UP पंचायत चुनाव में लगे शिक्षकों व कर्मचारियों ने दी मतगणना बहिष्कार की धमकी, संक्रमण से हुई मौतों से सहमे वो
यूपी पंचायत चुनाव में लगे शिक्षकों व कर्मचारियों ने दी मतगणना बहिष्कार की धमकी, संक्रमण से हुई मौतों से सहमे वो
लखनऊ, अप्रैल 30: बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच उत्तर प्रदेश में चार चरणों के पंचायत चुनाव संपन्न हो गए हैं। ऐसे में चुनाव ड्यूटी में लगे कई शिक्षिकों व कर्मचारियों की जान संक्रमण ने ले ली। जिसकी वजह से पंचायत चुनाव में लगे कर्मचारियों और शिक्षकों में कोरोना संक्रमण का खौफ बैठ गया है। ऐसे में अब मतगणना स्थगित किए जाने की मांग उठने लगी है, ताकि कोई वायरस से संक्रमित ना हो और वो मौत के मुंह में जाने से बच सके।
दरअसल, 2 मई को यूपी पंचायत चुनाव 2021 के नतीजे घोषित किए जाने है। उससे पहले शिक्षकों व कर्मचारियों ने मतगणना का बहिष्कार करने की धमकी दी है। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रशिक्षण के वक्त एक बेंट पर तीन शिक्षक बैठे थे। यही नहीं, एक कमरे में 50 से 60 शिक्षक बैठे थे। प्रशिक्षण के बाद से ही शिक्षकों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आनी शुरू हो गई थी। जब कोरोना वायरस अपना पैर पसार रहा था, तभी हमने चुनाव आयोग से चुनाव टालने की मांग की थी।
लेकिन आयोग ने हमारी एक भी नहीं सुनी और चुनाव करवाने में व्यस्त रहा। आज ये भयावह स्थिति आ गई है कि कई कर्मचारी संक्रमित होकर कोरोना से मौत के मुंह में जा चुके हैं। क्योंकि बिना किसी कोविड प्रोटोकॉल के शिक्षकों को बसों से मतदान केंद्रों पर भेजा गया था। मतदान के दौरान, कई ग्रामीण वोट डालने के लिए दूसरे राज्यों से लौटे थे जिनका परीक्षण भी नहीं हुआ था। किसी को भी अंदाजा नहीं था कि कौन कोरोना संक्रममित है और कौन नहीं।
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय सिंह ने कहा कि कई शिक्षकों ने इस पंचायत चुनाव में अपनी जान गंवाई है। क्या अब भी मतगणना कराना जरूरी है? आखिर उसे टाल क्यों नहीं दिया जाता, ताकि हम लोगों की जान बची रहे और हम अपने परिजनों के साथ सुरक्षित रहें। वहीं, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने बताया कि चुनावी ड्यूटी के दौरान हमने सरकार से सुरक्षा किट्स की मांग की लेकिन हमारी मांगो को पूरा नहीं किया गया और अब इसके कारण आज कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं और कुछ लोग तो इस महामारी में अपनी जान भी गंवा चुके हैं।
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हालांकि राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार ने शिक्षक संघ के इस दावे का खंडन किया है कि पंचायत चुनावों के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया था। तो वहीं, सभी संगठनों ने एक स्वर में कहा कि मतगणना के दौरान मतगणना सेंटर पर आए हुए सारे कर्मचारी, अधिकारी और शिक्षकगण सभी मतपत्रों को अपने अपने हाथों से चुनेंगे। ऐसे में ये कौन बता सकता है कि कौन संक्रमित है और कौन नहीं? क्योंकि जो सही और स्वस्थ दिख रहे हैं, उनको सही नहीं माना जा सकता, क्योंकि लोग एसिम्प्टोमैटिक हैं और वायरस ने इनको घेर रखा है. ऐसे में तत्काल राज्य निर्वाचन आयोग को आगे आकर मतगणना को तब तक डाल देना चाहिए जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती है।