MP: केंद्रीय विवि ने वेबिनार से खुद को किया अलग, वक्ताओं पर ABVP को थी आपत्ति
भोपाल, 31 जुलाई। सागर स्थित हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार को आपत्तियों के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने रद्द कर दिया है। वेबिनार को लेकर एक दिन पहले ही सागर के पुलिस अधीक्षक ने विश्वविद्यालय के कुलपति को एक पत्र लिखकर जातिगत और धार्मिक भावनाएं आहत होने पर कार्रवाई की चेतावनी दी थी। पुलिस अधीक्षक के पत्र के बाद डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के मानव शास्त्र विभाग ने खुद को कार्यक्रम से अलग कर लिया।
गुरुवार को सागर जनपद के पुलिस अधीक्षक अतुल सिंह ने विश्वविद्यालय के कुलपति को एक पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें कार्यक्रम में शामिल होने वाले वक्ताओं के बारे में 'राष्ट्रविरोधी मानसिकता और जाति संबंधी टिप्पणियों के इतिहास' की जानकारी मिली है और इस कार्यक्रम के विषय वस्तु और इसमें होने वाली चर्चा होने वाले विचारों को लेकर पहले से एक समझौता किया जाना चाहिए।
इसके साथ ही पुलिस अधीक्षक ने भारतीय दंड संहिता की धारा 505 (सार्वजनिक विवाद भड़काने वाले बयान) के तहत कार्रवाई की बात कही थी।
वक्ताओं
में
जाने-माने
नाम
शामिल
गौहर
रजा,
पूर्व
सीएसआईआर
मुख्य
वैज्ञानिक,
दिल्ली
विश्वविद्यालय
के
प्रोफेसर
अपूर्वानंद,
आईआईटी
हैदराबाद
के
प्रोफेसर
हरजिंदर
सिंह
और
अमेरिका
के
मैसाचुसेट्स
में
ब्रिजवाटर
स्टेट
यूनिवर्सिटी
में
सहायक
प्रोफेसर
डॉ
असीम
हसनैन,
'संस्कृति
और
भाषाई'
पर
वेबिनार
में
वक्ताओं
में
से
थे।
वैज्ञानिक
सोच
की
उपलब्धि
में
बाधाएं'
कि
मानव
विज्ञान
विभाग
को
30
और
31
जुलाई
को
मोंटक्लेयर
स्टेट
यूनिवर्सिटी,
यूएस
के
साथ
सह-मेजबानी
करनी
थी।
शुक्रवार
को,
डॉ
हरिसिंह
गौर
विश्वविद्यालय
के
संयोजक
के
बिना,
कार्यक्रम
निर्धारित
कार्यक्रम
के
अनुसार
आगे
बढ़ा।
इस वेबिनार में जिन वक्ताओं को शामिल होना था उनमें सीएसआईआर के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक गौहर रजा, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद, आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर हरजिंदर सिंह और अमेरिका स्थित मैसाच्यूसेट्स स्थित ब्रिजवाटर स्टेट यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर डॉ. असीम हसनैन थे। 'वैज्ञानिक सोच को हासिल करने में सांस्कृतिक और भाषाई बाधाएं' विषय पर 30 और 31 जुलाई को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम की मेजबानी हरी सिंह विश्वविद्यालय को मोंटेक्लियर यूनिवर्सिटी, अमेरिका के साथ संयुक्त रूप से करनी थी।
यूनिवर्सिटी
ने
पीछे
खीचे
कदम
एसपी
का
पत्र
मिलने
के
बाद
विश्वविद्याल
प्रशासन
ने
मानव
शास्त्र
विभाग
को
केंद्रीय
शिक्षा
मंत्रालय
से
पत्र
लिखकर
वेबिनार
के
लिए
अनुमति
लेने
को
कहा।
अनुमति
न
मिलने
पर
विभाग
को
कार्यक्रम
से
दूर
रहने
का
निर्देश
दिया
गया
और
विश्वविद्यालय
या
फिर
विभाग
का
लोगो
इस्तेमाल
न
करने
को
कहा
गया।
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सागर स्थित यूनिवर्सिटी के अपने कदम पीछे खींचने के बाद शुक्रवार को पहले दिन कार्यक्रम की मेजबानी मोंटेक्लेयर यूनिवर्सिटी ने अकेले की और हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय का मानव शास्त्र विभाग इसमें शामिल नहीं हुआ।
पुलिस
को
क्यों
थी
आपत्ति?
मामले
की
शुरुआत
22
मई
को
हुई
जब
अखिल
भारतीय
विद्यार्थी
परिषद
(एबीवीपी)
ने
वक्ताओं
के
नाम
पर
आपत्ति
जताते
हुए
पुलिस
को
ज्ञापन
सौंपा।
एसपी
अतुल
सिंह
को
दिए
एक
ज्ञापन
में
एबीवीपी
ने
गौहर
रजा
और
प्रोफेसर
अपूर्वानंद
को
राष्ट्र
विरोधी
मानसिकता
का
और
इस
तरह
की
गतिविधियों
में
शामिल
होने
का
आरोप
लगाया
था।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक पुलिस का कहना है कि विश्वविद्याल को केवल वेबिनार रिकॉर्ड करने और सुनिश्चित करने को कहा गया था कि कैंपस में सभी वर्गों के बीच आपसी सहमति होनी चाहिए।