नम आंखों से दी गई स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को समाधि, राजकीय सम्मान के साथ निकली अंतिम यात्रा
नरसिंहपुर, 12 सितंबर: सनातन धर्म के ध्वजवाहक कहलाने वाले हिंदुओं के सबसे बड़े गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज को हजारों हजार लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी। मप्र के झोतेश्वर स्थित उनकी तपस्थली में विधि विधान से समाधि दी गई। इस मौके पर सीएम शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत सैकड़ों VIP भी स्वामीजी को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे। सीएम शिवराज ने राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति बताया और उन्होंने राजकीय शोक की घोषणा की। उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।
‘जगतगुरु’ के अंतिम दर्शन के लिए निकल पड़ा ‘जगत’
सनातन धर्म में भगवान तुल्य पूजे जाने वाले जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद को संत परंपरा के अनुसार अंतिम विदाई दी गई। रविवार की दोपहर 3 बजकर 21 मिनट पर उन्होंने झोतेश्वर परमहंसी आश्रम में अंतिम सांस ली थी। काफी दिनों से बीमार चल रहे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का ह्रदय गति रुक जाने से निधन हो गया था। शोक में डूबे उनके हजारों शिष्य और भक्त मंगलवार को अंतिम दर्शन के लिए आश्रम पहुंचे। ऐसी भीड़ उमड़ी कि मानों जगतगुरु को विदाई देने पूरा जगत इकठ्ठा हो गया हो। हजारों हजार लोगों के साथ स्वामीजी की अंतिम यात्रा निकाली गई। जिसमें बड़ी संख्या में संत, महात्माओं के साथ धर्म क्षेत्र से जुड़े लोग भी शामिल हुए ।
फूलों से सजाया गया था समाधि स्थल
महाराजश्री को अंतिम विदाई देने उनके भक्तों और आश्रम प्रबंधन ने विशेष तैयारियां की थी। आश्रम में जिस जगह को समाधि स्थल बनाया गया था, उसे फूलों से सजाया गया था। फूल मालाओं की लंबी लटाओं के बीच पालकी से महाराज श्री की पार्थिव देह को लाया गया। भक्तों ने जब यहां पुष्पांजलि अर्पित की तो पार्थिव शरीर का आसपास का क्षेत्र फूलों से भर गया।
तपोस्थली में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की समाधि
विधि विधान से दी गई समाधि
फूलों से सजी पालकी के साथ शंकराचार्य की पार्थिव देह की यात्रा समाधि स्थल पहुंची । जहां काशी विश्वनाथ से आए विद्वान आचार्य पंडित अवध राम पांडे ने भू समाधि का कार्यक्रम संपन्न कराया। इसके पूर्व वैदिक मत्रोप्चार के साथ 108 कलश जल से स्वामी स्वरूपानंद जी के पार्थिव शरीर को स्नान कराया गया। इसके बाद दुग्धाभिषेक किया गया। मस्तक पर शालिग्राम जी को स्थापित किया गया। मां भगवती मंदिर से आश्रम तक स्वामीजी के पार्थिव देह को परिक्रमा कराई गई। जैसे ही समाधि क्रिया की अंतिम रस्म अदा हुई उनका शिष्य मंडल और भक्तों का सैलाब फूट-फूटकर रो पड़ा।
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सीएम शिवराज सिंह हुए शामिल
मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत सरकार के कई मंत्री, विधायक और नेता भी पहुंचे। नम आंखों से उन्होंने महाराजश्री को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री बोले कि
धर्म के ध्वजवाहक, हमारी संस्कृति एवं जीवन मूल्यों के पोषक, योद्धा सन्यासी जिन्होंने देश को आजाद कराने की लड़ाई लड़ी और करोड़ों करोड़ भक्तों को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी, ऐसे परम पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ब्रह्मलीन हो गए। वह उद्भट विद्वान, वेद, उपनिषद, शास्त्रों के ज्ञाता थे, जिन्होंने संपूर्ण जीवन सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में लगाया। सीएम ने कहा कि स्वरूपानंदजी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी रहे, इसलिए उन्हें राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी जा रही है।
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पूर्व सीएम कमलनाथ भी पहुंचे
पूर्व सीएम कमलनाथ भी झोतेश्वर पहुंचे। कुछ दिनों पहले 98 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर उनके जन्मोत्सव में कमलनाथ शामिल हुए थे। उस दौरान स्वरूपानंद महाराज से मुलाकात के पलों का भी जिक्र किया। कमलनाथ बोले कि
स्वामी जी सदैव हमारे ज़ेहन में रहेंगे , उनका आशीर्वाद सदैव हम सभी पर रहेगा। धर्म , अध्यात्म व परमार्थ के क्षेत्र में उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
इन ख़ास लोगों की भी रही मौजूदगी
स्वरूपानंद सरस्वती महाराज अंतिम विदाई और दर्शनों के लिए सुबह से ही नेताओं, मंत्रियों, कई और VIP लोगों का तांता लगा रहा। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, फग्गनसिंह कुलस्ते, सांसद विवेक तन्खा, कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी, दिग्विजय सिंह, जबलपुर महापौर जगतबहादुर सिंह अन्नू सहित कई बड़ी हस्तियां मौजूद रही।