लंदन में बीना के आदित्य की संस्था IISAF बनी इंडियंस की मददगार, दो साल में 3400 की कर चुके मदद
ब्रिटेन में भारतीयों को परेशानियों से बचाने के लिए युवाओं एक संगठन बनाया है, जो वीजा से लेकर मकान और नौकरी दिलाने तक में मदद कर रहे हैं। संगठन और युवाओं का नेतृत्व सागर जिले के बीना निवासी आदित्य सिंह ठाकुर कर रहे हैं।
जरा सोचिए, सात समंदर पार आप लंदन में आप पहली दफा पहुंचे और यहां आपके साथ कोई घटना हो जाए, कोई व्यक्ति फ्राड कर ले, एजेंट आपको गुमराह कर दे, मकान और काम के लिए आपको कोई मदद चाहिए हों और आपका कोई परिचित ब्रिटेन में न हो...ऐसे में आपका क्या हाल होगा। ऐसे लोगों की मदद के लिए ब्रिटेन में भारतीयों की मदद के लिए एक संगठन IISAF काम कर रहा है। यह संगठन मप्र के सागर जिले के रहने वाले 27 वर्षीय आदित्य राजपूत ने बनाया था। वे संगठन के माध्यम से अब तक करीब 3400 लोगों की मदद कर चुके हैं।
मप्र के सागर जिले की बीना तहसील के वाले 27 साल के आदित्य प्रताप सिंह लंदन में रहकर IISAF (इंडियन इंटरनेशनल स्टूडेंट एंड एल्युमिनाई फेडरेशन) ग्रुप बनाकर भारतीयों की मदद कर रहे हैं। आदित्य ग्रुप के प्रेसिडेंट हैं, उन्होंने इस ग्रुप की शुरूआत दो साल पहले अपने मित्रों के साथ मिलकर की थी। जिसके माध्यम से वे अब तक करीब 3400 भारतीयों की नौकरी, पढ़ाई, आवास, वीजा, पासपोर्ट सहित अन्य मदद कर चुके हैं। इतना ही नहीं आदित्य व उनकी टीम ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के लिए भी चुनाव के समय कैंपिंग की और उनकी टीम का हिस्सा भी हैं। आदित्य ने बताया कि वे लंदन में इंटरनेशनल बिजनेस की पढ़ाई करने के लिए गए थे और वहीं पर पार्टनरशिप में खुद का व्यापार शुरू कर दिया है।
जानकारी
के
अभाव
में
लोगों
के
साथ
फ्रॉड
भी
होता
है
आदित्य
ने
बताया
कि
शुरूआत
में
जब
वे
लंदन
पहुंचे
तो
कई
प्रकार
की
परेशानियां
आईं,
लेकिन
संपर्क
होने
के
कारण
वह
सुलझ
भी
गई।
इस
दौरान
यह
देखने
में
आया
कि
भारत
से
जो
स्टूडेंट्स
या
नौकरी
के
सिलसिले
में
युवा
वहां
पहुंचते
हैं
तो
उन्हें
कई
प्रकार
की
समस्याएं
आती
है।
जानकारी
के
अभाव
में
लोगों
के
साथ
फ्रॉड
भी
होता
है।
तो
रहने
के
लिए
घर
और
पार्ट
टाइम
नौकरी
मिलना
भी
मुश्किल
होता
है।
भारतीयों
को
होने
वाली
इन्हीं
समस्याओं
के
निदान
को
ध्यान
में
रखते
हुए
उन्होंने
IISAF
बनाया
और
लोगों
की
मदद
के
लिए
आगे
आए।
धीरे-धीरे
ग्रुप
सदस्यों
की
संख्या
के
साथ
क्षेत्र
विस्तार
भी
हुआ
है।
आदित्य
का
कहना
है
कि
वर्तमान
यूके
की
सभी
यूनिवर्सिटी
में
तो
ग्रुप
की
टीम
सक्रिय
है
ही
साथ
ही
यूके
में
करीब
10
हजार
सदस्य
ग्रुप
से
जुडे
हैं।
इसके
अलावा
यूएई,
यूएसए,
यूरोप,
कनाडा,
न्यूजीलैंड,
रसिया
सहित
अन्य
देशों
में
रहने
वाले
भारतीय
भी
ग्रुप
सदस्य
के
रूप
में
जुड़े
हैं।
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राजस्थान
की
लड़की
को
मकान,
जॉब
दिलाई
लंदन
में
भारतीयों
की
मदद
के
आदित्य
ने
कई
किस्से
बताए।
जिसमें
उन्होंने
दो
महीने
पहले
राजस्थान
की
रहने
वाली
वंशिका
राठौर
के
साथ
हुआ
फ्रॉड
भी
बताया।
वंशिका
एक
एजेंट
के
माध्यम
से
लंदन
पहुंची।
एजेंट
ने
उसे
यूनिवर्सिटी
में
प्रवेश
दिलाने
के
साथ
रहने
के
लिए
घर
का
भी
चार्ज
किया
था।
लेकिन
जब
वह
एजेंट
के
बताए
पते
पर
पहुंची
तो
घर
नहीं
था।
स्थानीय
एजेंट
ने
उसे
यूनिवर्सिटी
से
करीब
80
किलोमीटर
घर
दिला
दिया।
एक
दिन
रात
में
वह
फंसी
और
ट्रेन
छूट
गई।
रात
भर
वह
स्टेशन
के
बाहर
बैठी
रही
और
बीमार
पड़
गई।
लड़की
के
परिजनों
ने
हमसे
संपर्क
किया
और
उसे
घर
के
साथ
पार्ट
टाइम
जॉब
भी
दिलाई।
इसी
प्रकार
हरियाणा
के
ललित
झक्कर
को
भी
नौकरी
दिलाने
में
मदद
की।
आदित्य
ने
बताया
कि
लंदन
में
सबसे
ज्यादा
मुसीबत
घर
मिलने
की
है।
क्योंकि
या
तो
संबंधित
को
छह
माह
की
पेय
स्लिप
देनी
होती
है
या
फिर
स्थानीय
व्यक्ति
की
गारंटी,
जो
नए
लोगों
को
मिलना
मुश्किल
होता
है।