मथुरा न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

20 रुपए के लिए 23 साल तक मथुरा के शख्स ने लड़ी लड़ाई, अब रेलवे से लिए 15 हजार रुपए वापस

20 रुपए के लिए 23 साल तक मथुरा के शख्स ने लड़ी लड़ाई, अब रेलवे से लिए 15 हजार रुपए वापस

Google Oneindia News

मथुरा, 12 अगस्त: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले से एक रोचक खबर सामने आई है। यहां एक शख्स ने 20 रुपए के लिए रेलवे के खिलाफ 23 साल तक कोर्ट और कचहरी के चक्कर काटे और आखिरकार तुंगनाथ चतुर्वेदी ने केस जीत लिया। कोर्ट अब रेलवे विभाग को तुंगनाथ चतुर्वेदी को 12 प्रतिशत का भुगतान करने का आदेश दिया है। अगर 30 दिनों तक राशि का भुगतान नहीं किया जाता है, तो ब्याज दर को संशोधित कर 15 प्रतिशत कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं, कोर्ट ने वित्तीय एवं मानसिक पीड़ा और केस में खर्च के लिए रेलवे को आदेश दिया है कि वो 15 हजार रुयए अतिरिक्त दें।

ये भी पढ़ें:- महिलाओं के साथ लोक गीत पर 'स्पाइडर-मैन' ने ढोलक की थाप पर जमकर लगाए ठुमकेये भी पढ़ें:- महिलाओं के साथ लोक गीत पर 'स्पाइडर-मैन' ने ढोलक की थाप पर जमकर लगाए ठुमके

20 रुपए के लिए उपभोक्ता कोर्ट में दर्ज हुआ था केस

20 रुपए के लिए उपभोक्ता कोर्ट में दर्ज हुआ था केस

यह मामला साल 1999 का है। याचिकाकर्ता वकील तुंगनाथ चतुर्वेदी ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बताया कि मैंने साल 1999 में मथुरा छावनी से मुरादाबाद की टिकट ली थी। उस वक्त उसकी कीमत 70 रुपए थी, लेकिन क्लर्क ने 90 रुपए लिए थे। उस वक्त मैंने क्लर्क से कहा कि आपने 20 रुपए अधिक लिए है, लेकिन उन्होंने मुझे फिर भी पैसे वापस नहीं दिए। इसके बाद 'यात्रा पूरी करने के बाद मैंने उत्तर पूर्व रेलवे (गोरखपुर) के महाप्रबंधक, मथुरा छावनी रेलवे स्टेशन के स्टेशन मास्टर और टिकट बुकिंग क्लर्क के खिलाफ जिला उपभोक्ता अदालत में केस दर्ज कराया।

20 रुपए के लिए नहीं, जनहित के लिए लड़ा यह केस

20 रुपए के लिए नहीं, जनहित के लिए लड़ा यह केस

तुंगनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि यह केस मैंने जनहित में लड़ा। इस केस में मैंने सरकार को भी पार्टी बना लिया। मैंने यह केस 20 रुपए के लिए नहीं, बल्कि व्यापक जनहित के लिए लड़ा था।' न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए तुंगनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि 120 से अधिक सुनवाई के बाद 5 अगस्त को कोर्ट ने हमरे पक्ष में अपना फैसला सुना दिया। चतुर्वेदी के बेटे और वकील रविकांत चतुर्वेदी ने कहा, 'रेलवे ने मामले को यह कहते हुए खारिज करने की कोशिश की थी। रवि ने कहा 'रेलवे अधिकारियों ने भी मेरे पिता से मामले को अदालत के बाहर निपटाने के लिए संपर्क किया, लेकिन उन्होंने स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया।'

23 साल बाद कोर्ट ने सुनाया यह फैसला

23 साल बाद कोर्ट ने सुनाया यह फैसला

पीड़ित तुंगनाथ चतुर्वेदी ने जीत के बाद कहा 'यह एक लंबी, थका देने वाली कानूनी लड़ाई थी। हालांकि, पैसा कोई मायने नहीं रखता, जो मायने रखता है वो है भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के बारे में। जिसमें मुझे सफलता मिली और कोर्ट ने मेरे पक्ष में अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए रेलवे विभाग को यह आदेश दिया कि 30 दिन के अंदर धनराशि याचिकार्ता को अदा की जाए, अगर राशि अदा नहीं की जाती है तो 20 रुपये पर 15 प्रतिशत ब्याज लगाकर उसे लौटाना होगा। साथ ही, सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को हुई मानसिक, आर्थिक पीड़ा एवं वाद व्यय के रूप में 15 हजार रुपए बतौर जुर्माना अदा किया जाए।

ये भी पढ़ें:- सोलन में अचानक से भरभरा कर ढह गया कालका-शिमला नेशनल हाईवे-5, दो गाड़ियां भी आईं चपेट मेंये भी पढ़ें:- सोलन में अचानक से भरभरा कर ढह गया कालका-शिमला नेशनल हाईवे-5, दो गाड़ियां भी आईं चपेट में

Comments
English summary
After a 22-year-long fight, the court ruled in Tungnath Chaturvedi favour, asking railways to pay me Rs 15,000
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X