क्या गुमनामी बाबा ही थे सुभाष चंद्र बोस, पता करेगी सरकार
लखनऊ। फैजाबाद में गुमनामी बाबा के सच को सामने लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कमेटी गठित कर दी है। गुमनामी बाबा यूपी के फैजाबाद में 1985 तक रहे और कहा जाता है कि वह कोई और नहीं बल्कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे। गुमनामी बाबा के सच को सामने लाने के लिए गठित कमेटी का हेड जस्टिस विष्णु सहाय को बनाया गया है।
गुमनामी बाबा ही थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बक्से में मिला परिवार का फोटो!
यह कमेटी अपनी रिपोर्ट छह महीने के भीतर सरकार के सामने रखेगी। इस पैनल का गठन इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश के बाद किया गया है। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद यूपी सरकार ने इस पैनल का गठन किया, कोर्ट ने गुमनामी बाबा को अद्भुत व्यक्ति बताते हुए उनके बारे में जुड़े विवाद को सुलझाने को कहा था जिससे कि उनके बारे में सच को लोगों के सामने लाया जाए।
बाबा ने अपने जीवन के आखिरी दस वर्ष अयोध्या और फैजाबाद में बिताये थे। उनके जीवन काल में भी कई ऐसे लोग थे जिनका मानना था कि राम भवन मं रहने वाले बाबा कोई और नहीं नेताजी ही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि नेताजी के रिश्तेदार अक्सर यहां उनसे मिलने आया करते थे। बाबा की मृत्यु के बाद उनकी भतीजी ललिता बोस भी यहां 1986 में आयी थी।
स्थानीय पत्रकार अशोक टंडन का कहना है कि जब नेताजी की भतीजी यहां आयी और उन्होंने उनके सामान को देखा तो रो पड़ी और उन्होंने कहा था कि यह कोई और नहीं बल्कि उनके अंकल ही थे। नेताजी की मृत्यु के बाद सुभाष चंद्र बोस विचार मंच ने कोर्ट का रुख किया था कि गुमनामी बाबा की पहचान को सामने लाया जाए और उनक सामान को सुरक्षित किया जाए। जिसके बाद कोर्ट ने इस जगह मेमोरियल हाउस बनाने का निर्देश दिया था।