बकरियों को देनी पड़ी पुलिस के सामने गवाही, ताकि मालिक को चोरी के आरोप से बचा सकें
Sagar, क्या आपने कभी सुना है कि जानवर या पशु चोरी के मामले में पुलिस ने खुद जानवर की गवाही को मानकर मामला सुलझाया हो..! नहीं न? लेकिन सागर में बीते रोज ऐसा ही एक मामला सामने आया है। डेढ़ दर्जन बकरियों की चोरी के एक मामले में पुलिस ने खुद बकरियों की गवाही के चलते मालिक की पहचान कर बकरियां उसके सुपुर्द की हैं।
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बकरियों ने पुलिस के सामने दी गवाही, बताया उनका मालिक कौन है
मप्र में सागर जिले की रहली तहसील क मदार नामक गांव में बकरियां पालक गुलाबरानी आदिवासी की करीब 15 बकरियां चोरी हो गई थीं। चोर उनके बाड़े की दीवार तोड़कर रात के अंधेरे में बकरियां चोरी कर ले गए। गुलाबरानी ने बकरियां चोरी की शिकायत पुलिस थाने जाकर की थी। पुलिस ने मामले की पतासाजी के प्रयास किए थे। इसी दौरान एक वाहन सड़क पर दिखा जिसमें डेढ़ दर्जन बकरियां भरी थीं, पुलिस उसे पकड़कर थाने ले आई। गुलाबरानी को बुलाया तो उसने कहा कि यह बकरियां उसी की हैं। लेकिन वाहन चालक और उसके मालिक ने बताया कि महिला झूठ बोल रही है, वह ये बकरियां खरीद कर लाया है, उसने जिससे बकरी खरीदीं थीं, उसका पता बताया और बात करा दी।
बकरी चोरी के मामले में पुलिस चकरघिन्नी बन गई थी
सागर में बकरियों की गवाही का एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। दरअसल बकरी चोरी के मामले में पुलिस चकरघिन्नी बन गई थी, पुलिस बकरियों को लेकर दो दावेदारों के द्वार तक पहुंची थी, जहां बकरियों ने खुद अपने मालिक का पता बताकर मामले को सुलझाया।
बकरियां गुलाबरानी के बाड़े में नहीं गईं, जबकी काछी पिपरिया में तत्काल चली गईं
पुलिस बकरियों को गुलाबरानी के बाड़े में लेकर पहुंची तो बकरियां बाड़े में जाने से इंकार कर दिया। मतलब जब सड़क पर गाड़ी से बकरियों को एक-एक कर उतारा गया तो बकरियां बाड़े की तरफ गईं तक नहीं, बल्कि बाड़े के विपरीत दिशा में खुले मैदान में चलीं गईं।
जिले में यह दूसरा मामला जब जानवर ने मालिक की गवाही दी
सागर जिले में यह अपनी तरह का अनूठा और दूसरा मामला है, जब जानवर ने अपने मालिक की पहचान कर पुलिस और कानून की मदद की हो। बकरियों के इस मामले के काफी पहले लगभग एक दशक पहले सागर में एक भैंस को कोर्ट में कोर्ट में लाया गया था। इसमें दो अलग-अलग व्यक्ति एक भैंस पर दावा मालिक होने का दावा कर रहे थे। कोर्ट में न्यायाधीश के सामने भैंस को खड़ा किया गया था। दोनों दावेदारों से भैंस को नाम लेकर आवाज देने के लिए कहा गया था। पहले व्यक्ति जिसके पास से भैंस बरामद हुई थी, उसके कई बार आवाज देेने के बाद भी भैंस ने देखा नहीं था, जबकि जिसने चोरी की शिकायत की थी, उसने जैसे ही नाम लेकर आवाज लगाई तो भैंस तुरंत उसकी तरफ देखने लगी और उसके पास पहुंच गई थी।
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