कैलिफोर्निया फायरिंग घटना के साथ ही पाक की लाल मस्जिद फिर निशाने पर
इस्लामाबाद। कैलिफोर्निया फायरिंग घटना के साथ ही पाक की लाल मस्जिद फिर निशाने पर इस्लामाबाद। हमेशा से ही निशाने और शक के दायरे में रही पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद स्थित लाल मस्जिद एक बार फिर से जांच के दायरे में है।
अमेरिका एक बार फिर से पाक में आतंकवाद के सिलसिले में जांच के पहुंच चुका है। इस हमले में शामिल महिला तश्फीन मलिक वर्ष 2010 में पंजाब के मुल्तान से फार्मेसी में पढ़ाई पूरी करने के बाद इस मस्जिद से जुड़ गई थी। इस हमले में शामिल सैयद फारुख और तश्फीन दोनों ही पाक के थे।
तश्फीन का जन्म जहां पाकिस्तान में हुआ तो उसने अपनी पढ़ाई सऊदी अरब में पूरी की। वहीं ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के लिए वह पाकिस्तान लौटी थी। वापसी के साथ ही वह लाल मस्जिद से जुड़ गई थी।
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से इस घटना के बाबत बात की है। राष्ट्रपति ओबामा को इस पूरी घटना की जानकारी दी गई है।
नवाज शरीफ के ऑफिस की ओर से साफ-साफ बयान दिया गया है कि अभी तक अमेरिका ने उन्हें लाल मस्जिद और कैलिफोर्निया घटना के बीच संबंध होने का कोई भी सुबूत नहीं दिया है।
दूसरी ओर आईएसआईएस ने इस हमले में अपना हाथ होने का ऐलान कर दिया है। आईएसआईएस ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि कैलिफोर्निया हमले के दोनों हमलावर उसके सपोर्टर्स हैं।
यहां पर आपको बताना चाहेंगे कि लाल मस्जिद के मौलाना अब्दुल अजीज ने पिछले वर्ष आईएसआईएस के लिए अपने समर्थन का ऐलान किया था। लेकिन मौलाना का कहना है कि तश्फीन मलिक किसी भी तरह से मस्जिद से नहीं जुड़ी थी।
उन्होंने कहा है कि इस्लाम किसी को भी मासूमों की हत्या के लिए नहीं कहता है। उन्होंने खुदा की कसम खाते हुए कहा है कि वह तश्फीन को नहीं जानते हैं।