पंजाब: कैप्टन अपने गढ़ को छोड़कर दूसरी सीट से लड़ सकते है चुनाव, जानिए 20 साल से क़ब्ज़ा के बाद क्यों बदलेंगे सीट ?
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा देने के साथ ही यह बयान दिया था कि नवजोत सिंह सिद्धू को जीतने नहीं देंगे।
चंडीगढ़,
19
जनवरी
2022।
पंजाब
के
पूर्व
मुख्यमंत्री
कैप्टन
अमरिंदर
सिंह
ने
कांग्रेस
से
इस्तीफ़ा
देने
के
साथ
ही
यह
बयान
दिया
था
कि
नवजोत
सिंह
सिद्धू
को
जीतने
नहीं
देंगे।
उन्होंने
कहा
था
कि
आगामी
विधानसभा
चुनाव
में
किसी
भी
हाल
में
सिद्धू
को
जीतने
नहीं
देंगे
चाहे
वो
पंजाब
के
किसी
भी
विधानसभा
सीट
से
चुनाव
लड़ें।
अब
कैप्टन
अमरिंदर
सिंह
अपनी
उन्हीं
बयानों
पर
अमल
करते
हुए
नज़र
आ
रहे
हैं।
कैप्टन
अमरिंदर
के
इस
फ़ैसले
से
पंजाब
कांग्रेस
अध्यक्ष
नवजोत
सिंह
सिद्धू
के
लिए
मुश्किलें
खड़ी
हो
सकती
हैं।
खबर
आ
रही
है
कि
कैप्टन
अमरिंदर
सिंह
पटियाला
से
चुनावी
रण
में
नहीं
उतरेंगे।
अब
वह
अमृतसर
ईस्ट
विधानसभा
चुनाव
विधानसभा
सीट
से
चुनाव
लड़ने
की
रणनीति
तैयार
कर
रहे
हैं।
वहीं
पटियाला
से
उनकी
पत्नी
प्रीनीत
कौर
या
फिर
कोई
अन्य
परिवारिक
सदस्य
चुनावी
मैदान
में
उतर
सकते
हैं।
अमृतसर ईस्ट से चुनाव लड़ सकते हैं कैप्टन
कैप्टन अमरिंदर सिंह अमृतसर ईस्ट विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए रोड मैप तैयार कर चुके हैं। सूत्रों की मानें तो वह अमृतसर ईस्ट के पुनराने कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपने भरोसे में ले रहे हैं। उन्हें अमृतसर ईस्ट से चुनावी मैदान में उतरने की बात कह चुके हैं और उसी के मुताबिक समीकरण तैयार करने की नसीहतें भी दे चुके हैं। ग़ौरतलब है की भारतीय जनता पार्टी कैप्टन अमरिंदर सिंह को अमृतसर ईस्ट विधानसभा सीट देने के लिए राज़ी हो चुकी है। आपको बता दें कि पंजाब लोक कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच 30 सीटों पर सहमति बन चुकी है। भाजपा के उम्मीदवारों के ऐलान के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह भी अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस के प्रत्याशियों की घोषणा कर देंगे। उस सूची में वह अमृतसर ईस्ट से चुनावी ताल ठोकोंगे इसके साथ ही पटियाला से अपनी पत्नी या फिर पारिवारिक सदस्य को चुनावी रण में उतारेंगे।
अमृतसर से पहले परचम लहरा चुके हैं कैप्टन
कैप्टन अमरिंदर सिंह अमृतसर में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ लगातार सपंर्क में हैं। इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी बूथ लेवल पर अमृतसर ईस्ट हलका में दायरा बढाने का दिशा निर्देश दिया जा चुका है।ग़ौरतलब है कि शिरोमणि अकाली दल के कई नेता भी कैप्टन अमरिंदर सिंह के संपर्क में है,अंदरखाने सभी उन्हें ही समर्थन दे रहे हैं। अमृतसर से पहले भी कैप्टन अमरिंदर सिंह 2014 में लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के कहने पर चुनावी रण में उतर चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता अरुण जेटली को उन्होंने मात दी थी। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 4 लाख 62 हज़ार 876 वोटें हासिल की थी, वहीं भाजपा नेता अरुण जेटली 3 लाख 80 हज़ार 106 वोटों के साथ हार गए थे। ख़ास तौर से अमृतसर ईस्ट हलके की ही बात की जाए तो 2014 में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यहां से 69 हज़ार 58 वोटे हासिल की थीं। वहीं अरुण जेटली के खाते में 27 हज़ार 860 वोटें पड़ीं थी।
पटियाला में रहा है कैप्टन का दबदबा
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी बनाने से कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ी है। चूंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह 2002 से 2014 तक पटियाला सीट से विधायक रहे हैं। 2014 में लोकसभा चुनाव में भाजपा के अरुण जेटली को अमृतसर से हराने के बाद उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा दिया था। वहीं 2014 में उन्होंने अपनी पत्नि प्रिनीत कौर को पटियाला से उपचुनाव लड़ाया था और उन्होंने (प्रिनीत कौर) ने जीत भी हासिल की थी। 2014 से 2017 तक वह पटियाला से विधायक रही थीं। उसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर फिर से कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दांव आज़माते हुए जीत हासिल की। कांग्रेस को बहुमत मिली और कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री बने। इस तरह से देखा जाए तो पिछले 20 सालों से पटियाला सीट पर कैप्टन अमरिंदर सिंह का क़ब्ज़ा रहा है।
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