भ्रष्टाचार की वजह से आज जाएगी पाक पीएम नवाज शरीफ की कुर्सी!
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट आज पनामा पेपर लीक्स में फंसे प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर दे सकती है बड़ा फैसला। दोषी साबित होने पर छोड़नी पड़ेगी नवाज को कुर्सी।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट आज प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की किस्मत पर एक बड़ा फैसला दे सकती है। पनामा पेपर लीक्स मामले में फंसे पीएम शरीफ अगर दोषी पाए गए तो उन्हें अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है। अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान एक अजीब सी स्थिति में पहुंच सकता है। पाकिस्तान में अगले वर्ष आम चुनाव होने वाले हैं।
1500 सुरक्षाकर्मी, इस्लामाबाद में रेड अलर्ट
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से देश की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था फिर से चुनौतीपूर्ण दौर में पहुंच सकती है। पिछले वर्ष पनामा पेपर लीक्स स्कैंडल सामने आया था। पनामा की मोसैक फोन्सेका फर्म ने 11.5 मिलियन सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स रिलीज किए थे। इनमें दुनिया के कई अमीर और ताकतवर लोगों के नाम थे और नवाज शरीफ एंड फैमिली भी इसमें शामिल थी। पीएम नवाज शरीफ के चार बच्चों जिनमें उनकी बेटी और राजनीतिक विरासत की उत्तराधिकारी मरियम नवाज के साथ उनके दोनों बेटों हसन और हुसैन के नाम भी इसमें शामिल थे। इस्लामाबाद के रेड जोन जहां पर नवाज शरीफ का आधिकारिक निवास है, वहां पर रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। करीब 1500 पुलिस, पाक रेंजस और सेना के जवानों को सुरक्षा के लिए तैनात कर दिया गया है। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट नवाज के खिलाफ फैसला दे सकता है।
इमरान खान ने बढ़ाई नवाज की मुश्किलें
इस पूरे मसले के समाने आने के बाद पीएम नवाज शरीफ के लंदन में कई तरह के बिजनेस के बारे में पता लगा था। इस मामले में शरीफ एंड फैमिली पर विदेशों में मौजूद कंपनियों के जरिए लंदन में कई तरह की प्रॉपर्टीज को खरीदने की बातें सामने आई थीं। इस खरीदारी में जिस फंड का प्रयोग हुआ उसकी वैधता पर भी सवाल उठे थे। शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन की ओर से कहा गया कि जो भी धन-दौलत इकट्ठा की गई वह पाकिस्तान और खाड़ी देशों में स्थित परिवारिक बिजनेस से कमाई गई है। लेकिन क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान ने आरोप लगाया कि फंड से जुड़े कोई भी कागजात उपलब्ध नहीं हैं। साथ ही उन्होंने नवाज शरीफ से मांग की कि वह यह साबित करें कि उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग करके इस पैसे को नहीं कमाया है। पाकिस्तान में वर्ष 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा ही फैसला दिया था। उस समय एक फैसले के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी को तब के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से जुड़े भ्रष्टाचार केस की जांच दोबारा करने से मना करने पर उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया था।