मुजफ्फरनगर थाने में फूट-फूटकर रोए BSP नेता अरशद, बोले-टिकट के लिए दिए थे 67 लाख, न टिकट मिला और न पैसा
मुजफ्फरनगर, 14 जनवरी: टिकट बंटवारे को लेकर एक बार फिर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) पर रुपए लेना का आरोप लगा है। यह आरोप मुजफ्फरनगर की चरथावल सीट से बीएसपी नेता अरशद राणा ने लगाया है। दरअसल, शुक्रवार 14 जनवरी को बीएसपी नेता अरशद राणा मुजफ्फर नगर कोतवाली पहुंचे और थानेदार के सामने फूट-फूटकर रोने लगे। जब थानेदार ने उनसे रोने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि टिकट के लिए बीएसपी के एक वरिष्ठ नेता को दो वर्ष पहले 67 लाख रुपए दिए थे, लेकिन उन्हें उनका टिकट काट दिया गया। उनके रुपये भी वापस नहीं किए गए। अरशद राणा ने चेतावनी दी कि यदि उन्हें इंसाफ नहीं मिला तो वह आत्मदाह करेंगे।
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अरशद काफी दिनों से कर रहे थे तैयारी
अरशद राणा, मुजफ्फरनगर जिले के चरथावल विधानसभा के गांव दधेड़ू के रहने वाले है। वो पिछले काफी समय बीएसपी में सक्रिय हैं। उनकी पत्नी ने बीएसपी के सिंबल पर जिला पंचायत सदस्य पद पर चुनाव भी लड़ा था। अरशद राणा भी पिछले काफी समय से बीएसपी से चरथावल सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। एक दिन पहले ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर जानकारी दी कि चरथावल विधानसभा सीट से पार्टी ने सलमान सईद को प्रत्याशी बनाया है। सलमान सईद को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से अरशद राणा काफी आहत है।
फेसबुक पर लिखी अपनी व्यथा
अरशद राणा ने पहले फेसबुक पर अपनी व्यथा लिखी। इसमें उन्होंने टिकट न मिलने से आहत होने की बात कहते बसपा नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए। साथ ही आत्मदाह करने तक की धमकी तक दी। व्यथित अरशद राणा यहीं नहीं रुके और अपने समर्थकों के साथ शहर कोतवाली जा पहुंचे। शहर कोतवाली में उन्होंने तहरीर देकर आरोप लगाया कि एक वरिष्ठ बसपा नेता चरथावल सीट से पार्टी का टिकट दिलाने के एवज में उनसे 67 लाख रुपए लिए थे। अरशद राणा ने बसपा नेता से 67 लाख रुपए वापस दिलाने और उन पर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की।
क्या कहा पुलिस ने
शहर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक आनंद देव मिश्रा का कहना है कि अरशद राणा ने नेता शमसुद्दीन राईन के खिलाफ तहरीर दी है। मामले की जांच की जा रही है। जांच उपरांत आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, इस पूरे मामले में बसपा जिलाध्यक्ष सतीश रवी का कहना है कि अरशद राणा का क्या मामला है उन्हें नहीं मालूम। उन्होंने कहा कि अरशद राणा पार्टी में हैं या नहीं यह भी साफ नहीं है। उन पर पार्टी संगठन की और से कोई जिम्मेदारी भी नहीं है।