100 करोड़ की वसूली: देशमुख और परमबीर के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका, CBI जांच की मांग
मुंबई। महाराष्ट्र में गृहमंत्री के खिलाफ 100 करोड़ की वसूली के आरोप का मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है। मामले में मुंबई के एक वकील ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में हाईकोर्ट से गृहमंत्री अनिल देशमुख और मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह और मामले में शामिल अन्य लोगों के खिलाफ सीबीआई या फिर किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए जाने का आदेश देने की मांग की गई है।

अनिल देशमुख पर पुलिस से वसूली करवाने का आरोप
याचिका कर्ता वकील जयश्री लक्ष्मणराव पाटिल ने हाईकोर्ट से दक्षिणी मुंबई के मालाबार हिल पुलिस स्टेशन में इसी मामले में उनकी एक लिखित शिकायत का संज्ञान लेने और प्राथमिकी दर्ज किए जाने का निर्देश देने की मांग की है।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि हाईकोर्ट को उन जांच अधिकारी को उन सभी स्थानों की सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित करने का निर्देश दिया जाय जिनका परमबीर सिंह के सीएम उद्धव ठाकरे को दिए पत्र में जिक्र किया गया है।
महाराष्ट्र में एंटीलिया केस मामले में मुंबई पुलिस के अफसर सचिन वाजे का नाम आने और एनआईए द्वारा उसकी गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को हटाकर उन्हें होमगार्ड का डीजी बना दिया था। ट्रांसफर के 3 दिन बाद पिछले शनिवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर भूचाल ला दिया था। इस पत्र में परमबीर सिंह ने गृहमंत्री अनिल देशमुख पर वसूली का आरोप लगाया था। उन्होंने लिखा था कि अनिल देशमुख ने पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाजे को मुंबई से हर महीने 100 की वसूली का टारगेट दे रखा था। इसमें मुंबई के 1750 बार से 40-50 करोड़ की वसूली शामिल थी।
परमबीर
के
पत्र
का
दिया
हवाला
आठ
पेज
के
पत्र
में
परमबीर
सिंह
ने
अनिल
देशमुख
के
एंटीलिया
केस
से
कनेक्शन
की
बात
नहीं
कही
थी।
हालांकि
उन्होंने
यह
जरूर
अंत
में
इशारा
किया
था
कि
उन्हें
अनिल
देशमुख
के
मुंबई
पुलिस
के
कामकाज
में
दखलंदाजी
की
कीमत
चुकानी
पड़ेगी।
सोमवार
को
परमबीर
सिंह
अपने
तबादले
और
अनिल
देशमुख
के
खिलाफ
जांच
को
लेकर
सुप्रीम
कोर्ट
पहुंचे
थे।
परमबीर सिंह के पत्र का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता वकील जयश्री पाटिल ने हाईकोर्ट से कहा "गृहमंत्री ने नियमित रूप से अधिकारियों को बार-बार फोन किए और उन्हें अपने आधिकारिक कर्तव्य पालन के संबंध में निर्देश दिए। गृह मंत्री पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों को दरकिनार करते हुए पुलिस अफसरों को अपने आधिकारिक आवास पर बुलाते रहे।"
याचिका में आगे कहा गया है कि गृहमंत्री अपनी उम्मीदों और पैसे वसूली का टारगेट तय करते थे और पुलिस अफसरों को वसूली लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निर्देश देते थे। परमबीर सिंह के पत्र से इन भ्रष्ट आचरणों का मामला प्रकाश में आया है।

परमबीर ने पत्र में लगाए थे गंभीर आरोप
आठ पेज के पत्र में परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख के एंटीलिया केस से कनेक्शन की बात नहीं कही थी। हालांकि उन्होंने यह जरूर अंत में इशारा किया था कि उन्हें अनिल देशमुख के मुंबई पुलिस के कामकाज में दखलंदाजी की कीमत चुकानी पड़ेगी। सोमवार को परमबीर सिंह अपने तबादले और अनिल देशमुख के खिलाफ जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
परमबीर सिंह के पत्र का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता वकील जयश्री पाटिल ने हाईकोर्ट से कहा "गृहमंत्री ने नियमित रूप से अधिकारियों को बार-बार फोन किए और उन्हें अपने आधिकारिक कर्तव्य पालन के संबंध में निर्देश दिए। गृह मंत्री पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों को दरकिनार करते हुए पुलिस अफसरों को अपने आधिकारिक आवास पर बुलाते रहे।"
याचिका में आगे कहा गया है कि गृहमंत्री अपनी उम्मीदों और पैसे वसूली का टारगेट तय करते थे और पुलिस अफसरों को वसूली लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निर्देश देते थे। परमबीर सिंह के पत्र से इन भ्रष्ट आचरणों का मामला प्रकाश में आया है।

परमबीर सिंह के खिलाफ भी जांच की मांग
याचिका में यह भी दावा किया गया है कि देशमुख ने कथित तौर पर व्यवसायियों और आम नागरिकों से पैसा वसूली के लिए पुलिस अधिकारियों को फोन करके अपने पद का दुरुपयोग किया है। इसलिए वह राज्य के मुख्यमंत्री पद को संभालने के लिए भरोसेमंद नहीं हैं।
वहीं परमबीर सिंर के खिलाफ जांच की मांग करते हुए यह कहा गया है कि निश्चित तौर पर मुंबई पुलिस के प्रमुख के तौर पर जब उन्हें इस तरह के गंभीर अपराध को सामने लाना चाहिए था वह इस पर चुप्पी मारकर बैठे रहे। पुलिस अफसर के रूप में उनके पास अधिकार था कि वह मामले में प्राथमिकी दर्ज करके जांच के लिए प्रक्रिया शुरू करते लेकिन वह ऐसा करने में असफल रहे। ऐसा क्यों हुआ यह जांच का विषय है। पाटिल ने ये भी कहा कि मालाबार हिल पुलिस ने भी उनकी शिकायत पर संज्ञान नहीं लिया।
पाटिल ने कहा है कि अगर कोर्ट उचित एक्शन नहीं लेती है तो अधिकारियों द्वारा सबूत नष्ट कर दिए जाएंगे। इन सबसे आलोक में कोर्ट से सीबीआई, ईडी या फिर किसी स्वतंत्र एजेंसी को देशमुख, परमबीर सिंह और अन्य के खिलाफ कथित अनियमितताओं के खिलाफ निष्पक्ष, बिना प्रभावित हुए और साफ जांच के लिए निर्देश देने की मांग की है।
100
करोड़
की
'वसूली':
जूलियो
रिबेरो
का
जांच
करने
से
इनकार,
कहा-
'शरद
पवार
खुद
सक्षम,
वही
करें'