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बुंदेलखंड का एक गांव ऐसा भी, जहां गाय को चोट पहुंचाई तो कर देते हैं बहिष्कार

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MP के टीकमगझढ़ जिले में आस्तौन गांव गो भक्तों का गांव कहलाता है। गाय के प्रति यहां अटूट आस्था है। गांव में बीते दिनों एक युवक की बाइक गाय को टकरा गई थी। घायल गाय को गो-सेवा केंद्र पहुुंचा दिया गया। गांववालों ने समझा की गाय की मौत हो गई तो टक्कर मारने वाले परिवार से बोलचाल बंद कर दिया। परेशान होकर गाय को टक्कर मारने वाला गो सेवा केंद्र से उसी घायल गाय को घर लाया और उसकी सेवा करना प्रारंभ किया तब कहीं जाकर गांव वालों ने उसका बहिष्कार समाप्त किया और बोलचार प्रारंभ किया।

tikamgadh

आस्तौन गांव के रहने वाले सौरभ विश्वकर्मा बीते दिनों अपने साथियों के साथ मोटर साइकल से आ रहा था। कुंडेश्वर के पास नीमखेरा के पास एक गाय उसकी बाइक से टकरा गई। टक्कर जोरदार थी, जिस कारण सौरभ व उसके साथ बाइक पर सवार दो अन्य युवकों को भी चोट लगी, हाथ पैर जख्मी हो गए थे। इस गाय को भी काफी चोटे लगी थीं। उसे पैर, सिर और चेहरे पर आंख के पास चोट लगी थी। गाय चल नहीं पा रही थी, सौरभ ने अपने साथियों की मदद से उसे लोडिंग वाहन से टीकमगढ़ के आसरा स्थित गो-सेवा केंद्र पहुंचा दिया। गाय को यहां रखकर इलाज शुरु किया गया। उस आस्तौन गांव में जब घटना का पता चला तो गांव वालों ने समझा कि सौरभ के कारण गाय की मौत हो गई है। इस कारण गांव वाले नाराज हो गए और सौरभ उसके परिवार से नाता खत्म करते हुए इनसे बोलचाल, इनके यहां आना-जाना बंद कर दिया।

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परेशान होगा गाय को घर लाकर सेवा शुरु कर दी
सौरभ विश्वकर्मा को लगा कि गाय को चोट पहुंचाने के कारण उसका व उसके परिवार का गांव वालों ने अघोषित बहिष्कार कर दिया है तो वह अपने पिता भगवानदास विश्वकर्मा के साथ दीपावली के दिन आसारा गो-सेवा केंद्र पहुंचा और लोडिंग वाहन से घायल गाय को अपने घर ले आया और उसकी सेवा व इलाज प्रारंभ कराया। उसने गांव वालों को बताया कि यही गाय उसकी बाइक की टक्कर से घायल हुई थी, यह मरी नहीं थी। तब गांव वालों को भरोसा हुआ और सौरभ के परिवार से बोलचार प्रारंभ किया।

Comments
English summary
The whole village boycotted the person who injured the cow. The case is of Astaun village of Tikamgarh district. Here the whole village respects the cow. When the youth brought the cow home and started serving, the villagers ended their boycott.
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