पंजाब में सियासी ज़मीन मज़बूत करने के लिए भारतीय जनता पार्टी का नया दांव, जानिए क्या है प्लान
पंजाब विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र सभी सियासी दल सत्ता पर क़ाबिज़ होने की ऱणनीति तैयार करने में जुटी हुई है। इसी के साथ मतदाताओं को लुभाने के लिए लोकलुभावने वादे भी कर रही है।
चंडीगढ़, 6 दिसम्बर 2021। पंजाब विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र सभी सियासी दल सत्ता पर क़ाबिज़ होने की ऱणनीति तैयार करने में जुटी हुई है। इसी के साथ मतदाताओं को लुभाने के लिए लोकलुभावने वादे भी कर रही है। वहीं कृषि कानून रद्द होने के बाद भारतीय जनता पार्टी पंजाब में अपनी सियासी ज़मीन मज़बूत करने में जुट गई है। चूंकि किसान आंदोलन की वजह भाजपा को पंजाब में चुनाव प्रचार प्रसार करने में कामयाबी नहीं मिल रही थी। लेकिन अब कृषि कानून वापस लेने के बाद भाजपा इसका सियासी माइलेज लेने की पूरी तैयारी कर रही है। पंजाब में बूथ स्तर तक भाजपा के कार्यकर्ता संगठन को मज़बूत करने में जुट गए हैं।
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नाराज मतदाताओं को मनाने की कोशिश
पंजाब में नाराज़ मतदाताओं को मनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी नई रणनीति तैयार करने मेंजुट गई है। कृषि कानून वापस करने के बाद से भारतीय जनता पार्टी में पंजाब की राजनीति के कई दिग्गज चेहरे शामिल हो रहे हैं। मनजिंदर सिंह सिरसा के बाद कुछ और प्रमुख सिख चेहरे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए, जिनमें पूर्व पुलिस महानिदेशक सरबदीप सिंह विर्क, पंजाब सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष अवतार सिंह जीरा, उद्योगपति हरचरण सिंह रनौता और शिअद के पूर्व नेता सरबजीत सिंह मक्कड़ शामिल हैं। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए पंजाब के प्रमुख सिख चेहरों तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश भारतीय जनता पार्टी कर रही है।
सिख समुदाय पर भाजपा का निशाना
भारतीय जनता पार्टी का सिख समुदाय के साथ अपने जुड़ाव को फिर से हासिल करने के लिए यह कदम कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के लिए भी परेशानी का सबब बन सकता है। भारतीय जनता पार्टी को पूरा यकीन है कि कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद किसानों का समर्थन उन्हें मिलेगा। किसानों को लुभाने के लिए भी भारतीय जनता पार्टी रणनीति तैयार कर रही है। वह किसान आंदोलन से जुड़े प्रमुख चेहरे को अपने साथ जोड़ने की कवायद तेज़ कर दी है। भाजपा ने पंजाब मे आंदोलनरत सिख समुदाय और किसानों को साधने की पुरज़ोर कोशिश करक रही है। हाल ही में केंद्र की भाजपा सरकार ने सिख समुदाय को ध्यान में रखते हुए करतारपुर कॉरिडोर को फिर से खोलने का फ़ैसला लिया। वहीं किसानों को साधने के लिए कृषि कानूनों को वापस लेने का फ़ैसला लिया।
कैप्टन और सिरसा के सहारे BJP
मनजिंदर सिंह सिरसा और कैप्टन अमरिंदर सिंह की मदद से भारतीय जनता पार्टी सिख समुदाय और किसानों को साधने की उम्मीद कर रही है। ग़ौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल गठबंधन कर पंजाब की सत्ता पर क़ाबिज़ रही है लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि भाजपा शिरोमणि अकाली दल के बग़ैर चुनावी मैदान में उतरी है। इसके साथ ही अपनी सियासी ज़मीन मज़बूत करने के लिए भाजपा बड़े चेहरे की तलाश कर रही है। शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन के वक्त भाजपा को संगठनात्मक ढांचा तैयार करने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी। इसलिए भारतीय जनता पार्टी अब कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी के साथ गठबंधन कर पंजाब की सत्ता पर क़ाबिज़ होने की रणनीति तैयार कर रही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी में कई बड़े चेहरे जुड़ने के क़यास लगए जा रा रहे हैं। इन सब समीकरणों को देखते हुए यह बात तो साफ़ हो गई है कि पंजाब विधानसभा चुनाव काफ़ी दिलचस्प होने वाला है।