आम आदमी पार्टी के लिए भी कम वोटिंग बहुत खुश होने की वजह नहीं लग रही है। क्योंकि, आंकड़े ये भी बता रहे हैं कि पिछले चुनाव में उसे जिन क्षेत्रों में अप्रत्याशित समर्थन मिला था, वहां वोटिंग में इस बार बहुत ही ज्यादा गिरावट देखी गई है। आखिरी परिणाम तो 10 मार्च को ही सामने आएंगे, लेकिन मतदान के आंकड़े बहुतों की बोलती बंद करने के लिए काफी है।

कम वोटिंग किसके लिए खतरे की घंटी है?

कम वोटिंग किसके लिए खतरे की घंटी है?

पंजाब विधानसभा चुनाव में दो दशकों के बाद इस बार सबसे कम वोटिंग हुई है। मतदान के प्रति मतदाताओं की यह बेरुखी किस पार्टी की उम्मीदों पर पानी फेरेगी, इसको लेकर चुनावी विश्लेषक तरह-तरह के अनुमान लगाने में जुटे हुए हैं। लेकिन, हम यहां सिर्फ कुछ तथ्यों पर बात कर रहे हैं। पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने सोमवार को मतदान प्रतिशत का जो फाइनल डेटा जारी किया है, उसके आधार पर यह करीब 72% यानि 71.95% तक पहुंचा है। लेकिन, पिछले तीन चुनावों की तुलना करें तो फिर भी यह सबसे कम मतदान है। क्योंकि, 2017 में 77.40%, 2012 में 78.20% और 2007 में 75.45% वोट पड़े थे। अलबत्ता 2002 में जरूर सिर्फ 65.14% ही मतदान हुआ था। अब सवाल है कि कम वोटिंग किसके लिए खतरे की घंटी है?

माझा, दोआबा और मालवा तीनों में कांग्रेस को झटके का अनुमान

माझा, दोआबा और मालवा तीनों में कांग्रेस को झटके का अनुमान

न्यू इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के आंतरिक आकलन में पार्टी को भारी नुकसान होने की आशंका जताई गई है। इस अनुमान के मुताबिक कांग्रेस को पंजाब के तीनों इलाकों माझा, दोआबा और मालवा में झटका लगने जा रहा है। पार्टी के एक सूत्र ने कहा, 'ऐसा लग रहा था कि किसान आंदोलन से अकाली दल को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं है और पार्टी ने अपनी खोई हुई जमीन वापस पा ली है। यदि शिरोमणि अकाली दल अच्छा करती है तो इससे कांग्रेस को मुश्किल हो सकती है।'

आम आदमी पार्टी से भी चुनौती मिलने का डर

आम आदमी पार्टी से भी चुनौती मिलने का डर

यही नहीं पार्टी सूत्रों का कहना है कि आम आदमी पार्टी भी बहुत बड़ी चुनौती खड़ी कर चुकी है। पार्टी माझा क्षेत्र में कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकती है, जहां पिछले चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को 25 में से 22 सीटें मिली थी। जबकि, इनमें से एक भी सीट आम आदमी पार्टी नहीं जीती थी। दरअसल, कांग्रेस के रणनीतिकार मानकर चल रहे थे कि चरणजीत सिंह चन्नी का कार्ड चलकर पार्टी ने दलित वोट बैंक पर डोरे डालने के लिए मास्टर स्ट्रोक चल दिया है। खासकर सुरक्षित सीटों को लेकर उसे कुछ ज्यादा ही उम्मीदें थीं। लेकिन, जैसा पहले भी हो चुका है कि पंजाब में करीब 32 फीसदी दलित वोटों के अकाली-बसपा गठबंधन और आम आदमी पार्टी के बीच बंटने का अनुमान है।

'आंतरिक कलह ने इसकी संभावनाओं को प्रभावित किया है'

'आंतरिक कलह ने इसकी संभावनाओं को प्रभावित किया है'

कांग्रेस के एक नेता ने कहा है, 'इसमें कोई शक नहीं कि एंटी-इंकंबेंसी थी, लेकिन पार्टी में आंतरिक कलह ने इसकी संभावनाओं को प्रभावित किया है। लोग आम आदमी पार्टी को इस बार एक मौका देना चाहते हैं और इससे उनको फायदा मिला है। अकाली दल के पक्ष में भी मौन समर्थन था।' दरअसल, इस बार पंजाब में बहुकोणीय मुकाबले में चुनाव हुआ है, जो यहां कि परंपरा से पूरी तरह से अलग है। इसलिए त्रिशंकु विधानसभा की अटकलबाजियों का बाजार जोरों से गरम है। कांग्रेस जहां आम आदमी पार्टी की जीत को लेकर आशंकित है, वहीं वोटिंग के आंकड़े उसके भी पसीने छुड़ा रहे हैं।

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आम आदमी पार्टी के लिए मतदाताओं का संकेत

आम आदमी पार्टी के लिए मतदाताओं का संकेत

पंजाब चुनाव में मतदान के जो आंकड़े आए हैं, उससे यह भी जानकारी मिल रही है कि इस बार वोटिंग का प्रतिशत खासकर उन इलाकों में भी कम रहा है, जहां अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी अपने व्यापक जनाधार होने के दावे करती रही है। जिन विधानसभा क्षेत्रों में पिछले चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों को जीत मिली थी, उनमें 2.3% से लेकर 9% तक इस बार वोटिंग कम हुई है। मसलन, तलवंडी साबो में जहां बलजिंदर कौर सीटिंग एमएलए हैं, वहां मतदान का प्रतिशत 86% से घटकर 83.70% रह गया है। यह गिरावट 2.3 % की है। इसी तरह कोटकपूरा में 4% और डिरबा में 4.4% कम वोटिंग हुई है। इसी तरह सुनाम में 5.4%, बरनाला में 6.6%, बुढलाडा में 6.2%, महल कलां में 9.4% और जगरांव में 9.8% कम वोटिंग हुई है।

English summary
After two decades of lowest voting in Punjab elections, Congress's internal assessment estimated huge loss
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